[ पक्षियों के खाने-योग्य मटर की जाति के एक तरह के पौधे से मूल-अर्क तैयार होता है ] – मूत्रयंत्र और स्त्री-जननेन्द्रिय पर इसकी प्रधान क्रिया होती है। ऋतु विलम्ब से होना, बाधक का दर्द, बहुत ज्यादा रजःस्राव, थोड़ा रजःस्राव, रजोलोप, जरायु-रोगग्रस्त स्त्रियों की मूत्रकृच्छता इत्यादि कई बीमारियों में इसका उपयोग होता है।
जरायु की पीड़ा – जरायु में बहुत दर्द और उपदाह ( इरिटेशन ), जरायु में रक्तसंचय, जरायु का रंग घोर लाल और उसमे सूजन, मूत्राशय-ग्रीवा में उपदाह की वजह से बार-बार पेशाब का वेग, योनि में उत्ताप और जलन मालूम होना। जरायु से रक्तस्राव ( uterine haemorrhage ), ज्यादा परिमाण में चमकदार लाल रंग का इत्यादि इस दवा का प्रधान लक्षण है।
मिचेला रिपेन्स के रक्तस्राव और पेशाब में जलन होती है, उसमे – सिकेलि, अस्टिलेगो और बोविस्टा की तरह स्राव थोड़ा-थोड़ा निकलता है और फिर कभी-कभी रक्तस्राव एक बार खूब जोर से होकर बहुत देर तक बंद रहता है।
प्रसव का दर्द – प्रसव होने के तीन महीने पहले से ही बीच-बीच में कभी-कभी कृत्रिम प्रसव का या झूठा दर्द ( false pain ) होना – मिचेला रिपेन्स इसकी सबसे उत्तम दवा है।
सदृश – एपिस, इयुपेट परप्युरियम, कोलोफाइलम, सिपि, हेलोनियस, हाइड्रोकोट, इयुवा उर्सी।
क्रम – Q से 2x शक्ति।