मूंगफली के तेल का धर्म जैतून के तेल (Olive Oil) के समान है। जैतून का तेल बहुत महँगा मिलता है। अत: इसके स्थान पर मूंगफली का तेल काम में ले सकते हैं। मुट्ठी भर भुनी मूंगफलियाँ निश्चय ही पोषक तत्वों की दृष्टि से लाभकारी हैं। मूंगफली में प्रोटीन, केलोरिया और के, ई, बी विटामिन भरपूर होते हैं। ये अच्छा पोषण प्रदान करती हैं। मूंगफली में प्रोटीन, चिकनाई और शर्करा पाई जाती है। मूंगफली की भुनी हुई एक किलोग्राम गिरी में दो गैलन दूध और मुर्गी के तीन दर्जन अण्डों के बराबर ऊर्जा होती है। एक अण्डे के मूल्य के बराबर मूंगफलियों में जितनी प्रोटीन व उष्मा होती है उतनी दूध व अण्डे से संयुक्त रूप में भी नहीं होती। इसका प्रोटीन दूध से मिलता-जुलता है, चिकनाई घी से मिलती है। मूंगफली के खाने से दूध, बादाम और घी की पूर्ति हो जाती है। मूंगफली शरीर में गर्मी पैदा करती है, इसलिए सर्दी के मौसम में ज्यादा लाभदायक है। यह तर खाँसी में उपयोगी है। मेदे और फेफड़े को बल देती है। थोड़ी मात्रा में नित्य मूंगफली खाने से मोटापा बढ़ता है।
इसे भोजन के साथ, जैसे सब्जी, खीर, खिचड़ी आदि में डालकर नित्य खाना चाहिए। मूंगफली में तेल का अंश होने से यह वायु की बीमारियों को नष्ट करती है। यह पाचनशक्ति को बढ़ाती है और रुचिकर होती है लेकिन गर्म प्रकृति के व्यक्तियों के लिए हानिकारक भी है। मूंगफली ज्यादा खाने से पित्त भी बढ़ता है।
यक्ष्मा (टी.बी.) – मूंगफली में रसायन आर्जिनाइन नामक एमीनो अम्ल बहुतायत में पाया जाता है जो यक्ष्मा रोग को दूर करने में सफल हो सकता है। यह शरीर में नाइट्रिक ऑक्साइड का स्तर बढ़ाने में सहायक हो सकता है। नाइट्रिक ऑक्साइड शरीर की रोगप्रतिरोधक प्रणाली को चुस्त करता है। मूंगफली में वसा जैसे अन्य पौष्टिक तत्व भी होते हैं, जो कि रोगियों पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं। रोगियों को चार सप्ताह तक अन्य दवाओं के साथ आर्जिनाइन वाले कैप्सूल दिए गए। जिन रोगियों को आर्जिनाइन की खुराक दी गई उन पर उपचार का ज्यादा लाभ दिखाई दिया। तेज खाँसी जैसे लक्षणों में जल्दी सुधार देखा गया। थूक की जाँच में भी टीबी के जीवाणुओं के स्तर में कमी देखी गई। विशेषज्ञों का मानना है कि आर्जिनाइन थेरेपी को मदद से टी.बी. की चिकित्सा के समय में कमी लाई जा सकती है। विशेषज्ञों ने कहा है कि जहाँ आर्जिनाइन औषधि के रूप में सरलता से या सस्ते में उपलब्ध नहीं हो वहाँ मूंगफली से इसका काम लिया जा सकता है। टी.बी. के रोगियों को नित्य मूंगफली खानी चाहिए।
गर्भावस्था – गर्भकाल में साठ ग्राम मूंगफली नित्य खाने से गर्भस्थ शिशु की प्रगति में लाभ होता है। सेंकी हुई मूंगफली पीसकर पाउडर बना लें। गर्भावस्था में एक गिलास गर्म दूध में तीन चम्मच पाउडर डालकर नित्य एक बार पीने से स्वस्थ शिशु का जन्म होगा। सेंकी हुई मूंगफली खाती जायें और दो-दो घूँट दूध पियें। इस विधि से भी समान लाभ होगा।
दूध वृद्धि – नित्य कच्ची मूंगफली खाने से दूध पिलाने वाली माताओं का दूध बढ़ता है। नई सिकी हुई मूंगफली नियमित खाते रहने से भी माताओं के दूध में वृद्धि होती है।
त्वचा की कोमलता – जाड़े के दिनों में मूंगफली के तेल की मालिश करने तथा मूंगफली खाते रहने से त्वचा कोमल रहती है। हाथ-पैर नहीं फटते।
खुश्की, सूखापन – सर्दियों में त्वचा में सूखापन आ जाता है। जरा-सा मूंगफली का तेल, दूध और गुलाबजल मिलाकर मालिश करें। बीस मिनट बाद स्नान कर लें। इससे त्वचा का सूखापन ठीक हो जायेगा।
होंठ – नहाने से पहले हथेली में चौथाई चम्मच मूंगफली का तेल लेकर अँगुली से हथेली में रगड़े और फिर होंठों पर इस तेल की मालिश करें। होंठों के लिए यह लाभप्रद है।
मोटापा घटाना – कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि यदि खाना खाने से कुछ समय पूर्व थोड़ी सी भुनी हुई मूंगफली बिना चीनी की चाय या कॉफी के साथ ली जाए तो भूख जल्दी शांत हो जाती है और व्यक्ति कम भोजन करता है। इस प्रकार शरीर का वजन धीरे-धीरे कम होने लगता है।
हृदय – मूंगफली में विटामिन ‘बी’ भरपूर मात्रा में पाया जाता है। इसे शरीर के लिए आवश्यक कैलोरीज का भण्डार कहा जाता है। इसके उपरान्त भी मूंगफली के प्रयोग में यह विशेषता है कि इसमें हृदय को हानि पहुँचाने वाला कोलेस्ट्रॉल नामक पदार्थ नहीं होता। इसमें मोनो अनसेचुरेटेड फैटी एसिड (MUFA) होता है जो हृदय रोग के खतरे को कम करता है। मूंगफली के रिफाइण्ड तेल के डिब्बे पर भी छपा रहता है, हृदय रोग का खतरा कम करता है। यदि कम मात्रा में मूंगफली खायें तो दुष्प्रभाव नहीं पड़ेगा, लेकिन अधिक खाने से हानि हो सकती है। हृदय के रोगियों को मूंगफली कम-से-कम खानी चाहिये। मूंगफली दिल के लिए हानिकारक हो सकती है।
मूंगफली का तेल – हृदयरोगियों के लिए मूंगफली का तेल बहुत ही लाभप्रद होता है। यह रक्त में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को बढ़ने नहीं देता है। मूंगफली का तेल पौष्टिक और स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक होता है। यह सरलता से पच जाता है। इसमें प्रोटीन इतनी पर्याप्त मात्रा में होता है जिससे कि प्रोटीन के लिए कोई अन्य चीज लेने की आवश्यकता ही नहीं होती है।
हाथ, पैर और जोड़ों के दर्द में भी मूंगफली का तेल लाभ पहुँचाता है। मूंगफली के तेल से शरीर की मालिश करने पर स्नायु मजबूत होते हैं तथा दर्द में आराम मिलता है।
मूंगफली के तेल को गुनगुना करके मालिश करने से दाद, खाज, खुजली आदि त्वचा रोग ठीक होते हैं।