बेहोशी का कारण
किसी कारणवश बेहोशी छा जाने की हालत को मूर्च्छा कहते हैं। जब मनुष्य को सुख-दु:ख आदि का अनुभव करने की शक्ति नहीं रहती और चलते फिरते या बैठे-बैठे अचानक आंशिक रूप से वह संज्ञाहीन हो जाता है, तो वह बेहोशी की अवस्था कहलाती है। यह अचानक गहरी चोट लगने, गंभीर आघात लगने आदि के फलस्वरूप हो जाती है। दूसरे शब्दों में आकस्मिक भय, विषपान, अधिक शराब पीने, अत्यधिक चिन्ता तथा शोक, हृदय की खराबी, मस्तिष्क में खून का संचार गलत ढंग से होने, पित्त दोष के बढ़ जाने, ज़्यादा शारीरिक कमजोरी आदि के कारण भी व्यक्ति बेहोश हो जाते हैं।
रोग की पहचान
इस बीमारी में मनुष्य अचानक ही बेहोश हो जाता है। यह बेहोशी कुछ देर के बाद या तो स्वतः दूर हो जाती है अथवा इसका इलाज कराना पड़ता है। बेहोशी की हालत में व्यक्ति की नाड़ी तथा श्वास की गति (चाल) ठीक बनी रहती है। परन्तु कई बार शरीर कांपता रहता है, मुख से लार गिरती है, नींद गहरी आती है, आंखों के सामने अंधेरा छा जाता है, याददाश्त कम हो जाती है।
बेहोशी का घरेलू उपचार
- अरहर की दाल को एक कप पानी में भिगो दें। आधा घंटा भीगने के बाद उस पानी को रोगी की नाक में बूंद-बूंद करके डालें। कुछ होश आने पर शेष पानी रोगी को पिला दें।
- सेंधा नमक को पीसकर पानी में गाढ़ा घोल बना लें। फिर इस घोल को नाक में डालें, बेहोशी दूर हो जाएगी।
- गर्मी की बेहोशी की हालत में हाथ-पैरों को रुई से सेंकना चाहिए।
- पुदीने की पत्तियों को रोगी की नाक के पास ले जाएं, कई बार इसे सुंघाने से बेहोशी टूट जाती है।
- तुलसी का रस माथे पर धीरे-धीरे मलें तथा दो बूंद नाक के दोनों नथुनों में डालें।
- खीरे को काटकर रोगी के माथे और आंखों पर रखें तथा इसकी फांक रोगी को सुंघाएं।
- रोगी को प्याज का रस सुंघाने से उसकी बेहोशी दूर हो जाती है।
- कई बार तो मुख पर ठंडे पानी के छींटें बार-बार मारने से भी बेहोशी दूर हो जाती है।
बेहोशी का आयुर्वेदिक उपचार
- काली मिर्च का महीन चूर्ण रोगी की नाक में डालें।
- लोबान की धूनी नाक में देने से बेहोशी दूर हो जाती है।
- बेर का गूदा, काली मिर्च, खस तथा नागकेसर। सबको बराबर की मात्रा में लेकर पीस लें। फिर पानी में घोलकर रोगी को धीरे-धीरे पिलाएं।
- स्त्री का दूध बेहोश व्यक्ति की नाक में डालने से उसकी बेहोशी दूर हो जाती है।
- संजीवनी वटी 2 गोली पान व अदरक के रस से दें।
- मृतसंजीवनी सुरा 1-2 चम्मच दें।
- आंवले का रस एक चम्मच तथा धी दो चम्मच । दोनों को मिलाकर रोगी को पिलाएं।
- शहद, सेंधा नमक, मैनसिल, काली मिर्च। इन सबको समान मात्रा में लेकर महीन पीस लें। इस चूर्ण को रोगी की नाक में डालें।
- छोटी कटेरी, गिलोय, सोंठ, पीपलामूल। इन्हें बराबर की मात्रा में लेकर एक कप पानी में उबाल कर काढ़ा बना लें, इसका सेवन करने से बेहोशी दूर हो जाती है।
भोजन तथा परहेज
- रोगी की बेहोशी दूर होने पर उसे दूध, घी, दही, अंडे, चावल की खीर, चीनी तथा स्नायु मंडल को लाभ पहुंचाने वाले खाद्य-पदार्थ खाने को दें।
- गुड़, खटाई, चटपटी व मसालेदार चीजें, मट्ठा, खट्टे फल, कब्ज बनाने वाले फल, गुड़, चाय, काफी, शराब, भांग, गांजा आदि के सेवन से उसको बचाएं।
- जाड़ों में गुनगुने पानी और गर्मी में ताज़े पानी से स्नान करें।