पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम ( PCOS ) का होम्योपैथिक इलाज
इस लेख में हम Polycystic ovary syndrome ( PCOS ) के एक केस की चर्चा करेंगे कि कैसे होमियोपैथी दवाओं से इस समस्या को ठीक किया गया।
एक 34 साल की महिला जो पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम के इलाज के लिए मेरे पास आई। रिपोर्ट में Bulky Uterus के साथ multiple small cyst दिख रहे थे। उन्हें समस्या एक वर्ष से हो रही थी। उसने अनियमित मासिक धर्म के साथ बहुत कम मासिक स्राव, कभी-कभी केवल खून की एक बूंद ही आती है ऐसा बताया। उसने मासिक धर्म के दौरान पेट के निचले हिस्से और पीठ में दर्द की भी शिकायत की।
- मैंने प्यास के बारे में पूछा तो उसने बताया कि अच्छी मात्रा में पानी, 5-6 लीटर पानी दिन के पीती हैं।
- भूख हाल ही में कम हुई है।
- भोजन में पहले मसालेदार और खट्टी चीजें पसंद थी, परन्तु अब दांतों की संवेदनशीलता के कारण खट्टा और मीठा नहीं खाती हैं।
- जीभ नीलापन लिए हुए था, दांतों के निशान दिख रहे थे।
- मल त्याग करने की इच्छा बहुत कम होती थी।
- मूत्र – पानी अधिक पीती थीं परन्तु, पेशाब अधिक मात्रा में नहीं होता था, पहले किसी भी तरह के तरल पदार्थ खासकर चाय पीने के बाद पेशाब करने की इच्छा होती थी।
- नींद में भी कमी थी, अगर समय पर नींद नहीं आई तो परेशानी होती थी।
- सपने – रेलगाड़ी, सांप, ऊंचाई से गिरने के
मानसिक अवस्था देखें तो :-
- चिड़चिड़ा मूड।
- आलसी, कोई काम करने की इच्छा न होना, दिन के अधिकांश समय बिस्तर पर लेटे रहने का मन होना।
- शुरू से ही Competitive Behaviour रहा है।
- जीवनसाथी के साथ कुछ मतभेदों के कारण सहवास से परहेज, और पिछले कुछ वर्षों से कामेच्छा में कमी भी है।
अन्य लक्षणों में :-
- ऊंचाई का डर
- खट्टे और मिठाइयों के प्रति दांतों की संवेदनशीलता।
- बार-बार खांसी होना
- जांघों के अंदरूनी हिस्से पर चकत्ते, जिसमे गंभीर खुजली होती है, पसीना आने पर खुजली बढ़ जाती है। उनके पति को भी जांघों के अंदरूनी हिस्से पर इसी तरह के चकत्ते हैं।
अब होम्योपैथिक दृष्टि से विचार करते हैं :-
जैसे ही मरीज क्लिनिक में दाखिल हुई उसके चेहरे पर उत्सुकता के भाव थे। मेरे पूछताछ करने के बाद, वह पूरी तरह से आश्वस्त होना चाहती थी कि मैं उसकी बीमारी को समझ गया हूँ और मैं इसके लिए दवा लिख सकूँगा। उनके मन में शक जैसा दिख रहा था कि मैं इनका इलाज कर भी पाउँगा या नहीं, ये मेरी बीमारी को समझ भी पाए हैं या नहीं।
मैंने इसे उनकी प्रकृति के रूप में माना और यह पूछकर सत्यापित किया कि क्या उसे अपने दोस्तों और पति पर शक होता है, उन्होंने कहा कि हाँ मैं करती हूँ। बहुत बातूनी भी थी, लगातार बोली जा रही थी, कभी-कभी एक लक्षण बताते-बताते बिना पूरा किये हुए दुसरे लक्षण पर पहुंच जा रही थी।
ऐसे में उनकी दवा का चयन करना और आसान हो गया
रोगी को मैंने लैकेसिस लेने की सलाह दी, 200 CH में हर हफ्ते एक बार। धीरे-धीरे करीब 6 महीने में उनका Bulky Uterus, cyst ठीक हो गए।
कभी-कभी छोटी सी बात जो कि एक विलक्षण लक्षण का काम करती है, और दवा निर्धारित करने में आसानी हो जाती है।
PCOS Homeopathic Solution Video
अनेक रोगियों के जटिल रोगों के निवारण के बाद यह सिद्ध हो चुका है कि अन्य पद्धति की अपेक्षा होमियोपैथी चिकित्सा पद्धति से बेहतर किया जा सकता है। इनमें महिलाओं के भी कुछ रोग सम्मिलित है। गर्भाशय संबंधी रसौली बीमारी महिलाओं में सामान्यतः कुछ ज्यादा ही देखने को मिलते है : –
अपने देश में तीस वर्ष से ऊपर की लगभग तीस प्रतिशत महिलाओं में रसौली पायी जाती है एवं बीस प्रतिशत महिलाओं को प्रोलैप्स की बीमारी परेशान करती है। प्रोलैप्स व रसौली एक साथ भी हो सकती है।
गर्भाशय की रसौली एक साधारण ट्यूमर होता है जो कि गर्भाशय की मांसपेशियों से जन्म लेती है। इसको फाइब्रोइड या मायोमा के नाम से जाना जाता है।
ये क्यों और कैसे पैदा होती है इसके बारे में वैज्ञानिकों में मंतव्य एक नहीं है। यह एक ही परिवार की कई महिलाओं में भी देखने को मिलती है।
रसौली गर्भाशय में कहीं भी बन सकती है। इसके बनने के स्थान पर ही महिला के लक्षण निर्भर करते है । रसौली की संख्या, आकार एवं बनावट निश्चित नहीं होती है। रसौली के कारण गर्भाशय में कुछ परिवर्तन देखने को मिलते है। जैसे – गर्भाशय के अंदर का स्थान बड़ा हो जाता है, गर्भाशय के अंदर की तह मोटी हो जाती है। इस तह को जाने वाले रक्त की मात्रा बढ़ जाती है। इन सभी परिवर्तनों के कारण महिला रोगियों में निम्न लक्षण देखने को मिल सकते है :
- अनियमित माहवारी
- माहवारी के समय पेट एवं कमर में दर्द
- माहवारी के समय अत्यधिक रक्तस्राव
- पेट के निचले हिस्से में दर्द की शिकायत
- पेशाब की थैली पर दबाव के कारण पेशाब के लक्षण भी हो सकते है, जैसे- पेशाब का बार-बार आना।
- अत्यधिक रक्तस्राव के कारण खून की कमी वाले लक्षण भी देखने को मिल सकते है।
रसौली की तरह एक अन्य रोग भी विवाहित महिलाओं को परेशान करता है जिसे प्रोलेप्स कहते है। इसमें रोगिणी के पेल्विक ऑर्गन शिथिल हो जाते है। गर्भाशय को अंदरूनी हिस्सों से बांधकर रखने वाले लिगामेन्टस में ढीलापन आ जाता है, जिससे संपूर्ण या आंशिक रूप से गर्भाशय अपनी अवस्था में न रहकर बाहर आने की कोशिश करता है।
इस रोग से पीड़ित महिलाएं निम्न लक्षणों की शिकायत कर सकती है। जैसे : –
- मासिक धर्म के समय अत्यधिक कमर दर्द एवं पेडू का दर्द ।
- बैठने में परेशानी का अनुभव।
- अनियमित माहवारी ।
- श्वेत प्रदर
- हर समय का कमर दर्द
Polycystic ovary syndrome का होम्योपैथिकउपचार
अंग्रेजी चिकित्सा पद्धति में प्रोलेप्स के ऑपरेशन के अलावा कुछ अन्य सलाह भी दी जाती है। प्रोलैप्स के ऑपरेशन में गर्भाशय तंतुओं को खींच कर बांध दिया जाता है एवं मांसपेशियों को भी ठीक कर दिया जाता है। यहां एक बात ध्यान देने योग्य है कि ऑपरेशन के कुछ दिन बाद प्रोलैप्स की शिकायत पुन: हो सकती है।
रसौली का अंग्रेजी चिकित्सा पद्धति में ऑपरेशन के अलावा अन्य कोई विकल्प नही होता है।
होमियोपैथी चिकित्सा पद्धति इन रोग को ठीक करने में पूर्ण सक्षम है। होमियोपैथी में महिला रोगी के सभी लक्षणों को लेकर रिपर्टराइजेशन कर कुछ दवाएं निर्धारित की जाती है। सही रूप से चयनित दवाओं का सेवन 90 प्रतिशत महिलाओं को तीन से छह माह में स्वास्थ्य लाभ देता है। होमियोपैथी चिकित्सा से प्रोलैप्स एवं रसौली की शिकायत को लक्षणों सहित समूल नष्ट किया जा सकता है एवं ऑपरेशन की अन्य परेशानियों से भी बचा जा सकता है।
जो लोग होमियोपैथी चिकित्सा में विश्वास नहीं करते है उन्हें भी चाहिये कि ऑपरेशन कराने से पहले किसी होमियोपैथिक चिकित्सक से सलाह अवश्य करें। अगर आपातकालीन सर्जरी कराने की आवश्यकता नहीं हो तो कुछ समय के लिये होमियोपैथी चिकित्सा कराना आश्चर्यजनक रूप से फायदेमंद साबित हो सकता है।
कुछ परिक्षित औषधियां
- सीपिया 1M ( पंद्रह दिन में एक बार )
- औरमम्यूर नेट्रोनेटम 3x, 6x
- ऐलेट्रिस फेरीनोसा Q
- हाइडैस्टिस Q
- कैलकेरिया आयोड 30
- कार्बो एनिमेलिस 30, 200, 1M इत्यादि अनेकों दवाएं है जिन्हें लक्षणों के अनुसार होमियोपैथिक चिकित्सक के परामर्श से सेवन करने पर आपको अवश्य स्वास्थ्य लाभ होगा।