परिचय : 1. इसे धान्यक (संस्कृत), धनिया (हिन्दी), धने (बंगला), धणे (मराठी), धाणा (गुजराती), कातामल्लि (तमिल), दान्लु (तेलुगु), तथा कोरिएण्ड्रम सेटाइवम् (लैटिन) कहते हैं।
2. धनियाँ का पौधा एक वर्ष तक रहनेवाला और अनेक शाखाओं से युक्त तथा छोटा होता है। नीचे तथा ऊपर की पत्तियों की रचना में कुछ अन्तर रहता है। फूल बैंगनी रंग की झलक लिये सफेद होते हैं। फल छोटे, गोल-गोल, दो दालवाले होते हैं। ये ही सूख जाने पर धनिया तथा हरी अवस्था में पत्तियों की धनिया कहलाती हैं।
3. यह समस्त भारत में होती हैं। इसकी खेती की जाती है तथा जंगल में भी उग आती है।
धनिया के रासायनिक संघटन : हरी धनिया में जल का अंश 84 प्रतिशत होता है। फलों में उड़नशील तेल 1 प्रतिशत, स्थिर तेल 13 प्रतिशत, वसा 13 प्रतिशत, टेनिन, मैनिन एसिड तथा क्षार 5 प्रतिशत आदि पदार्थ मिलते हैं। तेल (कोरिएडर आइल) में कोरिएण्ड्रोल, जिरेतिओल तथा बुबोर्निओल तत्त्व रहते हैं।
धनिया के गुण : यह स्वाद में कसैली, कड़वी, मीठी, चरपरी, पचने पर मीठी, हल्की, चिकनी तथा गर्म है। इसका मुख्य प्रभाव पाचन-संस्थान पर तृष्णाशामक (प्यास रोकने के) रूप में पड़ता है। यह शोथहर, शूलशमक, मस्तिष्क-बलकारक, अग्निदीपक, उदर-कृमिनाशक, ग्राही, रक्तपित्त-शामक, हृदय-बलदायक, कफहर, मूत्रजनक, शुक्रक्षीणकर तथा ज्वरहर हैं।
हरा धनिया के फायदे ( hara dhaniya ke fayde )
1. रक्तातिसार : धनिया 1 तोला लेकर पीसकर उसमें मिश्री 1 तोला मिलाकर पीने से दस्त में रक्त आना रुक जाता है। धनिया में काला नमक उचित मात्रा में मिलाकर भोजन के पश्चात् लेने से खाने के बाद पाखाना जाने की आदत छूट जाती है।
2. वमन : वमन होने पर धनिया का थोड़ा-थोड़ा पानी दें।
3. मूत्र-दाह : यदि पेट, शरीर अथवा मूत्र में जलन होती हो तो 1 तोला धनिया रात्रि में पानी में भिगो दें। सुबह उसे ठंढाई की तरह पीस-छानकर मिश्री मिलाकर सेवन करें।
4. अनिद्रा : नींद कम आने पर हरी धनिया पीसकर उसके स्वरस में चीनी और थोड़ा पानी मिलाकर लें। इससे नींद गाढ़ी आती है, आँखों के आगे अँधेरा आना और सिर-दर्द बन्द होता है।
5. शिर:शूल : धनिया के रस का सिर पर लेप करें तथा कुछ बूंदें आँखों में डालें तो शिर:शूल बन्द हो जाता है।
6. छाले : धनिया का चूर्ण मुख में छिड़कने से मुख के छालों में लाभ होता है।
7. मासिक स्त्राव : धनिया पीसकर चावल के पानी के साथ सेवन करने से मासिक धर्म के दिनों में अधिक रक्त आना बन्द हो जाता है।
8. स्वप्नदोष : धनिया का चूर्ण मिश्री के साथ ठंडे जल से लेने से स्वप्नदोष (नाइट फॉल), मूत्रदाह, सूजाक, उपदंश में लाभ होता है।