हिचकी रोग में सांस रुक-रुककर या हिक-हिक की आवाज के साथ बाहर निकलती है। यह रोग पेट में समान वायु तथा गले में उदान वायु के प्रकोप से पैदा होता है।
हिचकी आने के कारण – अपने आप सांसों के अंदर लिए जाने की स्थिति ही हिचकी है। डायफ्राम के अधिक सक्रिय होने से ही हिचकी आना शुरू हो जाता है। डायफ्राम एक प्रकार की मांसपेशी है जो कि हमारे फेफड़ों को संकुचन और फ़ैलाने में मदद करती है। भावनात्मक हालत, आमाशय का भरा होना तथा मिर्च, मसाले, खटाई, खट्टे या कड़वे भोजन का सेवन आदि हिचकी आने के कारण हैं। इस रोग में सिर दर्द, मिचली, उल्टी, माथे पर पसीना, पेट फूलना आदि उपसर्ग भी परिलक्षित होते हैं।
हिचकी रोकने के उपाय ( Hichki Rokne ke Upay )
राई – 10 ग्राम राई को 250 ग्राम पानी में उबाल-छानकर गुनगुना पिलाने से हिचकी बन्द हो जाती है।
हींग – यदि हिचकी अधिक आती हो, तो बाजरे के एक दाने बराबर हींग को गुड़ या केले में रखकर खाएं।
मूली – मूली के चार पत्ते खाने से हिचकी बन्द हो जाती है।
पुदीना – हिचकी बन्द न होने पर पुदीने के पत्ते या नीबू चूसें। पुदीने के पत्तों पर शक्कर डालकर भी चबा सकते हैं। हिचकी बंद हो जाएगी।
गुड़ – पुराना सूखा गुड़ पीसकर इसमें पिसी हुई सोंठ मिलाकर सूघने से हिचकी बन्द हो जाती है।
दूध – गरम दूध पीने से भी हिचकी ठीक हो जाती है।
देशी घी – थोड़ा-सा गरम-गरम देशी घी पीने से हिचकी शांत होती है।
सेंधा नमक – घी या पानी में सेंधा नमक पीसकर सूंघने से हिचकी तत्काल बन्द हो जाती है।
गना – गन्ने का रस पीने से हिचकी फ़ौरन रुक जाती है।
कालीमिर्च – एक कालीमिर्च को सूई में चुभोकर जलाएं और इसका धुआं सूंघें। हिचकी बन्द हो जाएगी।
छोटी इलायची – छोटी इलायची खाने से हिचकी रुक जाती है।
प्याज – प्याज के रस में शहद मिलाकर चाटने से हिचकी बन्द हो जाती है।
शहद – केवल शहद चाटने से भी हिचकी रुक जाती है।
अांवला – सोंठ, पीपल, अांवला और मिश्री – इन सबको पीसकर शहद साथ 3 ग्राम चाटने से हिचकी में लाभ होता है।
लगातार हिचकी आने का उपाय – अगर लगातार हिचकी आये तो सबसे अच्छा उपाय है मीठा खा कर घूंट-घूंट करके पानी पीना। चूँकि हिचकी वायु के रुकावट से संबंधित है तो एक सबसे बेहतरीन उपाय है अपनी साँसों को कुछ समय के लिए रोके रहना। गुड़ खाएं, खूब सारा घूंट-घूंट करके पानी पियें और अपनी सांसों को रोके रखें। लगातार हिचकी आना बंद हो जायेगा।