इस रोग में सर्वप्रथम रोगी के शरीर में किसी भी स्थान की त्वचा पर एक सफेद निशान हो जाता है और उस निशान की त्वचा संवेदनरहित हो जाती है । धीरे-धीरे यह निशान फैलकर पूरे शरीर की त्वचा पर हो जाता है और यह त्वचा संवेदनरहित-सी ही हो जाती हैं- यही स्थिति सफेद दाग हो जाना या श्वेत कुष्ठ हो जाना कहलाती है । यह एक प्रकार का कोढ़ ही है और रोगी के साथ व्यवहार करते रहने से स्वस्थ लोगों की हो सकता है ।
आर्सेनिक सल्फ 3x- यह इस रोग की सर्वोत्कृष्ट दवा है । लगातार एक-दो मास तक देने पर भी लाभ न हो तो इसी दवा को 30 शक्ति में एक-दो मास तक प्रयोग करें | अगर फिर भी लाभ न हो तो इसी दवा को और भी अधिक उच्चशक्ति में दें ।
एनाकार्डियम ओरि०- यह भी सफेद दाग की एक अत्युत्तम दवा है। त्वचा का सुन्न हो जाना इसका प्रधान लक्षण है । शक्ति का निर्धारण रोगस्थिति के अनुसार करना चाहिये । लेकिन इसका अधिक समय तक प्रयोग नहीं करना चाहिये अन्यथा मानसिक विकार उत्पन्न होने का भय रहता है।
कॉमोक्लैडिया 2x- इस दवा के प्रयोग से लाभ होने की संभावना रहती है । डॉ० यदुवीर सिन्हा इस दवा का मूल अर्क प्रतिदिन 3 बार 5-5 बूंद की मात्रा में लेने को कहते हैं ।