पौष्टिक उत्पाद – मुरब्बा – आँवलों को पानी या भाप में उबालकर फाँकें कर लें, गुठली फेंक दें।
सामग्री – आँवलें की फाँकें 1 किलो, चीनी एक किलो, पानी आधा किलो।
विधि – चीनी के तीन भाग कर लें। एक भाग चीनी पानी में उबालें। पानी में चीनी पूर्ण रूप से घुल जाये। इसे कपड़े से छानकर पुनः उबालें। इसमें आंवलों की फाँकों को डालकर दुबारा उबाल आने तक पकायें। अाँच बन्द कर ठण्डा होने दें और जाली से ढककर रात भर छोड़ दें। अगले दिन फाँकों को अलग कर चाशनी में दूसरा भाग चीनी मिलाकर एक उबाल दें। उबलने पर अाँवले की फाँकें (जो चाशनी से अलग की थी) उबाल आने तक पकायें। अाँच बन्द कर इन्हें स्वतः ठण्डा होने दें और जाली से ढककर रात भर छोड़ दें। तीसरे दिन फाँकों को चाशनी से अलग कर खाली चाशनी में बचा तीसरा भाग चीनी मिलाकर एक उबाल दें। अब आँवले की चाशनी से अलग की हुई फाँकें डालकर पुनः उबालें और 5 मिनट तेज अाँच पर एक तार की चाशनी बनने तक उबलने दें। अब इसे हल्का गुनगुना होने पर काँच के जार में भरकर ढक्कन लगा दें। ये पाँच फाँकें नित्य खाने से एक अाँवला खाने से अधिक लाभ होगा।
परिरक्षित (Preserved) अाँवला जैम
सामग्री – पूर्ण पके हुए आँवले एक किलो, चीनी एक किलो, पानी 200 मिलीलीटर (लगभग 1 गिलास)।
विधि – आँवले धोकर स्टील के बर्तन में पानी में हल्की आँच पर उबालकर गुठली निकाल लें। आँवलों को पीसकर या मिक्सी से गूदा बना लें। इसमें चीनी मिलाकर गर्म करके चौड़े मुंह के जैम जार्स में गर्म ही भरकर ठण्डा होने पर ढक्कन लगाकर रखें। यह जैम तैयार हो गया। इसे ब्रेड, पराठे में लगाकर खायें।
इस जैम की दो चम्मच एक गिलास पानी में घोलकर पेय के रूप में ले सकते हैं। इस जैम की दो चम्मच में स्वादानुसार सेंधा नमक, कालीमिर्च, गर्म मसाला आदि मिलाकर चटनी के रूप में खायें। इस चटनी को टमाटर सॉस के स्थान पर खायें। इसी जैम को ठण्डे पानी में घोलकर जलजीरा डालकर शीतल पेय के रूप में पियें। ब्रेड स्लाइस पर यह जैम लगाकर खीरा, टमाटर कसकर सैण्डविच बनाकर खायें।
अाँवला चूर्ण – मोटे पके विकसित आँवलों को उबलते पानी में 5 मिनट डालकर देखें केि इनकी फाँकें अलग होने जैसी हो गई हैं, यदि कलियाँ (फाँकें) अलग नहीं हो तो कुछ समय और उबलने दें, फिर निकालकर सादे पानी में 10 मिनट रखकर निकाल लें। अाँवलों की फाँकों को अलग करके धूप में सुखा दें। गुठलियों को फेंक दें। जब ये पूरी तरह सूख जायें तो इनको पीस लें। चूर्ण तैयार हो गया। यह चूर्ण आँवलों के समान लाभदायक है।
उपयोग – (1) यह चूर्ण एक चम्मच सुबह-शाम लिया जा सकता है जो कि पर्याप्त रोग-निरोधक शक्ति देगा। (2) इस चूर्ण को दाल, चटनी, सब्जी आदि में खटाई के रूप में वांछित मात्रा में डाला जा सकता है। (3) गर्मी के दिनों में इसे ठण्डे पानी में इच्छानुसार चीनी मिलाकर शीतल पेय की तरह पिया जा सकता है। अधिक स्वादिष्ट पेय बनाने के लिए इसमें नमक व भुना-पिसा जीरा या जलजीरा मिलाकर लिया जा सकता है।