सामान्यतः खुलकर सही रूप से शौचन आने को ही कब्ज कहा जाता है । कब्ज एक ऐसा रोग है जिसके हो जाने से अनेक अन्य रोग भी स्वयं ही उत्पन्न हो सकते हैं जैसे- पेट में भारीपन, पेट-दर्द, गैस बनना, सिर
दर्द, मुँह से बदबू आना, आलस्य, अनिद्रा आदि । कब्ज का रोग मुख्य रूप से शारीरिक परिश्रम न करने, गरिष्ठ पदार्थों को ज्यादा खाने, तले तथा मीठे पदार्थ ज्यादा खाने, चाय-कॉफी ज्यादा पीने, पेट भर भोजन न करने अर्थात् जरूरत से अधिक उपवास करने, यकृत-रोग, पौष्टिक तत्वों का सेवन कारणों से होता हैं । कब्ज हो जाने पर दस्तावर औषधियों का बार-बार प्रयोग करने से भी पुनः कब्ज का रोग हो जाता है । अगर कब्ज पुराना पड़ जाये तो इससे अनेक भयंकर रोग उत्पन्न हो सकते हैं ।
नक्सवोमिका 30 और सल्फर 30– खुलकर शौच न हो, बार-बार पाखाने को जाना पड़े जिससे थोड़ा-थोड़ा ही शौच हो, शौच की हाजत वने पर शौच बिल्कुल भी न हो तो इन लक्षणों में- रात को सोते समय एक मात्रा नक्सवोमिका दें और सुबह खाली पेट एक मात्रा सल्फर दें । इस प्रकार नियमित रूप से कुछ दिनों तक देने से कब्ज का रोग निश्चित ही आरोग्य हो जाता है। शारीरिक परिश्रम के अभाव के कारण रोग होने पर यह दवायें विशेष रूप से कारगर हैं । बवासीर के साथ कब्ज होने पर भी यही दवायें देनी चाहिये।
हाइडैस्टिस केन Q, 2x- सामान्य कब्ज की सर्वोत्तम औषध है । इसके मूल अर्क (Q) को प्रतिदिन सुबह जल के साथ खाली पेट लेते रहने से कब्ज में बहुत लाभ होता है । कुछ चिकित्सक इस दवा को रात को सोते समय देने को कहते हैं । यदि दस्तावर औषधियों के अति प्रयोग से कब्ज हो जाये तो इसे ही देना चाहिये । यदि कब्ज और दस्त पर्यायक्रम से होते हों तो भी यह अत्यन्त लाभकारी है ।
ओपियम 30– भयंकर कब्ज, शौच जाने की इच्छा (हाजत) ही न होती हो, तलपेट सख्त और फूला हुआ हो तो देनी चाहिये । टाइफाइड के साथ कब्ज होने पर भी लाभकर हैं । यदि इस दवा को देने से पेट में दर्द होने लगा हो तो इसे बन्द कर देना चाहिये ।
एल्युमिना 30, 200– भयंकर कब्ज, गाँठों से युक्त सूखा व काला शौच हो, शौच-त्याग हेतु बहुत ही कॉखना पड़े, गुदा क्रियाहीन हो चुका हो जिससे मुलायम शौच भी कठिनाई से हो तो देनी चाहिये । आलू पचाने की क्षमता न रहे या आलू खाने से तबीयत विमड़ जाती हो तो इसी दवा को दें । ओपियम के काम न करने पर भी दी जाती हैं ।
प्लम्बम 30- भयंकर कब्ज, शौच सख्त जो मुश्किल से आता हो, गुदा में दर्द भरी अकड़न, अपैंडिक्स की सूजन के कारण काटने की तरह का दर्द- इन लक्षणों में देनी चाहिये ।
सोपिया 30- शौच आने में रुकावट जैसे गुदा में कुछ फँसा हो, शौच कम और सख्त- बकरी की मोंगनी जैसा, शौच के साथ ऑव या खून आनाइन लक्षणों में दें । गर्भवती स्त्रियों की कब्ज में लाभप्रद है ।
ब्रायोनिया 30– शौच सूखा और सख्त, ऐसा लगे जैसे पेट में पत्थर रखा आदि में लाभकर है । ज्यादा ठंडी वस्तुओं को पीने से होने वाले कब्ज में विशेष रूप से लाभकर है ।
एस्क्युलस हिप 30– बार-बार हाजत बने पर शौच न हो, शौच सख्त जो मुश्किल से हो, गुदा में दर्द, पीठ में दर्द, अंधी बवासीर- इन लक्षणों में उपयोगी है ।
मैग्नीशिया म्यूर 30, 200– शौच सख्त व गाँठ युक्त जो कम ही आये, शौच मुश्किल से आ पाये, दर्दयुक्त बवासीर होना- इन लक्षणों में गुणकारी है । बच्चों के दाँत निकलते समय कब्ज होने पर देनी चाहिये ।
थूजा 30- भयंकर कब्ज, सख्त व गोल शौच हो, शौच निकलकर पुनः अन्दर चला जाता हो, हाजत बने पर शौच न हो तो दें । कब्ज के साथ दर्दयुक्त बवासीर में बेहद लाभ करती है ।