खाये हुये पदार्थों के ठीक से न पच पाने का नाम ही अजीर्ण है । इस रोग में भोजन न पचने के कारण डकार आती हैं, छाती में जलन होती है, वमन की इच्छा रहती है, गैस बनती है, आलस्य आता है और अनिद्रारोग हो जाता है । यह रोग मुख्यतः ज्यादा खाने और उल्टा-सीधा खाने के कारण होता है ।
नक्सवोमिका 30- रात को देर तक जागने, नशीले पदार्थों का सेवन करने के कारण रोग हो जाने पर देनी चाहिये ।
पल्सेटिला 30- तली हुई चीजें अधिक खाने के कारण अजीर्ण हो जिसमें छाती में जलन, मिचली आदि लक्षण हों तो प्रयोग करें ।
मर्कसॉल 30- चाय के अत्यधिक प्रयोग के कारण अजीर्ण होने पर लाभ करती है ।
चायना 30- दूषित व अस्वास्थ्यकर वातावरण में रहने के कारण रोग होने पर देनी चाहिये ।
एबिस नाइग्रा 30- भोजन करने के चार-पाँच घंटे बाद पाकाशय में तकलीफ होवे, कब्ज भी रहे तो देवें ।
ब्रायोनिया 30- अजीर्ण के साथ कब्ज होना, मुँह का स्वाद खराब रहना, चिड़चिड़ापन, बार-बार डकार आयें, गर्मी के दिनों में पेट-दर्द के साथ अजीर्ण होने पर लाभप्रद है ।
फॉस्फोरस 30- पुराने अजीर्ण-रोग में जब खट्टी डकार आने लगें और भूख भी लगनी बन्द हो जाये तो दें ।
हिपर सल्फर 30- पुराने अजीर्ण-रोग में, जब सभी चीजें पचनी बन्द हो जायें तो गुणकारी है ।