पाकाशय की गड़बड़ी, मसूढ़ों में घाव, दाँतों के गड्ढ़ों में अथवा उनके समीप पीव पड़ जाना, अच्छे से पोषण न होना तथा भोजन के बाद अच्छी तरह कुल्ले न करना आदि कारणों से श्वास-प्रश्वास में दुर्गन्ध आने लगती है । इस रोग में निम्नलिखित औषधियाँ लाभ करती हैं :-
आर्निका 3 – यह इस रोग की श्रेष्ठ औषध है । जब दुर्गन्ध होने का कोई निश्चित कारण ज्ञात न हो तथा माँस में सामान्य रूप से दुर्गन्ध आती हो, तब इसका प्रयोग करें । इसे प्रति तीन घण्टे के अन्तर से देना चाहिए ।
कार्बो-वेज 6x वि० 30 – मसूढ़ों की बीमारी, दन्त-क्षय अथवा पारे का अधिक सेवन करने के कारण दुर्गन्ध आती हो तो इसे दिन में तीन बार के हिसाब से कई सप्ताह तक सेवन करें । इसके बाद ‘हिप्पर-सल्फर 6’ अथवा ‘नाइट्रिक एसिड 3’ का प्रयोग करने से रोग समूल नष्ट हो जाता है। पेट में भोजन सड़ने के कारण साँस में बदबू आने पर भी यह लाभ करती है।
नक्स-वोमिका 6 – अजीर्ण के कारण उत्पन्न दुर्गन्ध में लाभकारी है । खाना खाने के बाद मुख से दुर्गन्ध अथवा साँस से खट्टी गन्ध आने पर इसका प्रयोग विशेष लाभ करता है ।
पल्सेटिला 3 – नक्स’ के ही लक्षणों में यह औषध भी लाभ करती है ।
पेट्रोलियम 3, 6, 30 – साँस से प्याज जैसी गन्ध आने पर यह औषध दें।
मर्क-सोल 30 – मुँह में छाले अथवा जख्मों के कारण साँस में दुर्गन्ध आने पर इसका प्रयोग करें ।
पायरोजेन 200 – श्वास से सड़े गले माँस जैसी गन्ध आने पर इसका प्रयोग करें।
आरम-मेट 30 – नाक में सड़ाँध जैसी बदबू आना तथा नाक एवं मुख से अत्यधिक दुर्गन्ध आने के लक्षणों में इसे प्रति 8 घण्टे के अन्तर से देना चाहिए।
सिलिका 6 अथवा फास्फोरस 3 – मसूढ़ों में पीव उत्पन्न होने के कारण दुर्गन्ध आने पर, इनमें से किसी भी एक औषध का सेवन करें । साथ ही ‘सिम्फाइटम Q‘ मूल-अर्क 1 ड्राम को 4 औंस स्वच्छ पानी में मिलाकर लोशन तैयार करें और उससे कुल्ला करते हुए मुंह धोयें, उससे दुर्गन्ध आना दूर हो जाता है।
- ‘कार्बोलिक-एसिड‘ को पानी मे मिला कर उससे मुंह धो डालने पर दुर्गन्ध आना बन्द हो जाता है ।
- हर बार खाना खाने के बाद अच्छी तरह से मुँह धोना तथा दाँतों को साफ करना, स्वच्छ जल पीना, स्नान तथा खुली हवा का सेवन-ये सब उपचार दुर्गन्ध का नाश करते हैं ।