मधुमेह –15 पत्ते बेलपत्र (जो शिवजी के चढ़ाते हैं) और 5 कालीमिर्च पीसकर चटनी बनाकर, एक कप पानी में घोलकर पीने से मधुमेह (पेशाब और रक्त में शक्कर आना) ठीक हो जाता है। यह लम्बे समय एक-दो साल लेने से स्थायी रूप से मधुमेह ठीक हो जाता है। नित्य प्रात: बेलपत्र का रस 30 ग्राम पीने से भी लाभ होता है।
दस्त – बेल का सूखा हुआ गूदा पीसकर दो-दो चम्मच सुबह-शाम ठण्डे पानी से लें। दस्त रुक जायेंगे।
पेचिश, दस्त – बेल का गूदा पानी में मथकर शक्कर मिलाकर शर्बत बनाकर एक-एक कप नित्य तीन बार पियें।
पेचिश – (1) सूखा बेल, धनिया समान मात्रा में पीसकर इनकी दुगुनी मात्रा में पिसी हुई मिश्री मिला लें। इसकी एक-एक चम्मच सुबह-शाम ठण्डे पानी के साथ फंकी लें। दस्तों में रक्त आना बन्द हो जायेगा। (2) बेल का सूखा हुआ गूदा और सौंफ प्रत्येक 15-5 ग्राम तथा सोंठ आठ ग्राम सबको पीसकर एक गिलास पानी में उबालकर आधा पानी रहने पर छानकर पियें। ऐसी दो खुराक रोजाना सुबह-शाम लें।
अाँव – बेल गिरी और आम की गुठली दोनों को समान मात्रा में पीसकर एक-एक चम्मच चावलों के माँड से सुबह-शाम फंकी लें। अाँव आना बन्द हो जायेगा।
कब्ज़ –15 ग्राम बील का गूदा और 15 ग्राम इमली दोनों को आधा गिलास पानी में मसलकर एक कप दही और स्वादानुसार बूरा (Sugar) मिलाकर लस्सी बनाकर पियें। कब्ज़ दूर होकर पेट साफ हो जायेगा। बील का शर्बत तो अंतड़ियों में जरा भी मल नहीं रहने देगा।
अम्लपित्त – एक चम्मच सूखे या ताजा बेल के गूदे में चौथाई चम्मच हरड़ का चूर्ण तथा एक चुटकी सेंधा नमक मिलाकर खाने से अम्लपित में आराम मिलता है।
बेर के फायदे
बेर ठण्डा, रक्तशोधक, नेत्रज्योति बढ़ाता है। रक्तातिसार और अाँतों के घाव ठीक करता है। भूख और वीर्य बढ़ाता है। नाक के अन्दर, बाहर फुसियाँ निकलने पर बेर सूंघना और उसका गूदा लगाना चाहिए। बेर यक्ष्मानाशक है।
पसीना – बेर के पत्तों को पानी में पीसकर शरीर पर भालिश करने से शरीर से निकलने वाले पसीने की बदबू दूर हो जाती है।