दमा, गले में सांय-सांय शब्द व बब्रोंकाइटिस, ब्रोंकियल थायसिस, रात को पसीना होना, शरीर क्रमशः सूखते जाना, इन्फ्लुएंजा के बाद खांसी होना। गला और मुख के अंदर जलन, सवेरे मुख का स्वाद ख़राब, छींक होने के साथ नाक में कच्ची सर्दी होना। इसका दूसरा नाम यर्बा सैन्टा ( yerba santa ) है।
यह औषधि दमा तथा श्वासनलियों से सम्बन्धित रोगों में प्रयोग की जाती है। श्वासनली का यक्ष्मा, साथ ही रात्रिकालीन पसीना एवं कृशता। इंफ्लुएजा के बाद खांसी, फुफ्फुसावरण गह्वर (pleural cavity) में होने वाले रिसाव का शोषण करती है। बलगम निकल जाने से दमा में आराम मिलता है। भूख बहुत कम लगती है पाचन भी ठीक से नहीं हो पाता। सिर चकराने लगता है, ऐसा लगता है जैसे नशे में हो, कानों में दर्द, गले में जलन, प्रात: काल मुंह से बदबू आती है, सर्दी जुकाम के साथ सिर में चक्कर और छींकें आना। श्वास में सांय-सांय करती हुई आवाज, दमा के साथ सर्दी जुकाम, जीर्ण श्वासनिकाशोथ, श्वासनली का यक्ष्मा, जिसमें बलगम आसानी से निकलता है, बलगम निकलने पर रोगी आराम महसूस करता है, दाएं फेफड़े में मन्द-मन्द दर्द तथा गलतोरणिका (हलक) में जलन होती है। वृषण (testicle) में दर्द और खिंचाव, किसी प्रकार का दबाव सहन न कर सकना, हल्का सा सहारा देने से आराम मिलना।
सम्बन्ध – आरेलिया, यूकैलिप्टस, इपिका, ग्रिडेलिया।
मात्रा – मूलार्क की 2 से 20 बूंदो तक।