लेटिन नाम – कोफिया अरेबिका ( Coffea Arabica )
दर्द – कहीं भी, कैसा भी दर्द हो, कॉफी पीने से कम होता है। कॉफी में कैफीन तत्व होता है जो मस्तिष्क के अनुभव केन्द्र जिसे सेन्सरी कार्टेक्स (Sensory Cortex) कहते हैं, को प्रभावित कर उत्तेजना लाता है। इससे दर्द कम होता है।
कॉफी पेशाब अधिक लाती है। कॉफी पीने से हृदय व साँस की नलियाँ फैलती हैं। यदि तेज खाँसी, दमा का दौरा पड़ा हो तो बिना दूध और चीनी की गर्म काफी पियें।
स्फूर्तिदायक और पाचक – कॉफी पीने से मानसिक और शारीरिक थकान एवं भोजन के बाद पेट में होने वाली गड़बड़ियाँ दूर हो जाती हैं। भोजन के बाद कॉफी लेने से चित्त प्रसन्न और हल्कापन मालूम होता है मानो कि पेट में कुछ खाया ही नहीं है।
खाने-पीने से होने वाला पेट दर्द, अफीम खाने से हुई तेज अपच, भोजन न पचना, पेट दर्द होना, ऐसी स्थिति में तेज कॉफी पीने से स्फूर्ति आती है। अनिद्रा से उत्पन्न थकान भी कॉफी पीने से दूर होती है। कॉफी पीने से मस्ती प्रतीत होती है।
दमा का दौरा पड़ने पर कॉफी पीने से आराम मिलता है। यह बिना चीनी और दूध की पियें।
अफीम (Opium) – आधा-आधा घण्टे के अन्तर से गर्मा-गर्म कॉफी दो बार पीने से अफीम का नशा उतर जाता है। अफीम खाने की आदत छोड़ने वाले यदि कुछ सप्ताह कॉकी पीते रहें तो अफीम खाने की आदत छूट जाती है।
दुर्बलता – कॉफी अधिक पीने से वीर्य पतला होता है, ज्ञानतन्तु दुर्बल होते हैं, भूख बन्द होती है। पाचनशक्ति कमजोर हो जाती है।
बुढ़ापे में स्मरण-शक्ति कॉफी पीने से अच्छी रहती है। नित्य कॉफी पीने से बुढ़ापे में भूलने की बीमारी (अल्जाइमर्स डिजीज) होने का खतरा 50 प्रतिशत तक घट जाता है।
गर्भवती महिलाओं को कॉफी का कम-से-कम सेवन करना चाहिए, क्योंकि इसके कारण नवजात शिशु का वजन कम हो जाता है।
कॉफी लगातार लम्बे समय तक पीते रहने से स्नायु दुर्बल हो जाते हैं, स्वास्थ्य खराब रहता है। अत: इसे औषधि की तरह आवश्यकता पड़ने पर ही पीना चाहिए। कॉफी पीने से हानियाँ प्रतीत होने लगें तो होम्योपैथिक औषधि नक्स वोमिका-30 की चार खुराक नित्य एक सप्ताह तक लेने से इसके हर प्रकार के दुष्प्रभाव दूर हो जाते हैं।