इलाज़ – (1) हरड़ का बक्कल, जीरा, शुद्ध भिलावा – तीनो को पचास ग्राम की मात्रा में लेकर सौ ग्राम गुड़ में मिला लें। फिर इसमें से पांच ग्राम प्रातः भोजन के बाद सेवन करें। प्लीहा की वृद्धि रुक जाएगी।
(2) हरड़ का छिलका, सोंठ, बहेड़ा – तीनों की मात्रा पचास ग्राम लें। फिर कूटपीस कर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण में से चार ग्राम चूर्ण प्रतिदिन सेवन करें। प्लीहा के साथ-साथ पेट के अन्य रोग, प्रमेह आदि भी दूर हो जायेंगे।
(3) यदि पीपल, सोंठ और त्रिफला को बराबर-बराबर मात्रा में लेकर कूटपीस लिया जाये और उसमे थोड़ा सा नमक मिलाकर सेवन किया जाये तो प्लीहा का विकार नष्ट हो जाता है।