प्राचीन काल से ही विद्वान, मनीषी एवं चिकित्सक आदि मानव की स्मरणशक्ति को लेकर चिंतित रहे हैं। प्राय: प्रत्येक नई, पुरानी चिकित्सा पद्धति में ‘स्मरणशक्ति’ बढ़ाने की कुछ तरकीबों, दवाओं अथवा क्रियाओं का इस्तेमाल होता है। हर व्यक्ति की याददाश्त अलग-अलग होती है। कुछ मेधावी व्यक्तियों की याद रखने की शक्ति चौंकाने वाली होती है, जबकि कुछ व्यक्ति जब-तब भूलते ही रहते हैं। जैसे-जैसे भूल बढ़ती जाती है, स्मरणशक्ति कमजोर होती जाती है।
उम्र बढ़ने के साथ-साथ प्रति दस वर्ष में करीब 6-7% स्मरणशक्ति कम होती जाती है। इसका कारण उम्र-वृद्धि के साथ मस्तिष्क के तंत्रिका हारमोन का घटना है।
समस्त प्रदूषण, शोर, मानसिक तनाव, चिंता, अनियमित दिनचर्या, कुपोषण, अरुचि, उदासीनता, अवसाद, अस्वस्थ शरीर, एकरसता आदि का बुरा असर याददाश्त पर पड़ता है।
स्मरणशक्ति के लिए जरूरी पोषक तत्त्व – सामान्यत: संतुलित और नियमित आहार लेने से शरीर और मस्तिष्क स्वस्थ रहता है। अत:स्मरणशक्ति भी ठीक रहती है, किन्तु विशेषज्ञों का मत है कि कतिपय खनिज तत्त्वों का संबंध याददाश्त की क्रिया से है। ये हैं लौह, जस्ता (जिंक) और बोरॉन।
स्मरणशक्ति बढ़ाने के उपाय – दैनिक जीवनचर्या शांतिमय, नियमित एवं आनन्दित रखें अत्यधिक व्यस्तता, महत्त्वाकांक्षा, धनार्जन और प्रतिद्वंद्विता से बचें। मानसिक चिंता, तनाव, उत्तेजना, ईष्या, डाह इत्यादि से अधिकाधिक बचें।
अपना खान-पान स्वच्छ, नियमित एवं संतुलित रखें। रुचिकर काम-काज करें। कार्य की एकरसता तोड़कर मन और मस्तिष्क को प्रसन्न रखें।
लौह तत्त्व की कमी का अर्थ है, एनीमिया (रक्तहीनता)। अत: एनीमिया से बचें। खाद्य पदार्थों में प्रोटीन और लौह की भी उचित मात्रा का समावेश करें, अन्यथा औषधि के रूप में लें।
हरी पत्तेदार सब्जियां, गुड़, फल,सलाद, दाल, दूध, दही का इस्तेमाल अधिक करें। खटास रहित फल, फलियां, गोभी, बंदगोभी में‘बोरॉन’ होता है। फल -सब्जी ताजे और मौसम के होने चाहिए।
निम्न बातों पर ध्यान देकर याददाश्त को और बेहतर बनाए रखा जा सकता है।
• प्रत्येक काम की याद को मात्र मस्तिष्क में न भरें – जैसे बाजार सामान खरीदने जाना है और क्या-क्या सामान लाना है। इसे शांति से बैठकर एक कागज पर लिख लें।
• कोई कार्य करते समय अचानक कोई दूसरा महत्वपूर्ण काम याद आ जाए, तो तुरंत उस कार्य को अपनी डायरी में उस जगह लिख लें, जहां करने वाले काम लिखे हैं।
• व्याख्यान देते समय प्राय: वक्ता अपने विषय को भूल जाते हैं अथवा विषयांतर कर जाते हैं। यदि व्याख्यान से पूर्व अपने विषय के मुख्य बिन्दुओं को लिख लें तो भूलने की समस्या से बचा जा सकता है।
• जिस बात को आप स्मरण रखना चाहते हैं, उसे बार-बार दोहराएं।
उपरोक्त उपायों के अलावा डॉक्टरों का कहना है कि समय-समय पर यदि कोई बात स्मरण न आए, तो आंखें बंद करके शांति से लेट जाना चाहिए अथवा बैठे-बैठे ही सारे शरीर को ढीला कर दें और आंखें बंद करके मन को आजाद छोड़ें थोड़ी देर बाद अपनी समस्या का उत्तर मिलने का इंतजार करें। इस विधि से प्राय: स्मरण हो जाता है।
स्मरण शक्ति बढाने के होम्योपैथिक उपचार :
होमियोपैथिक चिकित्सा के साथ ही साथ आयुर्वेदशास्त्र में भी स्मरणशक्ति को बढ़ाने की अनेकानेक औषधियों का वर्णन किया गया है।
• सिर में नियमित रूप से गोघृत या बादाम रोगन की मालिश से भी स्मरणशक्ति में वृद्धि होती है।
• आयुर्वेदशास्त्रियों का मत है कि शरीर के अंग-प्रत्यंगों से मेल खाने वाले फलों का सेवन करने से उन अंगों के विकारों में लाभ होता है। जैसे, उदर रोगों में पपीता, नेत्र रोगों में काली मिर्च, मुख विकारों में अनार एवं मस्तिष्कीय रोगों में अखरोट आदि खाने चाहिए।
• शंखपुष्पी एवं मिसरी सम मात्रा में कूटकर कपड़छन करके लगभग 5 ग्राम गौ दूध के साथ प्रात: सेवन करने से भी लाभ मिलता है। मालकांगनी चूर्ण भी लाभदायक है (गौ दूध के साथ)।
होमियोपैथिक औषधियों में स्मरणशक्ति की सुरक्षा के लिए सर्वोत्तम औषधि ‘एनाकार्डियम’ ही है।
स्मरणशक्ति क्षीण होने पर-‘एनाकार्डियम‘ औषधि पहले कुछ दिन तक 30 शक्ति में दिन में तीन बार लें। फिर लगभग दस से पंद्रह दिन बाद 200 शक्ति की तीन खुराक सप्ताह में सिर्फ एक दिन खाएं। फिर दो से चार सप्ताह बाद 1000 शक्ति की एक खुराक दस-पंद्रह दिन में सिर्फ एक बार खाएं और 1000 शक्ति की दवा को दुबारा खाने के बाद दवा बंद करें। साथ ही ‘कालीफॉस‘ औषधि पहले 6x शक्ति में दिन में तीन बार, चार-चार गोलियां लगभग 15 दिन खाएं। फिर अगले 15 दिन यही औषधि 12 × शक्ति में इसी प्रकार सेवन करें।
मानसिक रूप से कमजोर एवं मूर्ख प्रकार के बच्चों में, जो किसी बात को जल्दी न समझ पाएं, ‘बेरयट कार्ब’ औषधि 30 शक्ति में कुछ दिन खिलानी चाहिए।
अत्यधिक कामुकता एवं दुराचार के बाद मानसिक क्षमता का भी हास होने लगता है। ऐसी स्थिति में ‘एसिडफॉस‘ औषधि पहले मूल अर्क में, 10 बूंद एक चौथाई कप पानी में दिन में तीन बार, पंद्रह-बीस दिन लें। फिर 30 शक्ति में, दिन में तीन बार एक हफ्ता-दस दिन खाएं।
नाम भूल जाने पर, पढ़ाई-लिखाई या काम में ध्यान केंद्रित न कर पाने की स्थिति में ‘एनाकार्डियम‘ औषधि सर्वथा उपयुक्त रहती है। औषधि का सेवन पहले 6 x शक्ति में, तत्पश्चात् 30 शक्ति में करना चाहिए।
यदि कमजोर याददाश्त के साथ अजीर्ण रोग भी हो, तो ‘नक्सवोमिका‘ औषधि भी 30 शक्ति में सेवन करवानी चाहिए।
क्षीण स्मरणशक्ति के साथ ही त्वचा संबंधी रोग भी हों, तो ‘सल्फर‘ औषधि की तीन-चार खुराक 30 शक्ति में लेनी चाहिए।
कमजोर स्मरणशक्ति के साथ ही साथ आलस बना रहे, हर वक्त नींद आती रहे तो ‘जेलसीमियम‘ औषधि 30 शक्ति में कुछ दिन लेनी चाहिए। साथ ही ‘कालीफॉस’ 6 × में एवं ‘एनाकार्डियम‘ 30 शक्ति में भी लेनी चाहिए। सभी दवाएं एक-दूसरे से एक घंटे के अंतर पर लेनी चाहिए।
जो लोग नशा करते हैं एवं इस कारण मानसिक शक्ति का ह्रास हुआ है। उनके लिए ‘नक्सवोमिका‘ औषधि 200 शक्ति में तीन खुराक, शाम के समय एवं अगले दिन से ‘कैनाबिस इंडिका‘ औषधि 30 शक्ति में, दिन में तीन बार लेना लाभप्रद रहता है। ‘नक्सवोमिका’ एक हफ्ते बाद लेना पुन: चाहिए। ‘कैनाबिस इंडिका‘ पंद्रह दिन तक लें। पतले-दुबले-लम्बे बच्चों में‘फॉस्फोरस’ औषधि 30 शक्ति में कुछ दिन खिलाने पर अत्यंत लाभ मिलता है।
प्रौढ़ावस्था में मानसिक दुर्बलता होने पर ‘लाइकोपोडियम‘ औषधि 30 शक्ति में दिन में तीन बार दो-तीन दिन खानी चाहिए। हर हफ्ते इसी प्रकार दो-तीन दिन औषधि सेवन करना चाहिए। एक माह बाद औषधि बंद कर दें।
यदि मानसिक दुर्बलता के साथ शारीरिक दुर्बलता भी हो व मांसपेशियों में कमजोरी मालूम पड़े, तो ‘पिकरिक एसिड‘ औषधि 30 शक्ति में दिन में तीन बार एक हपता सेवन कराएं।
साथ ही यदि मांसपेशियों में ऐंठन भी रहे व पाखाना-पेशाब करने के बाद कुछ राहत महसूस हो, तो ‘जिंकम मेट‘ औषधि 30 शक्ति में दो-तीन दिन खिलानी चाहिए। एक-एक हफ्ते बाद पुन:दो-तीन दिन इसी प्रकार औषधि सेवन करना चाहिए। एक माह बाद औषधि सेवन बद कर दें।
उपरोक्त वर्णित औषधियां, अन्य रोगों में भी उपरोक्त वर्णित लक्षण मिलने पर, इसी प्रकार प्रयुक्त की जा सकती हैं। यही होमियोपैथिक का ‘लक्षणों की समानता का सिद्धांत’ है।