परिचय : 1. इसे त्वक (संस्कृत), दालचीनी (हिन्दी), दारुचीनी (बंगला), तज (मराठी), तज (गुजराती), कारुया (तमिल), सानलिफु (तेलुगु), दारसीनी (अरबी) तथा सिन्नेमोमम् जिलेनिकम् (लैटिन) कहते हैं।
2. दालचीनी का वृक्ष मध्यम आकार, कत्थईपन और लाली लिये , आधे से एक इंच तक मोटी छालवाला होता है। दालचीनी के पत्ते आमने-सामने, चर्म की तरह छोटे रोमों से युक्त और ऊपरी भाग पर चमकीले होते हैं। दालचीनी के फूल पिलाई लिये कत्थई रंग के होते हैं। दालचीनी के फल गहरे बैंगनी रंग के लगभग 1 इंच लम्बे होते हैं।
3. इसका मुख्य स्थान लंका है। यह दक्षिण भारत तथा हिमालय प्रदेश में भी पायी जाती है।
4. यह तीन प्रकार की होती है : (क) चीनी दालचीनी (चीन, सिंगापुर आदि से आनेवाली )। (ख) सिंहली दालचीनी (लंका की, अधिक मधुर और कम तीक्ष्ण)। (ग) भारतीय दालचीनी (सबसे मोटी और कम तीक्ष्ण)।
रासायनिक संघटन : इसमें एक उड़नशील तेल, सिनेमन आइल 2 प्रतिशत, सिनेमिक एसिड, राल, टैनिन, शर्करा, स्टार्च, एश (भस्म) आदि द्रव्य मिलते हैं। पत्तों से गहरे रंग का लौंग के समान गन्धवाला तेल निकलता है।
दालचीनी के गुण : यह स्वाद में कटु, मीठी, पचने पर कटु तथा हल्की, रूक्ष, तीक्ष्ण एवं गर्म है। इसका मुख्य प्रभाव श्वसन-संस्थान पर कफहर रूप में पड़ता है। यह उत्तेजक, पीड़ाहर, नाड़ी-संस्थान की उत्तेजक, वायुसारक, अग्निदीपक, यकृत-उत्तेजक, हृदय-बलकारक, क्षयहर एवं मूत्रजनक है।
दालचीनी के लाभ
हकलाना दूर करता है दालचीनी : दालचीनी को चबा चबा कर रोजाना खाने से हकलाने की बीमारी दूर हो जाती है। तुतलाने की समस्या भी दालचीनी ठीक करती है।
वीर्य को बढ़ाता है दालचीनी : रोजाना दूध के साथ दालचीनी के सेवन से वीर्य गाढ़ा और मोटा होता है। दालचीनी दूध को पचाने में भी मदद करता है।
पित्त की उल्टी में फायदेमंद है दालचीनी : अगर पित्त की उल्टी हो रही हो तो दालचीनी को पीस कर शहद के साथ सेवन कराने से पित्त की उल्टी बंद हो जाती है।
कब्ज को दूर करता है दालचीनी : जीरा, सोंठ, इलायची और दालचीनी को समान भाग में मिलाकर नित्य सेवन करने से कब्ज और भूख ना लगने की समस्या समाप्त हो जाती है।
खांसी में फायदेमंद है दालचीनी : सुखी और बलगम दोनों प्रकार की खांसी में दालचीनी उपयोगी है। दालचीनी को चबा कर खाने से सुखी खांसी में बहुत आराम मिलता है। एक गिलास पानी में थोड़ी से दालचीनी को आधे घंटे उबाल कर दिन में 3 बार सेवन करने से सुखी और बलगम दोनों प्रकार की खांसी में बहुत लाभ मिलता है।
भूख बढ़ाता है दालचीनी : अजवाइन और दालचीनी दोनों को कूट-पीस कर पाउडर बना लें और खाने से पहले इस पाउडर का सेवन करें। इससे अच्छी भूख लगेगी और खाना भी अच्छी तरह पचेगा।
दमा में फायदेमंद है दालचीनी : दालचीनी, अंजीर, इलायची, तुलसी का पत्ता और थोड़ी सी मिश्री को कूट-पीस पाउडर बना लें। इसके नियमित सेवन से दमा का रोग ठीक हो जाता है।
मुंह की बदबू दूर करता है दालचीनी : अगर मुंह से बदबू आती हो तो रोजाना दालचीनी को चबा कर उसका रस चूसने से बदबू चली जाती है और दाँत भी मजबूत बनते हैं।
फोड़ा का उपचार करें दालचीनी से : दालचीनी का बाह्य प्रयोग लवंग-तुल्य हैं। पर उठते फोड़े पर इसका लेप करने से फोड़ा बैठ जाता है। पीसकर इसका तेल देने से पाचन-क्रिया सुधरती तथा आँतों की सड़न भी मिटती है।
कैंसर के रोग में फायदेमंद है दालचीनी : अमाशय और हड्डी के कैंसर में दालचीनी और शहद को गुनगुने पानी में मिलाकर पीने से बहुत लाभ मिलती है। यह रोग से लड़ने की क्षमता बढ़ता है।
हार्ट अटैक होने की संभावना कम करता है दालचीनी : दालचीनी और शहद के प्रयोग करने से हृदय को काफी बल मिलता है और यह केलेस्ट्रॉल को भी नियंत्रित करता है। हृदय के धमनियों को मजबूत कर यह
हार्ट अटैक की संभावना को काफी कम कर देता है।
मोटापा कम करता है दालचीनी : सुबह और शाम गुनगुने पानी में दालचीनी और शहद के रोजाना प्रयोग से मोटापा को कम किया जा सकता है। दालचीनी और शहद केलेस्ट्रॉल को कम करता है और शरीर में बढ़े हुए चर्बी को धीरे धीरे समाप्त कर देता है।
जोड़ों के दर्द में फायदेमंद है दालचीनी : हल्के गुनगुने पानी में दालचीनी के निरन्तर सेवन से जोड़ों के दर्द में बहुत लाभ मिलता है। दर्द के कारण जिन्हें चलने फिरने में परेशानी होती है दालचीनी के प्रयोग से वो इससे राहत महसूस करते हैं। आर्थाइटिस के दर्द में दालचीनी एक रामबाण इलाज है।
पेट संबंधी रोगों में लाभदायक है दालचीनी : अगर भोजन नहीं पचता, गैस बनती है, पेट में दर्द हो या एसिडिटी हो, दालचीनी इन सबसे लिए बहुत ही फायदेमंद नुस्खा है। गुनगुने पानी में दालचीनी और शहद मिलकर लेने से पेट संबंधी सभी रोगों में बहुत लाभ मिलती है और पेट का अल्सर भी समाप्त हो जाता है।
श्वास-कास : श्वास-कास में भी इसे देते हैं। यह कफनि:सारक है। इसकी मात्रा है 5-15 रत्ती और तेल 2-15 बूंद। शेष प्रयोग लवंग जैसा है।
दालचीनी के नुकसान
(i) गर्भवती महिलायें दालचीनी के नियमित सेवन से बचें : दालचीनी के नियमित सेवन से गर्भवती महिला के गर्भ में संकुचन पैदा हो सकती है जिससे समय से पहले प्रसव की संभावना बढ़ जाती है।
(ii) दालचीनी से हो सकता है लिवर फेल : दालचीनी में कुमरिन नमक तत्त्व पाया जाता है जिसके ज्यादा सेवन से लिवर फेल हो सकता है।
(iii) त्वचा में जलन पैदा होना : दालचीनी के तेल को त्वचा पे लगाने से उसमे जलन पैदा होती है इसलिए शहद के साथ तेल को प्रयोग में लाएं।
(iv) पेट में जलन : दालचीनी के ज्यादा प्रयोग से पेट में जलन पैदा होती है। पेट के अल्सर वाले रोगी विशेष ध्यान दें।