मस्सा का होम्योपैथिक इलाज: त्वचा पे कहीं भी काले अथवा अन्य रंगों के मस्से उभर आते हैं, जिनके कारण शारीरिक सौन्दर्य में कमी आती है। कुछ मस्सों में प्रदाह तथा खुजली के लक्षण भी पाये जाते हैं ।
इस लेख में हम मस्से अर्थात warts के एक केस की चर्चा करेंगे कि कैसे होमियोपैथी दवाओं से इस समस्या को ठीक किया गया।
एक व्यक्ति ने मुझे अपने सिर पर बांये तरफ हुए एक मस्से को दिखाकर कहा कि आप मुझे इसके लिए दवा दे दीजिए। उनके मस्से में कई नुकीले छोर थे, मस्सा में कंघी से रगड़ लगने पर या खुजलाने पर खून निकल आता था, यह मस्सा लगभग एक साल से अधिक से था। इसे हटाने के लिए वे कई तरह के जतन कर चुके थे और किन्ही की सलाह पर हाई पोटेंसी की थूजा का भी सेवन कर रहे थे, लेकिन कोई फायदा नहीं हो रहा था। मैने उन्हें केवल थूजा 6 CH दवा को दिन में दो बार चार बूंद सेवन करने को कहा। दो सप्ताह बीतते-बीतते मस्सा का आकार घटकर आधा से कम हो गया और एक माह के अंदर मस्सा स्वत: झड़ कर गिर गया, जिसका उन्हें पता भी नहीं चला।
थूजा खुरदरे मस्से की अमोघ औषधि है, लेकिन 6 शक्ति प्रायः सभी प्रकार के मस्से को समाप्त करने में ज्यादा लाभप्रद होती है।
होमियोपैथी को एक सिरे से नकार देना होमियोपैथी के महत्व को कम नहीं कर सकता है, होमियोपैथी अपने आविष्कार के समय से अब तक केवल प्लेसिबो इफेक्ट के कारण रोगों को नहीं ठीक कर रहा है, शरीर की रोगों से लड़ने की प्रतिरोध क्षमता को बढ़ाकर रोग को ठीक कर रहा है। होमियोपैथी रोग का नहीं, रोग के कारण का इलाज करता है, इसी पद्धति में दांये अंग के लिए अलग और बांये अंग के लिए अलग दवा का प्रयोग होता है, जबकि अन्य सभी चिकित्सा पद्धति में दाए या बांए अंग के लिए अलग-अलग दवा नहीं होती है। अगर किसी व्यक्ति का बांया कंधा दर्द कर रहा है तो होमियोपैथी मत से उसे स्पाइजीलिया दवा दी जाएगी, जबकि दाहिना कंधा में दर्द होने पर चेलिडोनियम दवा दी जायेगी। होमियोपैथी में व्यक्ति के इलाज के लिए उससे आचार और विचार, दोनों का ध्यान रखकर इलाज किया जाता है, इस वजह से व्यक्ति के रोग के साथ-साथ गलत आचार-विचार और इससे जुड़ी अन्य समस्याएं भी दूर हो जाती है, अत: होमियोपैथी केवल सर्जरी को छोड़कर परिपूर्ण चिकित्सा पद्धति है। वैसे व्यक्ति जिन्हें होमियोपैथी पर बिल्कुल विश्वास नहीं है, उन्हें भी जरूरत पड़ने पर किन्ही योग्य होमियोपैथी चिकित्सक से चिकित्सा करा कर इसके फायदे को परखना चाहिए, उसके बाद ही इस पद्धति के गुण-दोष की विवेचना करनी चाहिए।
मस्से की होम्योपैथिक दवा
Calcarea Calcinata 3x – इस दवा की आठ ग्रेन प्रति मात्रा में देकर हर प्रकार के मस्सों को ठीक किया गया है। मस्सों में सर्वप्रथम इस दवा की 3x विचूर्ण देते है और इससे उन्हें बहुत सफलता मिली है। मेरे अनुभव में इसकी ६ठी शक्ति मस्सों की बहुत बढ़िया दवा है।
Anagallis Q को लगाने से त्वरित लाभ होता है।
Thuja – थूजा हर प्रकार के मस्सा रोगियों में उपयोगी है। यह मस्सा की एक श्रेष्ठ दवा है। यह मस्सा की अचूक औषधि है । एक व्यक्ति के हाथ-पैर में 100 मस्से थे। थूजा 200 से एक सप्ताह में 60 मस्से समाप्त हुए, दूसरे सप्ताह में 26 गायब और चार सप्ताह में सब ठीक हो गया।
एक सांवला, मोटा, 32 वर्षीय नौजवान के लिंग पर फूलगोभी के समान मस्से निकल आये थे। उसके लिंग पर लगभग चालीस मस्से थे । उन्हें सूजाक हो गया था जो एलोपैथ से ठीक हुआ। दो वर्ष बाद लिंग पर मस्से उभर आए और खुजलाहट थी । रोगी अविवाहित, कामुक, जल्दबाज था। उसे थूजा 200 तीन दिनों तक तीन बार दिया। दस दिनों में मस्से बहुत छोटे हुए। एक माह बाद थूजा 1M की तीन खुराक दी गयी । दवा जादू सा काम किया। अब वह पूर्ण स्वस्थ है।
Causticum 30 – एक रोगी को कई वर्षों से दांये पलक के ऊपर मस्सा था। कॉस्टिकम 30 रोज एक खुराक देने से वह एक महीना में ठीक हो गया। नाक पर मस्से की भी अच्छी दवा है । पूरे बदन पर मस्से हों तो भी इस दवा से लाभ पहुंचता है, किन्तु मैंने केवल भौहों पर के मस्सों पर इसका प्रयोग किया और मुझे सफलता भी मिली है।
Chamomilla – एक बार बड़े-बड़े मस्से वाले एक रोगी को कैमोमिला की तीन मात्रा से आरोग्य किया गया था। चूंकि उस रोगी के अधिकांश लक्षण कैमोमिला के ही थे । अतः कैमोमिला ने मस्से को आरोग्य कर दिया।
Cina 30 – एक दस वर्षीय बालक के दोनों पैरों के नीचे घुटने तक ढेर से मस्से को सिना 30 बाद में 200 शक्ति की दवा देकर ठीक कर दिया ।
नोट : घोड़े के बाल कस देने से मस्से दो चार दिनों में गिर जाते है।
Dulcamara 30 – एक बीस वर्षीय युवक के हाथों पर ढेर सारे मस्से पांच वर्षों से थे। थूजा, कॉस्टिकम, एंटिम क्रूड दवाएं सी. एम. तक खा चुके थे। डॉ. कैन्ट के अनुसार डल्कामारा 200 उस युवक की जीभ पर दो बूंदें डाली गई। एक सप्ताह में मस्से पहले से छोटे हो गये। वही दवा दी गयी। एक सप्ताह बाद आधा शेष रहा। तत्पश्चात डल्कामारा 1M दी गयी । पन्द्रह दिनों बाद सारे मस्से खत्म हो गये।
Aesculus Hip – डॉ. कैन्ट के अनुसार यदि आंखों के सामने मस्से हो तो Aesculus काफी श्रेष्ठ दवा है।
Carcinosin 10M – कैन्सर का इतिहास मिले या न मिले सारे शरीर में यदि मस्से दिखे तो कार्सिनोसिन की उच्च शक्ति दें । धैर्य से प्रतीक्षा करें।
Condurango Q – मुंह के कोने में हुए मस्से की यह रामबाण औषधि है । एक रोगी के मुंह के कोने में एक मस्सा हो गया था। ठीक फूलगोभी जैसा था । उसे मैंने Condurango Q लेने का परामर्श दिया। इसकी दस बूंद तीन बार आधा कप ताजा जल में मैने पन्द्रह-बीस दिनों तक दिया। मस्से कैसे गायब हो गया मुझे कुछ भी पता न चला।
Rananculus Bulb – एक दर्जी के दाहिने अंगूठा पर दर्द करने वाला मस्सा था। स्पर्श से ही दर्द बढ़ जाता था। इस औषधि ने उसे ठीक कर दिया।
Natrum Mur CM – यदि गर्दन पर भूरे या काले रंग के मस्से दिखे उससे कुछ मत पूछें सिर्फ नैट्रम म्यूर दे दें। अन्य दवा की आवश्यकता नहीं पड़ेगी । शक्ति सी. एम. एक खुराक लम्बी प्रतीक्षा करें।
Anacardium – हथेली पर मस्से होने पर एनाकार्डियम, नैट्रम म्यूर जैसा ही जादू का सा काम करती है।
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Masse Hatane Ki Homeopathic Dawa
मस्सों को हटाने में आगे लिखी औषधियाँ लक्षणानुसार लाभ करती हैं, इनमें से जिस औषध को मुख द्वारा सेवन किया जाय, उसी के मूल-अर्क को लोशन बनाकर मस्सों पर लगाने से शीघ्र लाभ होता है :-
थूजा 1x, 30 – यह इस रोग की सर्वोत्तम औषध मानी जाती है तथा भिन्न-भिन्न प्रकार के मस्सों को दूर करती है। मस्सों के झुण्ड, सिर के पीछे सरसों के दाने जैसे मस्से, ठोड़ी पर मस्सा, नीचे और लटकने वाले मस्से तथा कभी-कभी रक्तस्राव करने वाले मस्से – इन सभी में इस औषध को हर चार घण्टे के अन्तर से सेवन करना चाहिए। औषध सेवन के साथ ही इसके मूल-अर्क को प्रात:-सायं रुई की फुरहरी द्वारा मस्सों पर लगाते रहने से शीघ्र लाभ होता है ।
डॉक्टर टंक इस औषध के मूल-अर्क की 4-5 बूंदें चीनी के साथ खिलाकर कुत्ता, घोड़ा आदि पशुओं के शरीर पर पाये जाने वाले मस्सों को भी झाड़ दिया करते थे । मस्सों के अतिरिक्त यह औषध गोटी (Tubercies), तिल (Neva), अदीठ-व्रण (Carbuncle), अर्बुद, क्षत (Ulcer), चकत्ते तथा चित्ती (Freckles) में भी लाभ करती है ।
यदि गर्भिणी-स्त्री को पहले कुछ दिन ‘सल्फर 30‘ फिर कुछ दिन ‘थूजा 30‘ और अन्त में ‘मर्क-सोल 30‘ का सेवन करा दिया जाय, तो उसके होने वाली सन्तान के शरीर में मस्से उत्पन्न नहीं होते । गोभी के फूल जैसे मस्सों के लिए भी ‘थूजा’ लाभकारी है ।
नाइट्रिक-एसिड 12 – बड़े आकार के खुरदरे, टेढ़े-मेढ़े लटकने वाले ऊपर के होंठ वाले तथा जिन्हें धोकर रक्तस्त्राव होने लगे – ऐसे मस्सों में यह औषध लाभकारी है ।
कास्टिकम 6, 30 – छोटे आकार वाले अत्यधिक मस्से, ऐसे मस्से – जिनकी जड़ तो मुलायम हो, परन्तु शिखर पर कठोरता हो तथा बाहों, हाथों, पलकों और चेहरे पर होने वाले मस्सों के लिए यह विशेष हितकर है ।
कैल्केरिया-कार्ब 12, 30 – सींग जैसे नोंकदार, चुभने वाले, कठोर, सूज जाने वाले तथा जख्म के रूप में बदल जाने वाले मस्सों के लिए हितकर है ।
कैलि-म्यूर 3 – यह हाथों के मस्सों के लिए हितकर है । मुख द्वारा सेवन करने के साथ ही इसे 3x शक्ति में एक चम्मच पानी में डालकर, उस लोशन द्वारा मस्सों को तर करते रहने से शीघ्र लाभ होता है ।
सिपिया 30 – जननेन्द्रिय की त्वचा के अग्रभाग पर तथा शरीर के अन्य भागों में बड़े आकार के कठोर तथा काले मस्से इस औषध के सेवन से ठीक किये जाते हैं।
नेट्रम-म्यूर 6 – यह हथेली के मस्सों के लिए हितकर है ।
एण्टिम-टार्ट 12 – पुरुष-जननेन्द्रिय की सुपारी के पीछे मस्से होने पर इसका प्रयोग लाभकर रहता है ।
नेट्रम-कार्ब 30 – यह छूने से दुखने वाले तथा जख्म बन जाने वाले मस्सों को दूर करती है ।
विशेष – इनके अतिरिक्त ऐण्टिम-कूड 6 तथा डल्कामारा 6 का लक्षणानुसार प्रयोग भी लाभ करता है ।