वृद्धावस्था में प्रोस्टेट ग्रंथि के बढ़ जाने में बहुत कष्ट होता है। कुछ लोगों के मत से इसकी कोई चिकित्सा नहीं है , केवल शल्य क्रिया द्वारा की इसका उपचार किया जा सकता है। परन्तु निम्नलिखित होम्यो-औषधियों के प्रयोग से इस रोग की चिकित्सा कर पाना सम्भव होता है :-
कोनियम 30, 200 – प्रोस्टेट ग्रंथि के बढ़ जाने अथवा कड़े पड़ जाने की यह मुख्य औषध मानी जाती है ।
सैबाल सैरूप्लाटा Q, 1x – नये अथवा पुराने रोग में यह औषध लाभ करती है। पेशाब निकालने में कठिनाई होना, बूंद-बूंद पेशाब आना तथा पेशाब करते समय जलन होना इन सब लक्षणों में यह शीघ्र लाभ करती है। बन्द पेशाब को निकालने में भी हितकर है। मानसिक तथा शारीरिक कमजोरी के लक्षणों में इसके मूल-अर्क का 5 से 10 बूंद तक की मात्रा में प्रयोग करना चाहिए।
सैलिडैगो 3x – प्रोस्टेट ग्रंथि के बढ़ जाने के पुराने रोग में यह लाभकारी है।
बैराइटा-कार्ब 30 – वृद्ध व्यक्तियों की प्रोस्टेट ग्रन्थि के बढ़ जाने में लाभकारी है। इस औषध का रोगी शीत-प्रकृति का होता है।
स्टैफिसेग्रिया 30 – प्रोस्टेट ग्रंथि के बढ़ जाने पर बार-बार पेशाब आना तथा निरन्तर एक-एक बूंद पेशाब के निकलते रहने जैसा अनुभव होना-इन लक्षणों में लाभकारी है। मूत्र-त्याग के समय जलन न होना परन्तु अन्य समय में जलन होना इस औषध का एक विशेष लक्षण है ।
फैरम-पिकरिक 3x – नये रोग में इस औषध के प्रयोग से प्रोस्टेट का आगे बढ़ना रुक जाता है । रात के समय बार-बार पेशाब आना और ब्लैडर के मुख पर जलन का अनुभव होना-इन लक्षणों में लाभकारी है। डॉ० कूपर के मतानुसार वृद्ध व्यक्तियों की प्रोस्टेट के बढ़ जाने में यह विशेष लाभ करती है।
पिकरिक-एसिड – यदि रोग बहुत आगे बढ़ा हो तो यह औषध बहुत लाभ करती है । कामोत्तेजक स्वप्नों के कारण प्रचुर मात्रा में वीर्य का स्खलन, जिसके कारण बाद में अत्यधिक शिथिलता आ जाती हो ऐसी स्थिति में इस औषध का प्रयोग करने से लाभ होता है। पेशाब में तलछट जमना तथा अत्यधिक कमजोरी के लक्षणों में हितकर है ।
हाइड्रैन्जिया Q – डॉ० बर्नेट के मतानुसार इस औषध को प्रात:-सायं 6-6 बूंद देते रहने से वृद्ध लोगों की बीमारी में निश्चित लाभ होता है।
कैनेबिस-इण्डिका 30 – प्रोस्टेट ग्रंथि के बढ़ जाने पर गुदा तथा शिश्न की सींवन के बीच एक गेंद के रखे होने जैसे अनुभव में इसे प्रति दो-तीन घण्टे के अन्तर से देना चाहिए ।
चिमाफिला अम्बेलाटा – मूत्र-त्याग के समय जलन, मूत्र-त्याग के पूर्व तथा बाद में काँखना, मूत्र का अल्प-परिमाण में होना, पैर फैलाये एवं सामने की ओर झुके बिना पेशाब न होना, मूत्र में अत्यधिक मात्रा में श्लेष्मा, पीव अथवा रक्त मिला होना तथा वस्ति प्रदेश में एक गोले जैसे पर्दा के अटकाव से मूत्र उतरने में बाधा का अनुभव होना – इन सब लक्षणों में लाभकारी है।
सार्सा-पैरिल्ला 30, 200 – प्रोस्टेट ग्रंथि के बढ़ जाने के कारण मूत्र-त्याग में कष्ट, दर्द तथा अकड़न के लक्षणों में यह औषध विशेष लाभ करती है। मूत्र-त्याग के समय तीव्र दर्द के कारण रोगी का छटपटा उठना तथा पेशाब की धार का क्षीण होना- इन उपसर्गों में हितकर हैं ।
सेलेनियम – मल-मूत्र त्याग के समय बैठे रहने की अवस्था में तथा चलते समय भी अनजाने में मूत्र-नली के लसदार पदार्थ निकलना-ऐसे लक्षणों में इस औषध का प्रयोग करना लाभकारी रहता है ।
स्टैफिसेग्रिया – प्रोस्टेट ग्रंथि के बढ़ जाने के कारण कमर में दर्द होना, प्रात: शय्या पर उठने से दर्द में वृद्धि होना, बार-बार मूत्र-त्याग की इच्छा तथा मूत्र-त्याग के समय मूत्र-नली में जलन होना-ये सब इस औषध के निर्देशक लक्षण हैं।
विशेष – डॉ० ड्युडले राइट के मतानुसार ‘फेरम पिकरिकम 2x, 3x’ प्रोस्टेट ग्रंथि के बढ़ने के कारण उत्पन्न हुए उपसर्गों की सर्वश्रेष्ठ औषध है। पुरानी वृद्धि में ‘सोलिडैगो 3x’ तथा नई में ‘सेबाल सैरूलाटा Q, 2x’ को तीन-तीन घण्टे के अन्तर से देने से लाभ होता है ।
कैल्केरिया-फ्लोर 6x – अनेक चिकित्सकों की राय में वृद्ध व्यक्तियों की प्रोस्टेट-वृद्धि की यह सर्वस्त्रेष्ठ औषध है । इसे पाँच ग्रेन की मात्रा में दो बार देना चाहिए ।
प्रोस्टेट ग्रंथि से स्राव निकलना
(Prostate Discharge)
पाखाने में प्रोस्टेट-ग्रन्थि का स्राव आने में लक्षणानुसार निम्नलिखित औषधियों का प्रयोग लाभकारी सिद्ध होता है :-
स्टेफिसेग्रिया 30 – अत्यधिक विषयी लोगों के स्राव आने में ।
नाइट्रिक-एसिड 30 – पाखाना कर चुकने के बाद स्राव आने में।
साइलीशिया 30 – पाखाना करते समय जोर लगाने पर स्राव आने में ।
कोनियम 30 – मानसिक-उद्वेग के कारण स्राव आने में ।
थूजा 30 – यदि स्राव गाढा तथा हरे रंग का हो तो इस औषध का प्रयोग हितकर रहता है ।
कालि-बाईक्रोम 30 – पाखाना होते समय प्रोस्टेट के स्राव का रोग पुराना हो जाने में इसे दें ।
नक्सवोमिका 30, सिपिया 30, सेलेनियम 30 – पाखाना होते समय स्राव हो तो इनमें से किसी भी एक औषध में देना हितकर रहता है ।
प्रोस्टेट ग्रंथि का कैंसर
(Prostate Cancer)
लक्षण – इस कैंसर में काले रंग का ऐसा रक्त निकलता है, जो जमता नहीं है। इसमें निम्नलिखित औषध का प्रयोग किया जा सकता है :-
क्रोटेलस 3, 6 – यह प्रोस्टेट-ग्रन्थि के कैंसर की एकमात्र औषध है।