लेटिन नाम – कोरिएंड्रम सातिवम ( Coriandrum Sativum )
प्रकृति – शीतल और खुश्क। हरा धनिया पोलिथीन की थैली में रखने से ताजा रहता है। धनिए का गुण ठण्डक पहुँचाना है।
पित्तनाशक – हरा धनिया पित्तनाशक है।
थायरॉयड ग्रन्थि बढ़ जाए, क्रिया उच्च या निम्न (Hyper or Hypothyroid) हो जाए तो पाँच चम्मच सूखा साबुत धनिया एक गिलास पानी में तेज उबालकर, छानकर नित्य सुबह-शाम पिलायें।
मुँह में सुगन्ध – धनिया हरा या सूखा चबाने से मुँह में सुगन्ध रहती है। अतः नित्य एक चम्मच धनिया चबायें।
पेट दर्द – पिसा हुआ धनिया और मिश्री पिसी हुई पानी में घोलकर पीने से दर्द ठीक हो जाता है।
नकसीर, रक्तस्रावी बवासीर, मासिक धर्म में अधिक रक्तस्राव होता हो तो 50 ग्राम साबुत धनिया दो कप पानी में रात को भिगो दें। प्रात: यह पानी छानकर पियें। रक्तस्राव बन्द हो जायेगा। इसके अलावा नकसीर में धनिये की हरी पत्तियाँ पीसकर सूँघे, ललाट (Forehead) पर लेप करें, इसके रस की तीन बूँद नाक में डालें, नित्य हरे धनिये की चटनी खायें, नकसीर में लाभ होगा।
ज्वर – हरा धनिया 20 ग्राम, मिश्री 10 ग्राम – ये दोनों पीसकर एक कप पानी में घोलकर हर तीन घण्टे से पिलाने से ज्वर उतर जाता है। प्यास कम लगती है।
खाने के बाद दस्त – धनिया में काला नमक मिलाकर भोजन के पश्चात् एक चम्मच लेने से खाने के बाद दस्त जाने की आदत छूट जाती है। केवल धनिए की फंकी से दस्त बन्द हो जाते हैं।
उल्टी – (1) उल्टी होने पर सूखा या हरा धनिया कूटकर उसका पानी निचोड़कर 5 चम्मच बार-बार पीने से उल्टी रुक जाती है। गर्भवती की उल्टी भी मिट जाती है। (2) चौथाई कप हरे धनिये का रस स्वादानुसार नीबू और सेंधा नमक मिलाकर जब तक उल्टियाँ बन्द नहीं हों, हर उल्टी के बाद पीने से लाभ होता है।
तिल, लाल मस्से और अन्य मस्सों (Warts) पर सूखा या हरा पत्तीदार धनिया पीसकर लेप करने से वे मिट जाते हैं और नये नहीं निकलते। यह दो माह तक लगायें।
गर्मी के रोग – रात को मिट्टी के बर्तन में दो गिलास पानी में पाँच चम्मच सूखा धनिया भिगो दें। प्रातः इसमें स्वाद के अनुसार मिश्री मिलाकर पियें। गर्मी के रोग ठीक हो जायेंगे। ग्रीष्म ऋतु में यह बहुत उपयोगी है। इससे पेशाब की जलन और रुकावट में भी लाभ होता है। गर्मी के कारण चक्कर और कै में लाभ होता है। गर्भिणी स्त्री के लिए ज्यादा लाभदायक है। नकसीर भी ठीक हो जाती है।
गले में दर्द व जलन हो तो हर तीन घण्टे से दो चम्मच सूखा साबुत धनिया चबा-चबाकर रस चूसते रहें। यह हर प्रकार के गले के दर्द विशेषकर गर्मी से गले में दर्द के लिए लाभदायक है। स्वाद के लिए मिश्री साथ में चबा सकते हैं।
पैरों की जलन – सूखा धनिया 10 ग्राम को भिगोकर पीसकर ठण्डाई की तरह तैयार करके पीने से शरीर के दाह (जलन) खासकर पैरों की जलन में लाभ होता है।
मूत्र जलन – यदि तेज प्यास, पेट, शरीर या मूत्र में जलन हो तो 15 ग्राम धनिया रात्रि में भिगो दें। सुबह उसे ठण्डाई की तरह पीसकर, छानकर मिश्री और दूध मिलाकर पियें, इससे जलन व हृदय की धड़कन यदि अधिक हो तो ठीक हो जाती है। धनिया और अाँवला रात को भिगोकर प्रात: मसलकर उस पानी को पीने से भी मूत्र को जलन दूर हो जाती है।
पेशाब रुकना – धनिये को हरी पत्तियों का रस आधा कप में स्वादानुसार चीनी मिलाकर पियें। यदि रुका हुआ पेशाब नहीं आए तो 1 घण्टे बाद पुन: पियें। पेशाब आ जायगा।
रक्तस्राव – 50 ग्राम धनिया पीसकर एक गिलास पानी में मिलायें। इसमें मीठा मिलाकर छानकर पियें। कहीं से भी रक्तस्राव हो रहा हो, इससे बन्द हो जाता है।
हृदय की धड़कन यदि अधिक मालूम होती हो तो सूखा धनिया और मिश्री समान मात्रा मिलाकर नित्य एक चम्मच ठण्डे पानी से लें।
आँव – धनिया और सौंफ 2-2 चम्मच को 2 कप पानी में रात को भिगो दें। प्रात: छानकर पानी अलग गिलास में भर लें तथा धनिया और सौंफ को पीसकर उसी पानी में घोलकर छानकर पियें। इससे मल में अाँव आना बन्द होगा।
तुतलाना – (1) 30 ग्राम धनिया और दस अमलतास (यह पंसारी के मिलता है) का गूदा दोनों को पीसकर इसकी 3 चम्मच नित्य एक गिलास पानी में घोलकर दो महीने कुल्ले करने से तुतलाना ठीक हो जाता है। (2) हरा धनिया पीसकर पानी डालकर छान लें। इसमें आधा चम्मच भुनी हुई फिटकरी मिलाकर नित्य कुल्ले करें।