[ चन्दन का तेल ] – पेशाब, मूत्रयन्त्र और मूत्रनली पर ही इसकी प्रधान क्रिया होती हैं, और प्रमेह की बीमारी ( सूजाक) में ही इसका अधिक उपयोग होता है। हैकिंग-कफ (एक तरह की तेज आक्षेपिक खाँसी) व लगातार छाती फाड़ डालने वाली खाँसी में डॉ० बोरिक का कहना है – शुद्ध चन्दन का तेल 2-3 बूँद की मात्रा में, चीनी या बताशे के साथ सेवन करने से – थोड़े ही समय में फायदा मालुम देगा।
अगर चहरे पे तिल है और उसे हटाना चाहते हैं तो Oleum Santali Q की कुछ बून्द को तिल पे दिन में 3 से 4 बार लगाएं। 3 से 4 महीने के प्रयोग से चेहरे का या शरीर में कहीं का भी तिल हट जायेगा।
सूजाक – तकलीफ देने वाला लिंग का कड़ापन, प्रिप्यूस (लिंग का चर्म) का फूलना, सूजाक का मवाद पीला, गाढ़ा और पीब-जैसा; पेरिनियम के बीच में दर्द, सूजाक की ग्लीट अवस्था में अधिक परिमाण में पीले रंग का स्राव निकलना इत्यादि – इस दवा के लक्षण हैं ।
पेशाब की बीमारी – पेशाब निकलने की छेदवाली जगह लाल हो जाना, हर-वक्त वहाँ आग से जल जाने जैसी जलन होना, पेशाब पतली धार में और धीरे-धीरे निकलना और ऐसा मालूम होना जैसे कोई चीज मूत्रनली में दबाव डाल रही हो; खड़े होने से तकलीफ बढ़ना, मसाने के पास एक तरह का दर्द बना रहना।
मात्रा – तकलीफ के वक्त 2 से लेकर 10 बूँद तक तेल या – Q अथवा 2x-3x विचूर्ण चीनी या बताशे के साथ देनी चाहिए ।