पेट दर्द के कारण – अपच, कब्जियत एवं दस्त लगने के मामलों व पाकस्थली में विकार के कारण पेट दर्द उत्पन्न होता है। तेज पेट दर्द, आमाशय एवं डयूडीनम की बीमारियों, अल्सर, कैंसर, छोटी व बड़ी आंतों की बीमारियों, यकृत एवं पित्ताशय की बीमारियों, गुर्दो की बीमारियों आदि में होता है।
अपच, अजीर्ण, कब्जियत एवं दस्त, बुखार, जी मिचलाने व उल्टियाँ होने के साथ भी उदरीय दर्द हो सकता है।
पेट दर्द के लक्षण – भूख न लगना, पेट फूलना, पतले अजीर्ण जैसे दस्त, चक्कर आना, खट्टी डकारें, जी मिचलाना, पेट में वायु होना, अफारा, कब्ज आदि लक्षण होते हैं।
पेट दर्द का इलाज घरेलू आयुर्वेदिक/जड़ी-बूटियों द्वारा
– पेट दर्द होने पर 3 ग्राम पोदीने में जीरा, हींग, कालीमिर्च, थोड़ा सा नमक डालकर गर्म करके पीने से लाभ होता है।
– पेट दर्द भूखे होने से हो तो छाछ पीने से यह दर्द ठीक हो जाता है।
– उदरशूल और दु:साध्य उल्टियाँ रोकने के लिये पेट पर राई का लेप करें, तुरन्त लाभ होगा।
– सौंफ और सेंधा नमक पीसकर दो चम्मच गर्म पानी से फंकी लें।
– पेट दर्द व अपच होने पर सेंकी हुई हींग, जीरा, सोंठ व सेंधा नमक मिलाकर चौथाई चम्मच गर्म पानी से फंकी लें।
– एक चम्मच पिसा हुआ सिंका जीरा, एक चम्मच शहद में मिलाकर खाना खाने के बाद नित्य चाटें।
– पेट दर्द हो तो पिसी हुई लाल मिर्च में गुड़ मिलाकर खाने से लाभ होता है।
– दालचीनी, हींग, प्रत्येक चौथाई चम्मच मिलाकर पीस लें। एक गिलास पानी में उबालकर ठण्डा कर लें। तीन चम्मच नित्य तीन बार पीने से पेट दर्द ठीक हो जाता है।
– दो-तीन इलायची पीस लें एवं शहद मिलाकर चाटें, आशातीत लाभ होगा।
– पिसी हुई सोंठ एवं सेंधा नमक या काला नमक, जरा-सी हींग, एक गिलास पानी में गर्म करके पीने से कब्ज या अपच से होने वाले पेट दर्द में लाभ होता है।
– शक्कर एवं सूखा पोदीना समभाग लेकर लगभग दो चम्मच की मात्रा में फंकी लेने से लाभ होता है। पानी अगर गर्म हो तो अधिक हितकर रहेगा।
– जीरा पीसकर शहद के साथ मिलाकर चाटना लाभप्रद है। काला नमक एवं अजवाइन समभाग लें। इनसे दो गुना जीरा लेकर सभी पीसकर रखें। एक गिलास पानी में लगभग 2 चम्मच यह पिसा हुआ चूर्ण मिलाएँ एवं नींबू निचोड़कर पियें। पेट दर्द में लाभदायक है। इसके अलावा अपच एवं गैस में भी लाभ करता है।
– नींबू की फाँक में काला नमक, काली मिर्च एवं जीरा भरकर गर्म करके चूसें पेट दर्द में लाभ होगा। इसके सेवन से पेट में होने वाले कीड़े भी नष्ट हो जाते हैं।
– यदि किसी वस्तु के खाने से पेट दर्द होता है तो कुछ दिन लगातार शहद का सेवन करने से लाभ होता है।
– हरड़ का चूर्ण एक चम्मच गर्म पानी के साथ फंकी लेने से लाभ होता है। पाचन संस्थान ठीक रखने की दृष्टि से भी हरड़ का चूर्ण सप्ताह में 2-3 बार सेवन करना उपयुक्त है।
– भोजन करने से पहले अदरक, सेंधा नमक और नीबू का रस एक साथ खाने से पेट की वायु शान्त होती है।
– सोंठ और गुड़ बराबर लेकर और दूध में औटाकर पीने से पेट दर्द शान्त होता है।
– पीपल के चूर्ण को काले नमक के साथ खाने से पेट की वायु शान्त होती है।
– अदरक के रस में अजवायन को भिगोयें, फिर मसलकर सुखा लें और खायें तो पेट दर्द शान्त हो जाता है।
– आंवले के चूर्ण को गोमूत्र के साथ सेवन करने से पेट के लगभग सभी रोगों में लाभ होता है।
– ताजे आंवलों का रस 30 ग्राम रोज पीने से 2-4 दिन में ही पेट के कीड़े नष्ट हो जाते हैं।
– ताजे आंवलों के रस को मधु के साथ कुछ दिन तक सेवन करने से पेट और आंतों के छाले ठीक हो जाते है।
– प्रतिदिन भोजन करने के बाद 3 ग्राम आंवले का चूर्ण फांक कर पानी पी लेने से कमजोर आमाशय शक्तिशाली बनता है।
– आंवलों के रस में चीनी घोल कर पी जायें तो पेट दर्द शान्त होता है। चीनी के स्थान पर मधु हो तो ज्यादा अच्छा है या आंवलों का रस उपलब्ध न हो तो आँवले का चूर्ण लेकर उसमें मिश्री पीसें और ताजा पानी के साथ फांक लें।
– पेट में वायु के कारण उदरशूल हो जाता है। हींग 10 ग्राम, टाटरी 5 ग्राम, चीनी 200 ग्राम, जीरा सिका हुआ 50 ग्राम, तुलसी पत्र सूखे 5 ग्राम इन सभी द्रव्यों को कूट कपड़छान करके चूर्ण बना लें व आवश्यकतानुसार लें।
– हरड़ चूर्ण 2 ग्राम, तुलसी पत्र 1 ग्राम, सेंधा नमक 125 मि.ग्रा, अजवायन 250 मि.ग्रा , इन सबको मिलाकर आवश्यकतानुसार प्रयोग में लेने से उदर के सभी रोगों में लाभ होता है।
– अजवायन 4 ग्राम, नमक 2 ग्राम दोनों को गर्म पानी के साथ लेने से पेट का दर्द ठीक हो जाता है।
– हींग को पानी में पीसकर नाभि के चारों तरफ लेप करने से पेट का अफारा दूर हो जाता है।
– अजवायन 10 ग्राम, सोंठ 5 ग्राम, काला नमक 3 ग्राम तीनों को बारीक पीसकर 3-3 ग्राम गुनगुने पानी से दें।
– सोंठ, अजवायन 20 ग्राम, नीबू के रस में भिगोकर रखें। पेट दर्द, गैस होने पर आधा चम्मच गुनगुने पानी से लेने से पेट दर्द ठीक हो जाता है।
– एक नीबू का रस उसके बराबर पानी मिलाकर पीने से, पेट की गैस में, कब्ज, जोड़ों के दर्द में बहुत फायदा करता है।
– पीपल का चूर्ण, काला नमक, सेंधा नमक, काली मिर्च, आधा-आधा ग्राम पीस छानकर 250 ग्राम दही में मिलाकर छाछ बना लें। इस छाछ को पीने से पेट की गैस, अफारा आदि में लाभ करता है।
पेट दर्द का बायोकेमिक व होम्योपैथिक इलाज
मैग-फॉस 3x – जब दर्द का प्रकोप अत्यधिक हो तथा तड़पन हो।
कल्केरिया-फॉस 12x – यह अाँतों को सिकोड़ने में बहुत लाभदायक हैं।
फेरम-फॉस 12x – बुखार व दर्द दोनों अवस्थाओं में हितकर रहती है।
नेट्रम-फॉस 3x – खट्टी वमन व खट्टा गन्धयुक्त शौच तथा अम्ल के कारण शूल होने की स्थिति में उपयोगी।
नेट्रम-सल्फ 3x – मुँह का स्वाद तीता। पित्त की तेजी और उस कारण पेट दर्द होने की स्थिति में बहुत कारगर।
कोलोसिन्थ 6, 30 – पेट में यदि तीव्र दर्द हो। रोगी दर्द के मारे दुहरा हो जाये। पेट को तकिये अथवा हाथ से दबाने से आराम महसूस हो। ऐसा दर्द पेट में कहीं वायु रुकने के कारण नाभि के नीचे होता है। आँतें पिसी-सी महसूस होती है। मल त्यागने से आराम मिलता है, किन्तु इसके पश्चात् दर्द फिर आरम्भ हो जाता है। ऐसे रोगी के लिये यह औषधि लाभकारी है।
डायोस्कोरिया 3 – दर्द नाभि से ऊपर होता है। दबाने से आराम नहीं मिलता। चलने और खड़ा होने से आराम मिलता है। पेट में वायु के कारण गड़गड़ाहट-सी होती है। आँतों में भी दर्द महसूस होता है। रोगी पीछे को मुड़े तो राहत मिलती है।
कार्बोवेज 30 – पेट के ऊपरी भाग में हवा भरी रहती हैं। डकार आने से आराम मिलता हैं ।
लाइकोपोडियम 30, 200 – पेट में हवा भरी होती है। हवा का दबाव ऊपर-नीचे, दोनों ओर होता है। पेट में पड़ा भोजन सड़ जाता है। रोगी को भूख तो लगती हैं किन्तु थोड़ा खाते ही पेट भरा-सा लगने लगता है। पेट पर कपड़ा बाँधने से भी दर्द होता है।
नक्स वोमिका 30 – पेट में हवा भरी रहती है। पेट में बोझ-सा महसूस होता है। एक बार में पेट साफ नहीं होता। बार-बार मल करना पड़ता है। कब्ज रहती है।