[ Cuban spider : एक तरह का मकड़ा ] – कोरिया और सूजाक या उपदंश – दोनों प्रकार के रोगों में इसका सफलतापूर्वक उपयोग होता है।
प्रमेह ( gonorrhoea ) – मूत्रनली में कभी-कभी डंक लगने जैसा दर्द, जलन, पेशाब करने के समय जलन, गरम पेशाब होना और अत्यंत कष्टकर लिंग का कड़ापन, बहुत दिनों तक रहनेवाला प्रमेह – इन उपसर्गों और प्रमेह रोग के लक्षण में माइगेल फायदा करती है।
नर्तन रोग ( chorea ) – समस्त अंग-प्रत्यंग लगातार फड़कते रहना, हाथ या हाथ-पैर दोनों अपने आप हिलते रहना, किसी भी तरह स्थिर नहीं रख सकना, चलने के समय पैर ठीक जगह पर नहीं पड़ना।
पाकस्थली की पीड़ा – मिचली के साथ दृष्टि-शक्ति का कम होना, बहुत ज्यादा प्यास। सोने से रोग में कमी आना, और सुबह में रोग का लक्षण बढ़ना।
पुरुष लिंग में अधिक उत्तेजना और साथ में दर्द जैसे लक्षण में माइगेल लाभ करता है।
सदृश – जिजिया, टैरेन्टुला, एगरिकस।
क्रम – 3 से 30 शक्ति।