क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) फेफड़ों की बीमारी है जो फेफड़े के वायु प्रवाह की पुरानी रुकावट के कारण होती है जो सामान्य सांस लेने में बाधा डालती है। वातस्फीति और पुरानी ब्रोंकाइटिस दो सबसे सामान्य स्थितियां हैं जो सीओपीडी को बढ़ावा देती है। क्रोनिक ब्रोन्काइटिस ब्रोन्कियल नलियों की सूजन है, जो फेफड़ों के वायु थैली से हवा को अंदर और बाहर ले जाती है। क्रोनिक ब्रोन्काइटिस होने पर खांसी और बलगम का उत्पादन अधिक होता है । COPD केवल “धूम्रपान करने वालों की खांसी” नहीं है, बल्कि फेफड़ों की गंभीर बीमारी है जिसका समय पर इलाज करना जरुरी है।
सीओपीडी ( COPD ) के कारण :
विकसित देशों में सीओपीडी का मुख्य कारण तंबाकू धूम्रपान है। विकासशील देशों में, सीओपीडी अक्सर खराब हवादार घरों में खाना पकाने और हीटिंग के लिए जलने वाले ईंधन से धुएं के संपर्क में आने वाले लोगों में होता है। लगभग 20 से 30 प्रतिशत लोग अधिक दिनों से धूम्रपान करने के कारण इस बीमारी के चपेट में आ जाते हैं, उनके फेफड़े के कार्य करने की क्षमता कम हो जाती है।
सीओपीडी ( COPD ) के लक्षण
सीओपीडी के लक्षण अक्सर तब तक दिखाई नहीं देते हैं जब तक कि फेफड़ों की अधिक क्षति नहीं हुई है, शुरूआती समय में कोई खास लक्षण नहीं दीखते। इसके मुख्य लक्षण में रोजाना अधिक मात्रा में खांसी और बलगम का उत्पादन होता है, जो लगातार कई महीनो से होता रहता है।
सीओपीडी के अन्य लक्षणों में शामिल हो सकते हैं:
- विशेष रूप से शारीरिक गतिविधियों के दौरान सांस की तकलीफ
- छाती में घड़घड़ाहट
- सीने में जकड़न
- एक पुरानी खांसी जो बलगम (थूक) का उत्पादन कर सकती है जो सफेद, पीले या हरे रंग की हो सकती है।
- होठों या नाखूनों का नीलापन
- बार-बार श्वसन संबंधी संक्रमण
- शारीरिक शक्ति की कमी
- बाद के चरणों में वजन में कमी आना
- टखनों, पैरों में सूजन
सीओपीडी का पता कैसे करें?
सीओपीडी की पुष्टि स्पिरोमेट्री नामक एक साधारण परीक्षण द्वारा की जाती है, जो यह मापता है कि कोई व्यक्ति कितनी गहरी सांस ले सकता है और कितनी तेजी से हवा फेफड़े में और बाहर जा सकती है।
होम्योपैथी सीओपीडी को ठीक करने में कैसे मदद करती है?
सीओपीडी के मामलों में होम्योपैथी अच्छी सहायक भूमिका प्रदान करती है। होम्योपैथी फेफड़ों के ऊतकों के विनाश को नियंत्रित कर सकती है। होम्योपैथी द्वारा लक्षण में राहत और जटिलता की रोकथाम आसानी से किया जा सकता है। सीओपीडी के लिए होम्योपैथिक उपचार में निर्धारित प्रत्येक दवा रोगियों को किसी भी प्रतिकूल प्रतिक्रिया या साइड इफेक्ट के डर के बिना उनके संकटजनक लक्षणों से राहत दे सकती है। होम्योपैथी का उद्देश्य केवल सीओपीडी लक्षणों का इलाज करना नहीं है, बल्कि इसके अंतर्निहित कारण और व्यक्तिगत संवेदनशीलता को संबोधित करना भी है।
सीओपीडी का होम्योपैथिक उपचार
Bryonia 30 : उन रोगियों में सीओपीडी के लिए अच्छी दवा है, सूखी खांसी है और हरकत से बढ़ जाती है। एक गर्म कमरे में प्रवेश करने के तुरंत बाद खांसी होती है। प्यास बहुत लगती है। श्लेष्मिक झिल्ली में सूखापन महसूस होने के कारण रोगी बार-बार पानी पीना चाहता है। गर्मी से खांसी बढ़ जाया करेगी। ऐसे लक्षण पे Bryonia 30 की 2 बून्द दिन में 3 बार जीभ पर लेना है।
Rumex 30 : यह उन रोगियों में सीओपीडी के लिए उपयोगी है, जिनको शुरू में सूखी खांसी होती है, इसके बाद कफ वाली खांसी होती है। ठंडी हवा में बात करने या ठंडी हवा सांस से अंदर जाने पर खांसी बढ़ जाती है। ऐसे लक्षण पे Rumex 30 की 2 बून्द दिन में 3 बार जीभ पर लेना है।
Phosphorus 30 : इस दवा का कोंस्टीटूशनल है की रोगी लंबा, कमजोर, संकीर्ण छाती, पीला चेहरा वाला होता है। रक्तस्राव की प्रवृत्ति, गंध के प्रति संवेदनशील रहता है। भविष्य और अपने स्वयं के स्वास्थ्य के बारे में बड़ी चिंता, अंधेरे का डर और अकेले रहना चाहता है। खुली हवा की इच्छा के साथ आसानी से ठंड पकड़ता है। छाती में दर्द बाईं ओर की छाती में दर्द और खांसी की समस्या बनी रहती है। ऐसे लक्षण पे Phosphorus 30 की 2 बून्द दिन में 3 बार जीभ पर लेना है।
Calcarea carb 30 : रोगी को आसानी से ठंड लग जाता है। इसका रोगी मोटा और थुलथुला होता है। नींद में सिर पे पसीना आता है और अंडे खाने की बड़ी इच्छा रहती है। सीढि़यों से चढ़ते हुए सांस फूलने लगता है। ठंडे पैर, मोजे पहनना चाहते हैं। ऐसे रोगी को सीओपीडी की समस्या होने पर Calcarea carb 30 की 2 बून्द दिन में 3 बार देना है।