छींक नाक और मुंह के माध्यम से हवा का अचानक, जोरदार और अनियंत्रित झटके होते हैं। नाक बहने या गले के म्यूकस मेम्ब्रेन में जलन के कारण छींकें होती हैं। यह बहुत परेशान कर सकता है, लेकिन कभी एक गंभीर समस्या का रूप नहीं ले सकता।
छींकने के कारण की तरफ देखें तो : – सामान्य तौर पर पराग, फफूंदी, धूल से एलर्जी, सामान्य सर्दी या फ्लू, घर के साफ-सफाई करने से धूल नाक में जाना , वायु प्रदूषण, शुष्क हवा, मसालेदार भोजन, कुछ दवाओं और पाउडर से हो जाते हैं। किसी-किसी को एलर्जी ऐसी होती है कि सुबह उठते ही छींकें आनी शुरू हो जाती है।
अत्यधिक छींक आने का होम्योपैथिक उपचार
ACONITUM NAPELLUS 30 – अचानक ठंड, शुष्क हवाओं के संपर्क में आने के कारण छीकें आने पर इस दवा से लाभ मिल जाता है।
ALLIUM CEPA 30 – Coryza के दौरान लगातार और हिंसक छींक। नाक से जलन करने वाला पानी गिरना, गर्म कमरे में आने से रोग बढ़ जाना जैसे लक्षण पर इससे लाभ होता है।
AMMONIUM PHOS 30 – केवल सुबह के समय नाक और आंखों से अत्यधिक छींक आने में उपयोगी दवा है।
ARSENICUM ALB 30 – ठण्ड के कारण छींक होने लगे, गर्म कमरे में अच्छा महसूस हो, नाक से जलन होना, प्यास लगना, बेचैनी हो तो इस दवा को लें।
ARSENICUM IOD 30 – छींकने के साथ जलन, जी मिचलाना। नाक के पानी से नथुने और होंठ जल जाते हैं। रोगी खुली हवा में और ठंडे अनुप्रयोगों से अच्छा महसूस करता है।
CALCREA PHOS 30 – Coryza के बिना छींक आने के लक्षण में उपयोगी दवा है।
CYCLAMEN 30 – कान में खुजली के साथ छींक आने में इस दवा को लेना है।
GELSEMIUM 30 – बिना किसी कारण के सुबह छींकने की प्रवृत्ति अगर लगातार बना रहे तो इस दवा से लाभ होगा।
GLYCERINUM 30 – शाम को छींक आने के लक्षण में इस दवा का इस्तेमाल करें।
HEPAR SULPHUR 30 – ठंडी शुष्क हवाओं के कारण छींक आने के लक्षण में इस दवा का सेवन करना है।
Kali Sulph 6x – बार-बार छींक आना, गला बैठना, नाक से पानी आना, नाक का लाल होना, कभी-कभी ब्रोन्कियल अस्थमा में इस दवा कि 4 गोली दिन में 3 बार लेना है।
KALI IOD 30 – छींकने के साथ अगर आँख, नाक से गाढ़ा पीले रंग का बलगम आने पर इस दवा का सेवन करना है।
NAPHTHALINUM 30 – अत्यधिक छींक और आँखों में सूजन की उत्तम दवा है।
NATRUM MUR 200 – Coryza के साथ लगातार छींक आना। गंध और स्वाद नहीं आना । नींद से उठने के बाद छींक आना। नाक पानी से भरा होता है या अंडे की सफेदी जैसा होता है। रोगी उष्ण प्रकृति का होता है।
OPIUM 200 – अगर चयनित दवा असर नहीं कर रही, छीकें नहीं रुक रही तो इस दवा का प्रयोग एक बार अवश्य करें।
SABADILLA 30 – लगातार छीकें जोकि रुकने का नाम नहीं लेती, साथ में अधिक ठंड लगना जैसे लक्षण में लाभदायक है।
Saponaria Officinalis 30 – हिंसक छींक, साथ में तेज जलन और गले में खराश होना, गर्मी से रोग बढ़ता है, दाहिनी गले में समस्या हो तो इसका इस्तेमाल लाभदायक है।
SEPIA 30 – बरसाती मौसम में रोग का बढ़ना, सुबह बिस्तर से उठते ही छींक आना, साथ में अत्यधिक ठण्ड लगने के लक्षण में उपयोगी दवा है।
SILICEA 30 – छींकें आने के साथ मितली के लक्षण मिलने पर इस दवा से लाभ होता है।
SINAPIS NIGRA 30 – Coryza के साथ अत्यधिक छींकें, आंखों में खुजली और जलन, नाक का सूखना और दर्द में उपयोगी दवा है।
SULPHUR 200 – पंख या सिंथेटिक बिस्तर पर लेटने से छींकें आने पर उपयोगी दवा है।
TUBERCULINUM 200 – कई मामलों में, यह छींक को ठीक करता है या कम से कम उपचार में मदद करता है।