प्रसव का समय पूरा होने के एक दो दिन पूर्व ही जब झूठे दर्द होने आरम्भ हो जाय, तब निम्नलिखित औषधियाँ देनी चाहिए । स्मरणीय है कि ये दर्द भी प्रसवकालीन दर्द जैसे ही अत्यधिक कष्टकर होते हैं, परन्तु इनके होने पर भी प्रसव नहीं होता है।
कैमोमिला 6, 30 – यह इस रोग की उत्तम औषध है। यदि दर्द कमजोर परन्तु कष्टप्रद हो, बैचेनी अधिक हो बीच-बीच में गाढ़ा, लाल रंग का रक्त निकलता हो, तब इसे देना चाहिए ।
पल्सेटिला 30, 1M – प्रसव के एक-दो दिन पूर्व झूठे दर्द होने पर इस औषध की 30 शक्ति की मात्रायें दिन में दो-तीन बार देते रहने से कष्ट दूर हो जाता है । इस औषध की उच्च-शक्ति की तीन मात्राएं 15-15 मिनट बाद देने पर प्रसव सरलता से हो जाता है, चाहे वह दो-तीन दिन बाद ही क्यों न हो । यह औषध गर्भाशय को सशक्त बनाती है, अत: यदि गर्भाशय में बच्चा ठीक स्थिति में न हो तो उसके लिए भी लाभकर सिद्ध होती है। यदि प्रसव होने से विलम्ब हो रहा हो तो इस औषध के उच्च-शक्ति देने पर प्रसव आसानी से हो जाता है ।
बेलाडोना 30, 200 – यदि झुठे दर्द एकदम आते और चले जाते हों, गर्भाशय पर दबाव का अनुभव, त्वचा का गर्म होना, चेहरे का तमतमाना, नब्ज तेज तथा भारी एवं खून का दौरा सिर की ओर जाना आदि लक्षण दिखाई दें तो – इसका प्रयोग करना उचित रहेगा ।
कोलोफाइलम 1x, 3, 30 – प्रसव का समय पूरे होने के एक-दो दिन पूर्व झूठे दर्दों में तथा असली दर्दों में भी यह औषध हितकर सिद्ध होती है । जरायु की मुख की कठोरता में इस औषध की निम्न शक्ति को 1-1 घण्टे बाद देना हितकर है।
सिमिसिफ्यूगा 3 – कभी-कभी इसे देना भी लाभकर रहता है।
ब्रायोनिया 30 – हरकत से बढ़ने तथा आराम से घटने वाले दर्द में इसका प्रयोग हितकर है ।
एकोनाइट 30 – जरायु-मुख की कठोरता एवं जड़ता के कारण दर्द उठते हों, गर्भिणी बैचेन हो तथा उसे ज्वर चढ़ आया हो तो प्रयोग करें । ‘बेलाडोना’ जैसे लक्षण इसमें भी पाये जाते हैं ।
जेल्सीमियम 30 – जरायु-मुख की कठोरता के कारण नकली दर्द, शरीर में कम्पन, नर्वसनेस, शक्तिहीनता, चैतन्यता में कमी अत्यधिक आलस्य तथा मांसपेशियों का बहुत थकी-थकी होना-इन लक्षणों में हितकर है ।
सिकेल-कोर 30 – प्रसव जैसे दर्दों का देर तक रहना, रोगिणी द्वारा त्वचा के ठण्डे होते रहते हुए भी शरीर को कपड़े से ढकना सहन न कर पाना-लक्षणों में।
ऐक्टिया रेसिमोसा (सिमिसिफ्यूगा) 3, 30 – जरायु-मुख की कठोरता के कारण तीव्र-दर्द, स्नायविक कम्पन, सम्पूर्ण शरीर में थरथराहट तथा स्नायविक ऐंठन जो कभी होती हो और फिर हट जाती हो, कूल्हे से कूल्हे तक प्रजनन-प्रदेश में दर्द होने के लक्षणों में इसका प्रयोग करें ।