ऐस्क्लेपियस नामक वृक्ष की ताजी जड़ या सोर से इसका टिंचर तैयार किया जाता है, यह दो प्रकार का होता है। Asclepias Cornuti और Asclepias Tuberosa इन दो प्रकार के ऐस्क्लेपियस का हम अधिक प्रयोग करते हैं।
ऐस्क्लेपियस कन्यूटी या साइरिका (asclepias cornuti or syriaca) यह औषधि विशेष रूप से हृत्पिण्ड व पेशाब सम्बन्धी कुछ बीमारियों, शोथरोग और वात रोग में प्रयोग होती है। शोथ और उदर-रोग से ऋतुस्राव का बन्द होना।
शोथ (dropsy) – इसके सेवन से पसीना और पेशाब का परिमाण बढ़कर कर शोथ रोग घट जाता है।
वात – शरीर की सन्धियों पर बीमारी का दौरा होने से यह एक लाभदायक औषधि है।
मात्रा – Q-1, 6 शक्ति।।
एस्क्लिपियस टयुबरोसा (Asclepias Tuberosa) – भोजन के बाद पेट फूलना और दर्द होना, पाखाने के पहले पेट में गड़गड़ाहट और दर्द होना, पीले रंग के पतले दस्तों के साथ छोटी-छोटी कृमि, धूम्रपान करने पर चक्कर आ जाना, ललाट और माथे के ऊपरी भाग में तेज दर्द, शीत ऋतु में रक्तातिसार इत्यादि कई बीमारियों और लक्षणों पर इसका पूरा अधिकार रहने पर भी वक्षस्थल की कई बीमारियों में ही इसकी अधिक आवश्यकता होती है।
मात्रा – Q, 6 शक्ति।