कैन्थरिस Q, 30- होमियोपैथी में जलने व झुलसने की तकलीफों पर मैंने इस दवा को सर्वोत्तम पाया है । जलने और झुलसने की प्रायः समस्त अवस्थाओं में यही दवा प्रयोग करनी चाहिये । इस दवा के मदरटिंक्चर को जले हुये स्थान पर निरन्तर तर बनाये रखने से न तो फफोले पड़ते हैं और न ही जख्म बनते हैं । रोगी को इसी दवा की 30 शक्ति का आन्तरिक सेवन भी कराना चाहिये ।
अनुभव- चूंकि मैं रोगियों की एक्युपंक्चर द्वारा भी चिकित्सा करता हूँ और एक्युपंक्चर में मैक्सीवेशन में मौक्सा (शुष्क जड़) त्वचा पर जलाते हैं जिससे जलन होती है । इसी प्रकार कपिंग करते समय कभी-कभी त्वचा पर छाले पड़ जाते हैं । इन अवस्थाओं में मैंने कैन्थरिस Q को चिकित्सापूर्व लगाया और जलने में भी लगाया- इससे न तो त्वचा पर छाले पड़े, न ही घाव आदि बने और न ही रोगी को जलन आदि हुई ।
अर्टिका यूरेन्स Q, 30- डॉ० एम० एल० टायलर ने लिखा है कि जलने की प्रत्येक अवस्था पर तत्काल आराम के लिये अर्टिका यूरेन्स को लगाना चाहिये, इससे छाले आदि नहीं पड़ते हैं और घाव शीघ्र भर जाते हैं, उनमें मवाद भी नहीं पड़ती है । रोगी को इस दवा की 30 शक्ति का आन्तरिक सेवन भी कराना चाहिये ।
कैलेण्डुला Q, 30– यदि रोगी के जले हुये स्थान पर घाव बन गया हो तो कैलेण्डुला Q की 20 बूंदों को बीस गुना गुनगुने पानी में डालकर उससे घाव को धोना चाहिये और घाव पर कैलेण्डुला Q लगाना भी चाहिये। यदि जलन हो तो कैन्थरिस Q भी कैलेण्डुला के साथ मिलाकर प्रयोग करें। रोगी को कैलेण्डुला 30 का आन्तरिक सेवन भी कराना चाहिये ।
आर्सेनिक एल्ब 30- यदि जले हुये स्थान पर काले रंग का छाला पड़ जाये, साथ ही जलन, ज्वर, तीव्र प्यास, कमजोरी, मृत्यु-भय आदि लक्षण भी हों तो इस दवा का सेवन कराना चाहिये ।
हिपर सल्फर 6– यदि जलने के कारण हुये जख्म पर मवाद पड़ गया हो तो इस दवा का सेवन कराना चाहिये ।
साइलीशिया 30- यदि जख्म सड़ना प्रारम्भ हो जाये तो यह दवा देने से लाभ होता है ।
कॉस्टिकम 200- डॉ० यदुवीर सिन्हा का कहना है कि आग से जल जाने का उपसर्ग, चाहे वह कितना ही पुराना क्यों न हो, इस दवा के प्रयोग से अवश्य ही दूर हो जाता है । उनका कहना है कि इस दवा के प्रयोग से सारी विश्रृंखला सुधर जाती है । अगर किसी व्यक्ति का हाथ जलने के से अवश्य ही सीधी हो जायेंगी । ऐसे कठिन प्रकरण जिनमें व्यक्तियों के अकस्मात जल जाने से शरीर की माँसपेशियाँ दूसरे अंगों से चिपट जाती हैं या अन्य अंग लोथड़े की तरह से होकर प्रायः निष्क्रिय हो जाते हैं तो ऐसी अवस्था में कॉस्टिकम उच्चशक्ति में प्रयोग करनी चाहिये परन्तु नई स्थिति में सदैव निम्नशक्ति का प्रयोग ही करना चाहिये ।
काली सल्फ 30- यदि नसों में रक्त जम जाये जिसकी वजह से नीलापन दिखाई देता हो तो यह दवा देनी चाहिये । इसके प्रयोग से रक्तस्राव ठीक होने लगता है, त्वचा से छिछड़े आदि नहीं उतरते हैं और पूरे शरीर में ऑक्सीजन की कमी की पूर्ति होने लगती है ।
गन पाउडर 3x- यदि गोली या बारूद लगने के कारण जख्म या छाले हो गये हों तो इस दवा को आठ ग्रेन की मात्रा में प्रतिदिन तीन बार दें ।