अल्सर का कारण – बार-बार चाय, कॉफी, सिगरेट, शराब के सेवन व खट्टे गरम, तीखे सूखे, जलन युक्त पदार्थ, अधिक मसाले वाले व अधिक अम्लयुक्त भोजन तथा चिंता, ईर्ष्या, जलन, क्रोध आदि से, कार्यभार के दबाव से, जल्दी काम करने के तनाव से या मानसिक तनाव, बेचैनी आदि कारणों से अल्सर होता है। पेप्टिक अल्सर में आमाशय और पक्काशय की श्लेष्मा में घाव हो जाते हैं। धीरे-धीरे क्षय भी होने लगता हैं तथा ऊतकों का क्षय भी होने लगता है। इसके कारण श्लेष्मा, पाचक रसों की क्रिया को सहन नहीं कर पाती हैं, फलस्वरूप ऊतकों का विनाश होने लगता है और अल्सर हो जाता है।
अल्सर का लक्षण – पेट में जलन सी होने लगती है। खट्टी डकार, खट्टी वमन, मितली, सिर चकराना, भोजन में अरुचि, पित्त का जल्दी-जल्दी बढ़ना, भोजन करने के कुछ देर बाद जलन दूर हो जाना, कब्ज। जब ज्यादा रोग बढ़ जाता है तो शौच के साथ खून आना, पेट में जलन बढ़ जाती है और छाती तक फैल जाती है। शरीर कमजोर, मन बुझा-बुझा सा, चिड़चिड़ापन आदि लक्षण हैं।
अल्सर का इलाज घरेलू आयुर्वेदिक/जड़ी-बूटियों द्वारा
– पत्तागोभी का रस एक-एक कप दिन में तीन बार पियें। ताजा रस ही पियें, वह कम से कम दो सप्ताह तक पियें। लाभ होगा।
– परिणाम शूल (अल्सर) के रोगी को अनार का रस व आंवले का मुरब्बा खिलायें।
– कच्चे केले की सब्जी अल्सर में फायदा करती है।
– भोजन के कुछ घण्टे बाद व रात को आमाशय के ऊपरी भाग में जलन और दर्द होने लगता है। इस रोगी को खाली पेट दूध नहीं पीना चाहिए क्योंकि इससे अम्ल बढ़ता है। तम्बाकू, कैफीन आदि के प्रयोग से अल्सर की तकलीफ अधिक होती हैं अत: इसे बन्द कर देना चाहिए। खाना तीन बार की अपेक्षा छ: बार खाना चाहिए। परिणाम शूल के रोगी के लिये चाय बहुत हानिकारक है, अत: इसका सेवन रोगी न करें।
– छोटी हरड़ और मुनक्का पीसकर गोली बनाकर सुबह-शाम खाने के बाद खाने से लाभ होता है।
– परिणाम शूल में जीरा, सेंधा नमक व घी में भुनी हींग का प्रयोग करें।
– आंवले के रस में शहद मिलाकर पीने से भी लाभ होता है।
– खाने के बाद पान खाने से भी लाभ होता है।
– अल्सर के रोगियों को प्रतिदिन कम से कम एक केला खाना चाहिए। यह अम्ल घटाकर सूजन को कम करता है।
– पिसे हुए सूखे आंवले को रात में भिगो दें। प्रात: उसमें आधा चम्मच पिसी सोंठ, चौथाई चम्मच जीरा, पिसी हुई थोड़ी सी मिश्री मिलाकर पीने से काफी आराम होगा।
अल्सर का बायोकेमिक व होमियोपैथिक इलाज
गैस्ट्रिक अल्सर में पेट दर्द, कै, पाखाने में कभी-कभी पीप या पीब आना। इसमें आंतों में जख्म हो जाते हैं। जो अक्सर ज्यादा मिर्च-मसाले, चिन्ता करने से होते हैं।
1. कैल्केरिया फॉस 3x या 12x, कैल्केरिया सल्फ 3x, काली फास 3x, नैट्रम फास 3x, नैट्रम सल्फ 3x, साइलीशिया12x, बराबर मात्रा में मिला कर दीजिये।
2. आंतों में घाव होने पर कैल्केरिया-सल्फ दें।
3. गैस्ट्रिक अल्सर में दूध और केला एक साथ खाने से बहुत लाभ होता है। केला खाते हुए दूध पियें।
4. कैल्केरिया म्यूर 3x, कैल्केरिया फास 3x या कैल्केरिया सल्फ 3x, फेरम फास 12x, काली फास 3x, नेट्रम म्यूर 3x, नेट्रम फास 3x, नेट्रम सल्फ 3x तथा साइलीशिया 12x – इन सबको मिलाकर दें।
इस रोग में आंतें तथा पेट में जख्म हो जाते हैं अत: रोगी का पेट खाली नहीं रहना चाहिये। हर दो-तीन घण्टे में थोड़ा-थोड़ा खाते-पीते रहना चाहिये।