हाई ब्लड प्रेशर का कारण – उच्च रक्तचाप कोई रोग नहीं है बल्कि एक लक्षण है तो हृदय, गुर्दे या रक्त संचालन प्रणाली में रोग हो जाने से उत्पन्न होता है।
(i) यह रोग वंशानुक्रम द्वारा हो जाता है। व्यक्ति जीवन में किसी भी अवस्था में ग्रसित हो सकता है।
(ii) तनावपूर्ण जीवन उच्च रक्तचाप का महत्वपूर्ण कारण है। व्यक्ति क्रोध, डर, दु:ख आदि संवेगों से ग्रस्त रहता है तो शीघ्र रक्तचाप में वृद्धि हो जाती है।
(iii) जो व्यक्ति वसा युक्त पदार्थों का अधिक सेवन करते हैं, अधिक मोटे लोग जो शारीरिक परिश्रम कम करते हैं, उनके रक्त में कोलेस्ट्रोल की मात्रा बढ़ जाती है।
(iv) गर्भवती व वृद्ध भी उच्च रक्तचाप के शिकार हो जाते हैं।
(v) धूम्रपान, मदिरापान, अन्य नशीले पदार्थों का सेवन, सुजाक, बहुस्त्री सहवास, मूत्रग्रन्थि की बीमारी, मधुमेह, गठिया, बहुत मानसिक परिश्रम करने वाले, पाचन में गड़बड़ी, यकृत दोष, कब्ज, बहुत खाना, दांतों में पीप होना, दूषित गलग्रन्थि, पुरानी पित्तनली की बीमारी आदि कारणों से उच्च रक्तचाप हो सकता हैं।
हाई ब्लड प्रेशर के लक्षण – प्रारम्भिक अवस्था में सिर दर्द, चक्कर आना, दिल की धड़कन तेज होना, सिर में भारीपन होना, आलस्य आना, काम में मन न लगना। दूसरी अवस्था में उल्टी होना, जी घबड़ाना, अत्यधिक बेचैनी, पाचन सम्बन्धित विकारों का होना, अफारा, कब्ज, अजीर्ण, तथा अरुचि, आँखों के आगे धुंधलापन छाना, नींद न आना। तीसरी अवस्था में नाक से रक्त आना, हृदय में दर्द, हाथ-पैर में भुनभुनी आना, कानों में घूं-घूं शब्द होना, हृदय गति अवरुद्ध होने लगती है तथा मृत्यु भी हो सकती है।
हाई ब्लड प्रेशर का इलाज घरेलू/आयुर्वेदिक/जड़ी-बूटियों द्वारा
– तरबूज का रस पीने से लाभ होता है।
– तरबूज के बीज छाया में सुखाये हुए, दो चम्मच बीज कूटपीस कर एक कप उबले गर्म पानी में एक घण्टा भीगने दें। ठंडा होने पर हिलाकर छान लें और पी जायें। इस प्रकार की चार खुराक नित्य पियें।
– अतिरिक्त दबाव होने पर शहद शरीर पर शामक प्रभाव डालकर रक्त वाहिकाओं की उत्तेजना को घटाकर उनको सिकोड़ कर अतिरिक्त दबाव को घटाता है।
– उच्च रक्तदाब वाले रोगियों के पैरों के तलवों व् मेहँदी का लेप समय-समय पर करने से आराम मिलता है।
– प्याज, लहसुन व अदरक की समान मात्रा लेकर, इनका सेवन करने से उच्च रक्तचाप में अत्यन्त लाभ होता है। तीनों का मिश्रण रस एक-एक तोला सवेरे-शाम सेवनीय है।
– उच्च रक्तचाप के रोगियों को नियमित रूप से पके पपीते का सेवन करना चाहिए। पपीते में वह गुण है जिससे कि उच्च रक्तचाप नियंत्रित रहता है। यदि उच्च रक्तचाप के रोगियों ने इस प्रयोग को अभी तक नहीं आजमाया है तो आज ही आजमाएँ चमत्कारिक फायदा होगा।
– सेंधा नमक उच्च रक्तचाप वालों को साधारण नमक की जगह सेवन करना चाहिए।
– आधा किलो लहसुन को छीलकर चार-पाँच दिन तक धूप में सुखाएँ। फिर काँच की बर्नी में रखकर इतना शहद भरें कि लहसुन डूबा हुआ रहे। इस बर्नी को 15 दिन तक धूप में रखें। इसके बाद इसमें से 2-2 कली सुबह-शाम खाकर एक कप दूध पीना चाहिए। कुछ दिन तक यह उपाय करते रहने से उच्च या निम्न (हाई या लो ब्लड प्रेशर) रक्तचाप सामान्य हो जाता हैं।
– उच्च रक्तचाप वाले व्यक्ति को तरबूज-रस में सेंधा नमक व काली मिर्च डालकर देना लाभप्रद रहता है।
उच्च रक्तचाप का बायोकेमिक/होमियोपैथिक इलाज
औरम म्यूरियेटिकम नैट्रोनेटम 2x, 3x तथा ओरममेट 30 – रोगी साधारण-सा परिश्रम करते ही हाँफने लगता है। उसे अपनी छाती पर बोझ सा महसूस होता है। यदि वह चढ़ाई चढ़ता है तो उसे आराम के लिये रुकना पड़ता है।
ग्लोनायन 6, 30 – रोगी को सिरदर्द रहता हैं। चक्कर आते हैं। हृदय की धड़कनें बढ़ जाती हैं। हृदय के स्थान पर भी दर्द महसूस होता है। ऐसे रोगी के लिये भी यह औषधि उत्तम है।
बेलाडोना 30 – रोगी उत्तेजित-सा नजर आता है। चेहरा तमतमा जाता है। गला सूखने लगता है, गले की नसें उभर आती हैं। स्नायुओं में दर्द आता-जाता रहता है।
जेलसीमियम 1M – रोगी को सिरदर्द रहता है। माथे पर बोझ-सा महसूस होता है। माथा सुन्न-सा लगता है। सिर के पिछले भाग में दर्द की शिकायत हो जाती है। आमतौर पर ये लक्षण उस रोगी में पाये जाते हैं जिसके हाई ब्लड प्रेशर का कारण कोई मानसिक आघात लगना होता है।
नैट्रमम्यूर 200 – ऐसे व्यक्ति जो हर समय चिंतित-से रहते हैं। कुछ न कुछ सोचते रहते हैं और अधिक खाना पसंद करते हैं। उनके हाई ब्लड प्रेशर में यह दवा उपयोगी है।
लो ब्लड प्रेशर (निम्न रक्तचाप)
लो ब्लड प्रेशर का कारण – दौर्बल्य, उपवास, भोजन तथा जल की कमी, शारीरिक तथा मानसिक परिश्रम, इंफ्लूएंजा के पश्चात, बाँयें निलय के रोग, यक्ष्मा, मानसिक आघात, निपात तथा रक्त बहने आदि के कारणों से यह रोग होता है।
लो ब्लड प्रेशर के लक्षण – इसमें नब्ज धीमी व छोटी हो जाती हैं, जरा-सा परिश्रम करने से रोगी थक जाता है। शरीर का दुर्बल होना, आलस्य, अनुत्साह, शक्ति का घटते जाना, बातें भूल जाना, मस्तिष्क अवसाद, विस्मृति, थोड़ी-सी मेहनत में चिड़चिड़ापन, सिरदर्द, सिर चकराना आदि लक्षण होते हैं।
लो ब्लड प्रेशर का इलाज घरेलू आयुर्वेदिक/जड़ी-बूटियों द्वारा
-सर्पगन्धा का सत तथा शिलाजीत समभाग लेकर दोनों को घोटकर गोलियाँ बना लें। प्रात:-मध्याह्न-सायं 1-1 गोली दूध या पानी के साथ लें।
– दिल बैठता हो, लो-ब्लड प्रेशर हो, दिल बहुत धड़कता हो जो प्रात:बासी मुँह सेब का एक मुरब्बा चाँदी के वर्क के साथ सेवन करें।
– आक के फूल और कालीमिर्च बराबर मात्रा में पीसकर आधा ग्राम की गोली बना लें। सुबह-शाम एक गोली खाने से निम्न रक्तचाप में लाभ होगा। गोली खाने के एक घण्टे तक कुछ न खायें।
– लहसुन का रस या तुलसी का रस शहद में मिलाकर लें। शहद दुगनी मात्रा में लें।
– हींग के सेवन से रक्त जम नहीं पाता। अत: रक्त संचार ठीक रहता है। अत: निम्न रक्तचाप में हींग का सेवन लाभदायक है।
– छाछ का सेवन इसमें लाभदायक है।
लो ब्लड प्रेशर का बायोकेमिक/होमियोपैथिक इलाज
वेरेट्रम एल्बम 30 व कैम्फट 30 कुछ दिन तक लेने पर फायदा मिलता है। साथ में फाइव फॉस 4-4 गोली सुबह-शाम लेनी चाहिए।