हैजा रोग का कारण – हैजा बहुत ही भयंकर संक्रामक रोग है। इसके जीवाणु भोजन या जल के द्वारा शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। यह जीवाणु शरीर में प्रवेश करने के एक या दो दिन पश्चात् ही रोग फैलाते हैं। बाह्य रूप से इसका पता 5 दिन में लगता है।
नदियों द्वारा रोगों के रोगाणु दूर-दूर तक उनके किनारों पर स्थित शहरों तक पहुँच जाते हैं। कुछ ऐसे व्यक्ति जिन पर रोग का प्रभाव नहीं होता, रोगाणुओं को साथ ले जाते हैं और उन्हीं से दूसरों को लग जाते हैं। दूध में मिश्रित होकर ये फैलते हैं। हैजा कृमि मनुष्य के मल, मूत्र, थूक, वमन आदि द्वारा भी ये रोग फैलता है। गंदे स्थान में रहना, हजम न होने वाली वस्तुएँ खाना, अनियमित परिश्रम करना, अशुद्ध जल, अधिक भोजन आदि से यह रोग होता है।
हैजा के लक्षण – इस रोग के रोगी को कै अथवा दस्त लगता है। दस्त चावल के माँड जैसा सफेद व पतला होता है। रोगी को प्यास अधिक लगती हैं तथा पेशाब बन्द हो जाता है। रोगी निर्बलता का अनुभव करने लगता है। हाथ-पैरों में पीड़ा व अकड़न प्रारम्भ हो जाती है तथा शरीर ठण्डा होने लगता है। इस रोग के अतिरिक्त और अन्य रोग में शरीर में पानी की इतनी अधिक कमी नहीं होती है तथा यही मृत्यु का कारण हो जाती है।
हैजा का इलाज घरेलू/आयुर्वेदिक/जड़ी-बूटियों द्वारा
– हैजा में आधा कप गुलाबजल में एक नींबू निचोड़कर थोड़ी सी मिश्री मिला लीजिये। तीन-तीन घण्टे पर इसे पिलाने से हैजा में तुरन्त आराम होता है।
– हैजे में उल्टियाँ रोकने के लिये नारियल का पानी दिन में चार-पाँच बार थोड़ा-थोड़ा पिलायें।
– गर्म पानी में नमक और नींबू का रस मिलाकर पिलायें। उल्टी होने पर फिर पिलायें। जब तक उल्टी हो पिलाते ही रहें। पेट की सफाई हो जायेगी। हैजे के दिनों में नींबू या नींबू का अचार खाने से हैजा तथा रोग संक्रमण घटता है। जी मिचलाने पर नींबू गर्म करके चीनी लगाकर चूसें।
– हैजा में उल्टी व दस्त होने पर आधा छटाँक प्याज का रस थोड़ा-सा नमक मिलाकर गुनगुना करके घण्टे-घण्टे से पिलाने से लाभ होता है।
– हैजा फैलने पर इससे बचने के लिये 25 ग्राम प्याज का रस, एक कप पानी, एक नींबू का रस, थोड़ा-सा नमक, कालीमिर्च, अदरक का रस मिलाकर नित्य चार बार पीते रहें। हैजा नहीं होगा।
– रहने के स्थान पर जगह-जगह लहसुन छीलकर रखें। इससे हैजे के कीटाणु मर जायेंगे तथा हैजा नहीं होगा।
– चौथाई कप करेले का रस इतना ही पानी, स्वादानुसार नमक मिलाकर, बार-बार पीने से हैजे में लाभ होता है उल्टी दस्त ठीक हो जाते हैं।
– हैजा, उल्टी दस्त हो तो आधा कप पोदीने का रस हर दो घण्टे से पिलायें।
– अजवाइन का तेल 5-6 बूंद देने से हैजा तथा उदर-कृमि नष्ट हो जाते हैं।
– हैजा होने पर रोगी को अजवायन का सत्व एवं पुदीने का अर्क देते रहने से रोगी शीघ्र स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करता हैं। डी-हाइड्रेशन की घातक अवस्था से बचाने के लिये भी पुदीना फायदेमंद होता है।
– हैजा होने पर हींग (एक ग्राम), कपूर (एक ग्राम) के साथ दो हरी मिर्चों को पीसकर गोली बनाकर, दिन में तीन-चार बार रोगी को शीतल (गर्म करके ठण्डा किया हुआ ) जल से निगलवा दें। लाभ रहेगा।
हैजा का बायोकेमिक/होमियोपेथिक इलाज
कैम्फट, वैरेट्रम, आर्सेनिक आदि औषधियां कारगर रहती हैं किन्तु हैजा के रोगी को एक बार चिकित्सक को अवश्य दिखा देना चाहिए।