लैक डिफ्लोरेटम के लक्षण तथा मुख्य-रोग
( Lac Defloratum Uses In Hindi )
(1) रोगी शीत-प्रधान होता है, हरकत से तकलीफ बढ़ती है, दूध का पीना सहन नहीं कर सकता – दूध में से मलाई निकाल देने को लैक डिफ़्लोरेटम (सैपरेटा) कहते हैं। इस औषधि का व्यक्ति दूध पीने से बीमार पड़ जाता है। दूध उसके लिये जहर है। जो लोग दूध पीने से बीमार पड़ जाया करते हैं वे प्रकृति से शीत-प्रधान हुआ करते हैं, रक्तहीन होते हैं, गर्म कमरे में बैठने पर भी उन्हें ठंड सताती है। जहां दूसरे लोगों को गर्मी महसूस होती है वहां उन्हें ठंडक महसूस होती है। इस औषधि के रोगी की तकलीफें हरकत से बढ़ती हैं, आराम से उसे चैन पड़ता है। अगर उक्त लक्षणों पर ऐसे रोगी को जिसे दूध विष-सा लगता हो, इस औषधि की उच्च मात्रा दे दी जाय, तो उसका दूध को सहन न कर सकना खत्म हो जाता है, और वह बड़े आनन्द से दूध का मजा लेने लगता है। जो बच्चे दूध से नफ़रत किया करते हैं उनके लिये यह औषधि मित्र-समान है। कई बच्चे दूध से बीमार पड़ जाते हैं, परन्तु मलाई को बड़े शौक से खाते हैं – उन्हें भी अगर यह औषधि दी जाय, तो उनकी दूध के प्रति रुचि बढ़ जाती है।
(2) यह स्त्रियों का दूध बढ़ाता है – जिन स्त्रियों को भरपूर दूध नहीं उतरता उनका दूध बढ़ाने के लिये यह उत्कृष्ट दवा है। दूध सुखाने के लिये लैक कैनाइनम उपयुक्त है।
(3) सख़्त कब्ज को दूर करता है – बहुत पुरानी कब्ज इससे दूर हो जाती है। जब अनीमा और दस्तावर दवाएं भी बेकार हो जाती है, तब यह औषधि कब्ज को दूर कर देती है। डॉ० हैनरी ऐलन लिखते हैं कि एक रोगिणी जो 15 वर्ष से कब्ज की शिकार थी, प्रतिदिन 10-15 पिचकारी लेती थी, जो कई बार 4-5 सप्ताह तक पाखाना नहीं जाती थी, इस दवा से ठीक हो गई। टट्टी सख्त आती है, ऐसा लगता है कि गुदा-द्वार को लकवा मार गया है, पाखाना आते-आते अन्दर चला जाता है; ऐसी हालत में साइलीशिया से फायदा होना चाहिये, उससे भी फायदा न हो तो इस औषधि से लाभ होता है।
(4) बहुमूत्र रोग (Diabetes) दूर करता है – मूत्र-ग्रन्थियों पर इसका विशेष प्रभाव है। बहुमूत्र-रोग की यह अनुपम औषधि है। डॉ० कैन्ट लिखते हैं कि इस औषधि ने अनेक बहुमूत्र के रोगी ठीक किये हैं। इसमें आश्चर्य की भी कोई बात नहीं क्योंकि यह औषधि कमजोरी, रक्तहीनता, अत्यंत प्यास, अधिक परिमाण में पानी जैसा मूत्र आना, गाढ़ा मूत्र आदि लक्षणों को ठीक कर देती है, और जिस प्रकार के रोगियों को यह ठीक करती है उनका स्वरूप बहुमूत्र रोगी का-सा ही होता है। रोगी बड़ा थका-थका रहता है, परिश्रम नहीं कर सकता, बेचैन रहता है, निद्रा न मिले तो बीमार हो जाता है। निद्रा-नाश को सहन नहीं कर सकता, थोड़ी दूर चलकर ही थक जाता है। पूछ-ताछ करने पर पता चलेगा कि दूध पीने से भी उसे नफरत है।
(5) ठंडे पानी में हाथ रखने या दूध पीने से माहवारी बन्द हो जाती है – इसका एक विचित्र लक्षण यह है कि रोगिणी ठंडे पानी में हाथ रख दे तो माहावारी बन्द हो जाती है, शीत-प्रधान जो ठहरी। इसके अतिरिक्त माहवारी के सम्बन्ध में दूसरा विचित्र-लक्षण यह है कि एक गिलास दूध पीते ही दूसरी माहवारी के समय तक मासिक-धर्म फौरन बन्द हो जाता है। होम्योपैथी में इस प्रकार के विचित्र लक्षणों का औषधि निर्वाचन में बड़ा महत्व है।
(6) सिर-दर्द में पेशाब अधिक आता है – इसका सिर दर्द के सम्बन्ध में विचित्र लक्षण यह है कि जब सिर दर्द होता है तब पेशाब बहुत आता है। जेलसीमियम में भी सिर दर्द के समय पेशाब अधिक आता है, परन्तु जेल्स में पेशाब आने के साथ सिर-दर्द कम हो जाता है, इस औषधि में ऐसा नहीं है।
(7) शक्ति तथा प्रकृति – 6, 30, 200 (औषधि ‘सर्द’ – प्रकृति क लिये है)