इस रोग में नाक से रक्त-स्राव होता है | यह रोग दो प्रकार का होता है- पहला यह कि नाक से लगातार या रुक-रुककर रक्त निकलता ही रहे, दूसरा यह कि नाक से रक्त कुछ अंतराल के बाद निकले यानि नकसीर की प्रवृत्ति बन जाये । इस रोग के प्रमुख कारणों में- गर्मी के मौसम में खाली पेट रहना, गरम पदार्थ ज्यादा खाना, शरीर में पानी की कमी, सिर में चोट लगना, शरीर की आंतरिक कमजोरी, अति क्रोध आदि प्रमुख हैं ।
नकसीर फूटने की प्रथम अवस्था में- एकोनाइट 30 – नकसीर फूटने की प्रथम अवस्था में, जव कोई कारण समझ में न आये तो एकोनाइट देना ही उपयुक्त है । इसमें रक्त-स्राव के साथ वेचैनी व कमजोरी भी महसूस होती है । नकसीर का कारण लू लगना या शरीर के तापक्रम का बढ़ना भी हो सकता है । इस प्रकार की स्थिति में सर्वप्रथम यही दवा दें ।
पढ़ें एकोनाइट के होम्योपैथिक उपयोग के बारे में
नकसीर फूटने की प्रवृत्ति व रक्त का तरल होना- फैरम फॉस 30, 200 – ऐसे रोगी या बढ़ते उम्र के बच्चे जिनके हमेशा ही नाक से रक्तस्राव होता हो उन्हें यह दवा देनी चाहिये । चूंकि यह वायोकैमिक दवा है और इसका प्रयोग दशमिक क्रम प्रणाली में ही अधिक होता है परन्तु मैंने अपने अनुभवों में पाया है कि रक्तस्राव की प्रत्येक स्थिति में फैरम फॉस दशमिक क्रम प्रणाली की अपेक्षा 30 शक्ति में तीव्रगति से कार्य करती है व परिणाम भी यथासमय मिल जाता है । उक्त दवा रक्तस्राव की श्रेष्ठ दवाओं में से एक है । रक्तस्राव चाहे नकसीर का हो या चोट आदि लगने की वजह से हो या फिर शरीर के अन्य स्वाभाविक रास्तों से रक्तस्राव हो रहा हो- ऐसी सभी स्थितियों के लिये यह एक अद्वितीय दवा है ।
गहरे रंग का रक्त-स्राव- हैमामेलिस 30 – नकसोर हो या कोई अन्य रोग जिसमें शरीर के अंगों से गहरे रंग का रक्त निकलता हो तो ऐसी स्थिति में यह दवा देनी चाहिये । नकसीर में नाक से गहरे रंग का रक्त, जो बूंदबूंद निकलता है- ऐसी स्थिति में इस दवा का प्रयोग फैरम फॉस 30 के साथ पर्यायक्रम से किया जा सकता है ।
नाक से अकारण रक्त-स्राव होने पर- नैट्रम नाइट्रिकम 12,30 – यदि अकारण ही नाक से रक्तस्राव होने की प्रवृत्ति रोगियों में पाई जाती हो तो यह दवा देनी चाहिये। लाभ होने के बाद दवा की शक्ति बढ़ाते जायें व जब तक रक्तस्राव दुबारा न हो, दवा न दें ।
चोट आदि के कारण नकसीर पर- आर्निका 30 – यदि किसी दुर्घटना या चोट आदि की वजह से नकसीर हो तो सर्वप्रथम यह दवा प्रयोग करें। चोट आदि की वजह से होने वाली नकसीर पर आर्निका चमत्कारी क्रिया करती है ।
नकसीर की समस्त अवस्थाओं में- इपिकाक 30, 200 – नकसीर फूटने पर चमकीला रक्तस्राव होने पर इसे दे सकते हैं । कुछ विद्वानों का यहाँ और सफल दवा है ।
पढ़ें इपिकाक के होम्योपैथिक उपयोग के बारे में
गर्भावस्था में होने वाली नकसीर पर- सीपिया 200 – यदि स्त्रियों को गर्भावस्था में नकसीर फूटती हो तो ऐसी स्थिति में लाभप्रद है ।
पेट में कृमि आदि से होने वाली नकसीर में- सिना 30 – यदि पेट में कृमि आदि की वजह से नकसीर फूटती हो तो ऐसी स्थिति में इसका प्रयोग करें । उक्त दवा के मध्य फैरम फॉस 30 पर्यायक्रम से अवश्य देते रहें । यदि यह निश्चित हो जाये कि पेट में किस प्रकार की कृमियाँ हैं, तो उसके हिसाब से ही दवायें दे।
पढ़ें पेट के कीड़े का घरेलू इलाज के बारे में