ओसीडी का होम्योपैथिक इलाज
आज इस वीडियो में हम बार-बार हाथ धोने की समस्या के एक केस की चर्चा करेंगे कि कैसे होम्योपैथिक दवा से OCD की समस्या ठीक हुई ?
OCD Homeopathic Treatment Case 1
ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर एक मानसिक बीमारी है। इस रोग से पीड़ित व्यक्ति कुछ विचारों या कुछ कार्यों को करने के लिए मजबूर हो जाते हैं।
इस तरह के रोग में ताले, गैस बर्नर नॉब्स जैसी चीजों को बार-बार जाँच करना या बार-बार सफाई करने जैसी मानसिक स्थिति पैदा हो जाती है।
इस रोग का कारण बहुत स्पष्ट नहीं है; शोध से पता चलता है कि ओसीडी वाले लोगों के दिमाग में पर्याप्त सेरोटोनिन नहीं होता है।
कुछ अध्ययनों के अनुसार, ओसीडी जेनेटिकल बीमारी है। यह आमतौर पर लगभग 20 साल की उम्र में शुरू होता है, हालांकि यह 2 साल की उम्र में भी हो सकता है।
OCD के प्रत्येक मामले में निम्नलिखित लक्षणों को देखा जा सकता है :-
गंदगी के प्रति अत्यधिक जुनून और बार-बार हाथ धोना (अक्सर दिन में 100 या अधिक बार)।
वस्तुओं को जमा करना, बहुत बार गिनना या चीजों को एक निश्चित क्रम में रखना।
स्वयं या दूसरों द्वारा बोले गए शब्दों को दोहराना या एक ही प्रश्न को बार-बार पूछना।
OCD के ज्यादातर मामलों में, हाथ धोना या दरवाजों पर लगे ताले की बार-बार जाँच करना देखा गया है।
मैं यहाँ एक केस की चर्चा कर रहा हूँ जिसमे एक 7 साल के बच्चे का बार-बार हाथ धोना और सफाई को लेकर उसकी व्यस्तता थी।
वह चाहता है कि उसकी प्लेटों को अच्छी तरह साफ किया जाए। वह भोजन से पहले अपने हाथों को अच्छी तरह साफ करेगा। यदि साबुन गिर जाता है, तो वह दूसरा साबुन मांगता है और गिरे हुए साबुन को भी साफ करता है।
वह बारी-बारी से अपनी चप्पलें धोता है। वह अपनी चादर, सामान, खिलौनों आदि के बारे में काफी सचेत है। वह अपनी सभी किताबें और खिलौने क्रम में रखता है और जब तक चीजें ठीक नहीं होती तब तक वह सो नहीं सकता।
वह अपनी मां के साफ-सफाई करने के बाद भी खुद से साफ करना पसंद करता है।
उसे स्ट्रीट फूड खाना पसंद नहीं है क्योंकि उसका मानना है कि खाना बुरी तरह से दूषित है। जब भी वह बाहर घूमने जाता है तो बीमार पड़ जाता है क्योंकि वह लंबी दूरी की ट्रेनों में गंदगी बर्दाश्त नहीं कर सकता।
वह दूसरों के शौचालय का उपयोग नहीं कर सकता। एक लक्षण है कि वह अजनबियों, मेहमानों के साथ अच्छी तरह घुलमिल जाता है। वह दूसरों के लिए काफी मददगार होता है। इतिहास पूछने पर पता चला कि माता-पिता का खासा दबाव बच्चे पर रहा था।
रुब्रिक देखें तो :- सहानुभूति पूर्ण बच्चा, अंधेरे का डर, संक्रामक रोग का भय, साफ़-सफाई करने का जूनून, नींद की समस्या, चॉकलेट पसंद है, फल खाने की इच्छा होती है, त्वचा पर सफेद धब्बे हैं
बच्चे के रुब्रिक में फिट होने वाले दवा आर्सेनिक, फास्फोरस और कार्सिनोसिन हैं। आर्सेनिक तेज है, सफाई से संबंधित है और उसे बीमारी का डर सताता है।
फॉस्फोरस सहानुभूतिपूर्ण है, प्यार करने वाला और चॉकलेट और फलों के लिए तरसता है।
लेकिन जो दवा रुब्रिक के सबसे करीब है वह है कार्सिनोसिन। माता पिता का अत्यधिक नियंत्रण और दबाव के इतिहास वाले बच्चों के लिए कार्सिनोसिन का अक्सर संकेत देखा जाता है।
जुनून के हद तक किसी काम को करना, आर्सेनिक और नक्स वोमिका के साथ-साथ कार्सिनोसिन की एक विशेषता है।
वे गलती करने से डरते हैं और उन सभी स्थितियों से बचते हैं जिनमें सुधार या फटकार की आवश्यकता हो सकती है। चॉकलेट, फलों की लालसा और सोने में कठिनाई कार्सिनोसिन की ओर इशारा करती है।
ऐसे में कार्सिनोसिन 1M एक खुराक दिया गया । करीब 2 महीने में सफेद धब्बे पूरी तरह से साफ हो गए। OCD के मामले में कोई खास सुधार नहीं देखा गया।
अगले छह महीनों में कार्सिनोसिन को दो बार दोहराया गया। उसकी माँ अपडेट देती है जो अब उसका आत्मविश्वास बढ़ गया है और पढ़ाई में भी अच्छा कर रहा है, साफ-सफाई का जूनून काफी हद तक समाप्त हो चूका है।
इस केस में कार्सिनोसिन बच्चे के रुब्रिक के आधार पर दिया गया था और मामला साइको-सिफिलिटिक का था।
OCD Treatment Video 1
OCD Homeopathic Treatment Case 2
एक व्यक्ति OCD का इलाज के लिए मुझसे संपर्क किया। उनकी मुख्य समस्या थी – चिंता, सोचता है कि उसे एड्स हो गया है। इस बात को लगातार सोचता रहता है।
सुस्ती, नकारात्मक विचार। सोचते-सोचते सिरदर्द भी होने लगता है। उसके पिता काफी सख्त हैं, उसे यह नापसंद है कि उसके पिता गाली-गलौज करने वाले हैं।
उन्हें याद है कि जब वह 7वीं कक्षा में थे, तो उनकी माता ने उन्हें तौलिया ठीक से न रखने के लिए डांटा था। तब से वह हर चीज में परफेक्ट बनने की कोशिश करते हैं।
इन्हें लड़ाई-झगड़े नापसंद हैं। अपने पिता के हंगामा मचाने और पूरे घर को परेशान करने के डर से वह खुद को व्यक्त करने या अपनी बातों को सामने रखने से बचता है; इससे परिवार वालों को लगता है कि वह शांत स्वभाव का है।
अपने छोटे भाई से तुलना करने पर उसे बुरा लगता है, छोटा भाई बहुत तेज़ है और सबके साथ बहुत आसानी से घुल-मिल जाता है। माँ के लगातार ताने देने से वह अपनी माँ से नफरत करता है।
उसे लगता है कि वह एचआईवी के संपर्क में आ गया है, उसने Blood test कराया, जो नकारात्मक था, लेकिन वह अभी भी उसके मन में यही आता है।
आपको बता दूँ कि इस तरह के बातें कुछ छोटे बच्चों, पुरुषों और महिलाओं में भ्रम पैदा कर देता है जो यह सोचना शुरू कर देते हैं कि वे एड्स, कैंसर, हृदय रोग या कुछ गंभीर लाइलाज बीमारियों से पीड़ित हो गए हैं।
रोगी खाने से पहले 3-4 बार हाथ धोता है। उसकी मां कहती है कि वह पागल हो जाएगा। डर है, भूत का, मृत्यु का उसे लगता है वायरस से संक्रमित खाना उसे दिया जा रहा है। परीक्षा से डर लगता है। खुद में हीन भावना आती है।
एकाग्रता का अभाव। वह समझने में धीमा है, जल्दी समझ नहीं सकता। स्वभाव से बहुत शर्मीला है। लोगों से आसानी से घुल-मिल नहीं पता है।
अंडे खाने की इच्छा, ठंडी चीजें, चाक और मिट्टी खाता है, दीवारों को चाटता है। प्यास – कम पसीना – हथेलियों पर अधिक आता है। कब्ज रहता है।
पूरे लक्षणों को देखने के बाद जो हमने पाया वो था :- मन में चिंता, आत्मविश्वास की कमी, त्यागा हुआ एहसास, ऐसा लगना कि सभी ने मुझे अलग कर दिया है
डर भूत का, मृत्यु का, अंदर से डरपोक कायर, अंडे खाने की इच्छा, चाक और मिट्टी जैसी न पचने वाली वस्तु खाने की इच्छा
लक्षण के आधार पर रोगी को मैंने Calcarea carb 1M 15 दिन में 1 बार लेने की सलाह दी। इससे उन्हें काफ़ी मदद मिली, लेकिन मन का भ्रम दूर नहीं हुआ।
यह धारणा कि वह एड्स से पीड़ित है, उसके मन से मिट नहीं पा रही थी। Thuja ऐसी मन के भ्रम को कवर करता है।
इसलिए रोगी को Thuja 1M की एक खुराक भी मैंने दिया और धीरे धीरे उसके मन का भ्रम की उसे एड्स है वह ठीक हो गया।