इस रोग में व्यक्ति के पेट में पानी भर जाता है। इस कारण पेट फूल जाता है। रोगी हर समय दुःखी रहता है।
इलाज़ – (1) त्रिफला दो सौ ग्राम, कुटकी दो सौ ग्राम, छोटी हरड़ सौ ग्राम – तीनो को कूट पीस कर छान लें। लगभग पन्द्रह दिन तक इस औषधि का सेवन करने से जलोदर मिट जायेगा।
भोजन में केवल दूध लें। दूध पूर्ण भोजन है। पानी तथा खाद्यान्न बहुत कम मात्रा में लें। इससे धीरे धीरे पेट की सूजन भाग जाएगी।
(2) बाजार से जलोदरादि रस ले लें। या फिर यह रस घर पर बना लें। क्रिया इस प्रकार है – शुद्ध जमालगोटा, त्रिफला, सोंठ, कालीमिर्च, गंधक, पारा, पीपल चित्रकमूल की छाल – पप्रत्येक का चूर्ण दस दस ग्राम ले लें। पारा और गन्धक की कज्जली कर लें । इसके बाद अन्य दवाओं को कूट पीसकर कपड़छन कर लें। इसमें दन्तीमुल, सेंहुड़ और भांगरे के रस की सात सात भावनायें दें। रोज दो चुटकी चूर्ण धृतकुमारी रस के साथ लें। शीघ्र ही लाभ होगा।
यह रस जलोदर के पानी को धीरे धीरे बाहर निकलेगा। इसके साथ ही पेट में पानी बनने भी नहीं देगा।