मंदाग्नि के कारण प्राय: पेट में वायु विकार का प्रकोप हो जाता है। पेट में गुड़गुड़ाहट, जलन, बेचैनी, डकारें, सुस्ती, काम में मन न लगना, सिर दर्द, अफारा, चक्कर आना, कलेजे में दर्द, छाती के आसपास दर्द आदि इस रोग के प्रमुख लक्षण हैं। आजकल बहुत से लोग वायु रोग के शिकार हैं। इस रोग की सबसे सस्ती चिकित्सा यह है कि हींग और लहसुन डालकर बैंगन की सब्जी बनाएं। इस सब्जी को हर बार चटनी की तरह सेवन करें। यह सब्जी शरीर से फालतू गैस को निकालती रहेगी और पेट भी साफ करेगी। पाचन क्रिया ठीक करके वायु विकार से छुटकारा दिलाने के लिए यह उत्तम सब्जी है।
पेट की गैस का घरेलू उपचार ( pet ki gas ka gharelu upchar )
सेंधा नमक – सेंधा नमक एक भाग और देशी चीनी (बूरा) चार भाग – दोनों को मिलाकर बारीक पीस लें। आधा चम्मच नित्य तीन बार गरम पानी से लेने पर वायु गोला एवं वायु विकार ठीक हो जाता है।
पानी – खाना खाने के बाद एक गिलास गरम पानी (जितना गरम पिया जा सके) लगातार कुछ सप्ताह तक पीते रहने से वायु विकार में लाभ होता है।
सौंफ – नीबू के रस में भीगी हुई सौंफ भोजन के बाद खाने से पेट का भारीपन दूर होता है। गैस निकलती है, भूख लगती है तथा मल भी साफ होता है।
सेब – सेब का रस पाचन अंगों पर पतली-सी तह चढ़ा देता है, जिससे वे संक्रमण और बदबू से बचे रहते हैं। इससे वायु विकार भी ठीक हो जाता है।
हल्दी – पिसी हुई हल्दी और नमक दोनों 5-5 ग्राम गरम पानी के साथ लेने पर वायु विकार के कारण होने वाले पेट दर्द में बहुत लाभ होता है।
कालीमिर्च – दस कालीमिर्च का चूर्ण फांककर ऊपर से गरम पानी में नीबू निचोड़कर सुबह-शाम पीते रहने से वायु बननी बन्द हो जाती है।
मेथी – मेथी का साग वायु विकार में काफी लाभ पहुंचाता है। इससे कब्ज भी दूर होता है।
दूध – दूध उबालते समय उसमें एक पीपल डालकर दूध पीने से भी वायु विकार नहीं उत्पन्न होता।
अदरक – 6 ग्राम अदरक को बारीक काटकर थोड़ा-सा नमक लगाकर नित्य एक बार 10 दिन तक भोजन से पहले खाएं। पेट की गैस दूर हो जाएगी।
सरसों का तेल – नाभि के हटने से प्राय: पेट दर्द, अरुचि तथा वायु विकार हो जाते हैं। इनको दूर करने के लिए नाभि को सही बैठाना चाहिए। नाभि पर सरसों का तेल लगाने से भी लाभ होता है। रोग की तीव्रता होने पर रूई का फाहा सरसों के तेल में डुबोकर नाभि पर रख पट्टी बांध सकते हैं।
जायफल – जायफल को नीबू के रस में घिसकर चाटने से शौच साफ होकर वायु विकार दूर हो जाता है।
लौंग – 5 लौंग को पीसकर उबलते हुए आधा कप पानी में डालें, फिर कुछ ठंडा होने पर पिएं। इस प्रकार नित्य तीन बार सेवन करने से गैस निकल जाएगी।
हींग – हींग को गरम पानी में घोलकर नाभि के आसपास लेप करें। वायु विकार शांत हो जाएगा। 1 रती हींग को भूनकर किसी चीज के साथ खाने से भी वायु विकार में बहुत लाभ होता है। यदि वायुविकार के कारण पेट दर्द हो, तो 2 ग्राम हीग को 500 ग्राम पानी में उबालें। चौथाई पानी रहने पर गरम-गरम पिएं। गैस नहीं बनेगी।
अजवायन – 6 ग्राम अजवायन में 1 ग्राम काला नमक मिलाकर गरम पानी के साथ फंकी लेने से अफरा तथा वायु विकार दूर होता है।
बैंगन – ताजा लम्बे बैंगन की सब्जी खाते रहने से वायु विकार एवं अजीर्ण की बीमारी ठीक हो जाती है।
पुदीना – प्रात:काल एक गिलास जल में 25 ग्राम पुदीने का रस और 31 ग्राम शहद मिलाकर पीने से वायु विकार में विशेष लाभ होता है।
आलूबुखारा – आलूबुखारे के सेवन से वायु विकार दूर हो जाते हैं।
ककड़ी – ककड़ी का रस पीने से उच्च रक्तचाप, निम्न रक्तचाप एवं यूरिक एसिड की अधिकता के कारण होने वाले वायु विकार में लाभ होता है। ककड़ी का रस पीने से चेहरे के रंग में भी निखार आता है।
सोंठ – सोंठ तथा अजवायन को पीसकर नीबू के रस में भिगो दें। फिर इन्हें छाया में सुखाकर नमक मिला दें। कुछ दिनों तक नित्य दो बार 1-1 ग्राम सेवन करने से खट्टी डकार तथा वायु विकार में लाभ होता है। हींग, सोंठ तथा काला नमक-तीनों को मिलाकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण के सेवन से पेट की गैस बाहर निकल जाती है।
हरड़ – एरंड के तेल में भुनी हुई हरड़, सेंधा नमक तथा पिप्पली – तीनों चीजों का चूर्ण बनाकर एक सप्ताह तक सेवन करने से पेट में गैस बननी समाप्त हो जाती है। रात्रि शयन करते समय शक्कर मिश्रित दूध के साथ यह चूर्ण कुछ काल तक सेवन करने से अवरुद्ध मल आसानी से बाहर निकल जाता है।
काजू – काजू के पके फल खाने से आंत में एकत्रित वायु मिटती है।
गुड़ – हृदय रोग, उर:क्षत एवं वायु विकार से मुक्त होने के लिए चीनी, शक्कर आदि की अपेक्षा गुड़ का सेवन अधिक करना चाहिए।
मक्खन – मक्खन रुक्षता दूर करके पाचन संस्थान को स्निग्धता प्रदान करता है। इससे समस्त वात रोग और पेट के गैस ठीक हो जाते हैं।
गन्ने का रस – गन्ने का रस औटाकर पीने से गैस दूर होता है। स्वाद के लिए इसमें नीबू और अदरक का रस मिलाया जा सकता है।
अशोक – गैस एवं गुल्म होने पर अशोक पुष्प का चूर्ण 2-2 ग्राम गरम जल के साथ देने पर लाभ होता है।