चूहे द्वारा मनुष्य को काट लेने के कारण उसके शरीर में विशेष प्रकार के कीटाणु चले जाते हैं जिसके, दुष्परिणामस्वरूप रोगी को बार-बार बुखार हो जाता है तथा चूहा काटने के 2 से 6 सप्ताह बाद उस स्थान पर दर्द, सूजन, घाव या छाला हो जाता है। घाव पीला, नीला हो जाता है और पीप बहने लगती है । शारीरिक कमजोरी, माँसपेशियों और जोड़ों में दर्द होता है । मितली, सिर में और गले में भी दर्द होता है तथा 103° से 104° फारेनहाईट तक सर्दी लगकर ज्वर हो जाता है। शरीर पर खुजली, ददोड़े निकल आते हैं । ज्वर एक से लेकर 8 दिन तक तेज होता जाता है तथा पुनः 2 से 8 दिन के बाद ज्वर हो जाता है। इस प्रकार से कई महीनों अथवा कई वर्षों तक ठहर-ठहर कर रोगी को ज्वर होता रहता है ।
चूहे के काटने से होने वाला बुखार का एलोपैथिक उपचार
चूहा काटे का डंक कास्टिक से जला दें अथवा एंटीसेप्टिक लोशन जैसे डेटोल (Dettol) को काटे स्थान पर बार-बार मलते रहें ।
सल्फाडायजीन की 4 टिकिया जल से खिलायें तदुपरान्त प्रत्येक 4-4 घण्टे के अन्तराल से 2-2 टिकिया 8-10 दिनों तक खिलाते रहें ।
वैक्ट्रिम (रोश कम्पनी) वयस्क रोगी को खाना खाने के बाद 1–1 टिकिया सुबह-शाम एक गिलास ताजा जल से 12-12 घंटे के अंतराल से लगातार 5-7 दिन तक खिलाएं।
टेरामायसिन (फाईजर कम्पनी) 250 मि.ग्रा. का 1-1 कैप्सूल प्रत्येक 4-5 घण्टे के अन्तराल से प्रतिदिन 4 कैप्सूल 5-6 दिन तक खिलायें ।
प्रोकेन पेनिसिलिन-जी 5 लाख यूनिट का मांसपेशी में प्रत्येक 12-12 घण्टे के अन्तराल से लगायें ।
आक्सीस्टेक्लिन (साराभाई कम्पनी) – वयस्कों को 2 मि.ली. तथा बच्चों को आधा से एक मिलीलीटर का नितम्ब के गहरे मांस में प्रतिदिन इन्जेक्शन लगायें तथा साथ में डेल्टा कार्टियल (फाईजर कम्पनी) आधा से 1 मिलीलीटर का मांस में इन्जेक्शन 1 घण्टे बाद प्रतिदिन इन्जेक्शन लगायें । .
सेण्डोसायक्लिन (सैण्डोज कम्पनी) – वयस्कों को 1 कैप्सूल प्रत्येक 6-6 घण्टे के बाद तथा साथ में डेकाड्रान (मर्क शार्प एण्ड डोहम) की 1 टिकिया ऊपर की औषधि के 15 मिनट बाद सेवन करायें ।