अक्सर हकलाहट की समस्या 2 से 7 वर्ष की उम्र के बीच में शुरू होता है और लड़कों में लड़कियों की अपेक्षा यह समस्या अधिक पाई जाती है, लगभग 4 गुणा ज्यादा। रोगी को दवा और निरंतर अभ्यास से इस समस्या से निजाद दिलाया जा सकता है। मैं यहाँ कुछ मुख्य होम्योपैथिक दवा की चर्चा करूँगा कि कौन सी दवा से हकलाहट की समस्या पूरी तरह से ठीक हो जाती है।
Bovista 30 – यह दवा विशेष रूप से बच्चों और अधिक उम्र की कुंवारी स्त्री के हकलाहट में अच्छा काम करती है। ऐसे में इस दवा की 2 बून्द दिन में 3 बार लेना है।
Bufo rana 30 – अगर अधिक गुस्सा आने के समय हकलाहट की समस्या होती है तो आपको बूफो राना का सेवन करना है। 2 बून्द दिन में 3 बार लेना है।
Cuprum Met 30 – इसमें हकलाहट तो रहती है साथ में एक विशेष लक्षण है कि रोगी का जीभ सांप के जीभ की तरह अंदर-बाहर हुआ करती है। ऐसे लक्षण पर Cuprum Met 30 का सेवन कराना है।
Hyoscyamus 30 – इसमें रोगी को हर किसी पर सन्देश रहता है, साथ में उसे खुद पर भी संदेह होता है कि वह ठीक से बोल नहीं सकेगा, ऐसे में वह हकलाता भी है। ऐसे लक्षण पर Hyoscyamus 30 का इस्तेमाल करना है।
Merc Sol 30 – जीभ का कांपना, जीभ की क्रिया ठीक से नहीं हो सकने के कारण अगर हकलाहट हो रही है तो मर्क्यूरियस सोल 30 का सेवन हमें करना है। 2 बून्द दिन में 3 बार लेना है।
Stramonium 30 – इस दवा का इस्तेमाल लम्बे समय के लिए करना है। यह तब भी अच्छा काम करती है जब पार्किंसन रोग के कारण हकलाहट की समस्या हुई हो। हकलाहट की टॉप रेमेडी में यह दवा आती है। तो इसका इस्तेमाल हमें करना ही है।
टिप्स :- बताया गया दवाओं का इस्तेमाल एक महीने तक लगातार करनी चाहिए। यही लाभ न मिले तो और 2 महीने के लिए इस्तेमाल करें। रोगी के लक्षणों के आधार पर खुराक को बदला जा सकता है।
हकलाना एक बोलने की समस्या है जिसमें सामान्य प्रवाह और बोलने के प्रवाह के साथ लगातार समस्याएं दिखती हैं। हकलाने वाले लोग जानते हैं कि वे क्या कहना चाहते हैं, लेकिन उन्हें कहने में कठिनाई होती है। उदाहरण के लिए, वे एक शब्द, या वाक्य को दोहरा सकते हैं या लम्बा कर सकते हैं, या बोलने के दौरान रुक सकते हैं और कुछ शब्दों में कोई आवाज नहीं निकाल सकते हैं।
बोलना सीखने के समय छोटे बच्चों में हकलाना आम बात है। छोटे बच्चे तब हकला सकते हैं जब उनकी बोलने की क्षमता इतनी विकसित न हो कि वे जो कहना चाहते हैं उसे बोल सकें। अधिकतर बच्चे जो शुरू में हकलाते थे बाद में अच्छे से बोलने लग जाते हैं।
कभी-कभी हकलाना वयस्कता तक बनी रहती है। इस प्रकार के हकलाने से आत्मविश्वास और दुसरे लोगों के साथ बातचीत पर असर पड़ सकता है।
यदि आप एक वयस्क हैं और हकलाते हैं, तो आपको तनाव या चिंता का सामना करना पड़ता है या आपके आत्म-सम्मान, करियर या रिश्तों में प्रभाव पड़ता है। अपने चिकित्सक से मिलें और उचित इलाज की खोज करें।
हकलाने का कारण – शोधकर्ता अभी भी लगातार हकलाने के कारणों को जानने की कोशिश कर रहे हैं। कुछ मुख्य कारणों की चर्चा करेंगे :-
- अनुवांशिक कारण – हकलाना परिवारों में चलता है। अगर आपके माता-पिता हकलाते हैं तो संभव है कि यह समस्या आपको भी हो जाये।
- हकलाना कभी-कभी स्ट्रोक, आघात या मस्तिष्क की चोट के कारण भी हो सकता है।
- भावनात्मक आघात या मानसिक आघात के कारण भी हकलाने की समस्या हो सकता है।
हकलाने का लक्षण
- किसी शब्द, वाक्य को शुरू करने में कठिनाई आना
- किसी शब्द को लम्बा करके बोलना
- किसी खास शब्द को बार-बार दोहराना
- किसी खास शब्द को बोलते समय रुकना
- अतिरिक्त शब्दों जैसे “उम” को हर वाक्य के आगे लगाना
- किसी शब्द को बोलने के लिए चेहरे में जकड़न पैदा होना
- बात करने में चिंता
- तेजी से आँख झपकना
- होठों या जबड़े के झटकना
- सिर को हिलाना
- मुट्ठी को बांधना
जब आप थके हुए, जल्दबाजी या तनाव महसूस करते हैं तो हकलाना बढ़ सकता है। भीड़ में बोलने या फोन पर बात करने जैसी स्थितियां हकलाने वाले लोगों के लिए विशेष रूप से कठिन हो सकती हैं।
ज्यादातर लोग जो हकलाते हैं, वे खुद से बात करते समय बिना हकलाए बोल सकते हैं, इसका कारण यह है कि खुद से बात करते समय वे बिना डर के बोल पाते हैं।