पुरुष-मूत्राशय के मुख के चारों ओर अथवा मूत्राशय ग्रीवा में जो एक कड़ी गाँठ होती है, उसे मूत्राशय मुखशायी ग्रन्थि अथवा प्रोस्टेट ग्लैण्ड कहा जाता है। इस ग्रन्थि में से एक प्रकार का स्त्राव निकलता रहता हैं जो कि वीर्य के साथ ही निकला करता है । सूजाक अथवा अन्य किसी कारण से जब यह ग्रन्थि सूज जाती है, तब पेशाब का आना रुक जाता है । कभी-कभी इस ग्रन्थि में मवाद पड़ जाने पर पेशाब में खून अथवा मवाद भी आने लगता है । शोथ होने के अतिरिक्त यह ग्रन्थि वृद्धावस्था में बढ़ भी जाया करती है, उस समय पेशाब कष्ट से निकलता है और कभी-कभी रुक भी जाता है । वृद्धावस्था में कभी-कभी पाखाने के साथ एक प्रकार का गाढ़ा स्राव सा निकलता है, वह वीर्य न होकर इसी ग्रन्थि का स्राव होता है । मलान्त्र में अंगुली डालने पर यदि ग्रन्थि फूली हुई, गरम तथा दर्द भरी हुई प्रतीत हो तो उसे प्रदाहित समझना चाहिए । इस ग्रन्थि में होने वाले विभिन्न दोषों की चिकित्सा निम्नानुसार करनी चाहिए :-
मूत्राधार, मूत्रमार्ग तथा मूत्रेन्द्रिय की जड़ में अधिक दर्द का अनुभव, मल तथा मूत्र का बन्द हो जाना तथा कभी-कभी पीव उत्पन्न हो जाना-इस रोग के मुख्य लक्षण हैं । सूजाक आदि के कारण इस ग्रन्थि में प्रदाह उत्पन्न हो जाने पर निम्नलिखित औषधियों का लक्षणानुसार प्रयोग करना चाहिए :-
पल्सेटिला 3, 30 – सूजाक अथवा अन्य किसी कारण के उत्पन्न प्रोस्टेट ग्लैण्ड के शोथ में यह औषध बहुत लाभ करती है ।
मर्क्युरियस सोल्यूबिलिस 6 – नये प्रदाह की अवस्था में यह औषध लाभकारी है । पस पड़ जाने पर भी यह लाभ करती है ।
चिमाफिला अम्बेलाटा 3x, 200 – यह इस रोग की अत्युत्तम औषध मानी जाती है।
नाइट्रिक एसिड 30 – डॉ० ज्हार के मतानुसार यदि सूजाक का उचित उपचार न करके उसे औषधियों द्वारा दबा दिया गया हो और उसके कारण प्रोस्टेट ग्लैण्ड में शोथ हो गया हो तो इस औषध के देने से पूर्ण लाभ होता है। यह पुराने शोथ में भी लाभ करती है ।
थुजा 3 – सूजाक के कारण उत्पन्न हुए नवीन-शोथ में इस औषध के सेवन से लाभ होता है। शोथ में दर्द, जलन, सूजन, मवाद तथा पेशाब में रुकावट आदि के लक्षणों में भी हितकर है । इसे प्रति दो घण्टे के अन्तर से देना चाहिए । यदि रोग बहुत पुराना हो तो 6 अथवा 30 शक्ति की मात्रा में देना ठीक रहता है ।
सल्फर Q, 30 – यदि प्रोस्टेट के शोथ में पस पड़ गया हो तो नाइट्रिक एसिड देने के बाद अथवा बीच-बीच इस औषध की एकाध मात्रा देते रहने से विशेष लाभ होता है। प्रोस्टेट के पुराने शोथ में पस पड़ जाने पर भी हितकर है ।
कालि-आयोड Q – इसे पुराने प्रदाह में एक ग्रेन की मात्रा में कुछ समय तक सेवन करते रहने से लाभ होता है ।
सैबाल सैरूलाटा Q – जिन लोगों में सलाई डाले बिना पेशाब होता ही नहीं, उनके लिए यह औषध हितकर सिद्ध होती है ।
आर्निका 3x – चोट के कारण उत्पन्न हुए प्रदाह में इसे दें ।
टैरेण्टुला 6 – हस्त-मैथुन के कारण उत्पन्न प्रदाह में इसे देना चाहिए।
एसिड-फॉस 3x – सहवास के साथ उत्पन्न हुए प्रदाह में इसे देना चाहिए ।
पीड़ा वाले स्थान पर गरम सेंक करना तथा रोगी को सुलाये रखना उचित है।