प्रकृति – गर्म। सरसों दो प्रकार की – पीली और लाल होती है। गुणवत्ता में पीली सरसों अच्छी होती है।
दाँत-दर्द – एक-दो बार सरसों का तेल एक नथुने से सूंघने पर दाँत का दर्द कुछ समय के लिए बन्द हो जाता है। इसे सूंघने से नाक, कान, नेत्र और सिर को शक्ति मिलती है। सरसों का तेल, नीबू का रस, सेंधा नमक मिलाकर मंजन करने से दाँत साफ होते हैं, दर्द और हिलना बन्द हो जाता है। नमक बहुत बारीक कपड़े में छानकर सरसों के तेल में मिलाकर मंजन करने से भी दाँत-दर्द, मसूढ़े फूलना ठीक हो जाते हैं।
मंजन – बहुत बारीक सेंधा नमक + नीबू का रस + जरा-सी फिटकरी सरसों के तेल में मिलाकर नित्य मंजन करने से दाँतों और मसूढ़ों की बीमारियाँ, दाँतों के कीड़े, दर्द, मसूढ़े फूलना बन्द होकर दाँत मजबूत और साफ हो जाते हैं। पाचन संस्थान ठीक रहता है।
मधुमेह – अखिल भारतीय मधुमेह संस्थान में आयोजित कार्यशाला में किये गये अनुसंधान के बाद यह तथ्य सामने आया है कि यदि सरसों के तेल का नियमित सेवन किया जाए तो इससे मधुमेह से पीड़ित रोगी को न केवल राहत मिलती है अपितु इस रोग के फैलाव को नियंत्रित करके रोगियों को मौत के मुँह में जाने से बचाया जा सकता है।
अनुसंधान के बाद यह निष्कर्ष सामने आया कि आहार के तौर-तरीकों को व्यवस्थित कर दिया जाए तो मधुमेह जैसे खतरनाक रोग के कारण होने वाली मौतों को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
रोगियों पर किए गए प्रयोगात्मक कार्यों के निष्कर्ष में यह पाया गया कि मूंगफली व सूर्यमुखी का तेल इस रोग की उग्रता को और तेज कर देता है। डॉ. गुप्त का कहना है कि इस रोग से पीड़ित व्यक्ति को बिना किसी दवा के केवल आहार से ही ठीक किया जा सकता है क्योंकि विटामिन ‘ई’ व ‘सी’ युक्त आहार इस रोग के उपचार में काफी सार्थक भूमिका अदा करते हैं।
त्वचा का सूखापन – ठण्डे मौसम में त्वचा खुरदरी और सूखी होती है। ठण्ड में शरीर पर सरसों के तेल की मालिश करके स्नान करने से ठण्ड कम लगती है। ठण्ड का प्रभाव कम होता है। सरसों के तेल की मालिश से शरीर हृष्ट-पुष्ट, चेहरे के धब्बों में कमी, त्वचा के रंग में निखार, सुन्दर, कान्तिमय और आकर्षक हो जाती है।
सरसों का तेल हानिकारक जीवाणुओं को मारता है, इससे रक्तसंचार में तेजी आती है, माँसपेशियाँ मजबूत होती हैं और नाड़ी तंत्र को बल मिलता है। इससे शरीर में ताजगी आती है, थकान मिटती है।
मालिश – शीत ऋतु में त्वचा की रुक्षता मिटाने एवं स्निग्ध बनाए रखने के लिए शरीर की मालिश करनी चाहिए। इससे त्वचा सुन्दर दिखती है। मालिश के लिए सरसों का तेल उपयोग में लीजिए। रात को सोते समय सरसों के तेल की मालिश करने से मच्छर नहीं काटते। कसरत से थकान होने पर पैरों पर मालिश करने से लाभ होता है।
पैरों की मालिश – भाव प्रकाश में लिखा है कि तलवों में तेल की मालिश करने से उनमें स्थिरता रहती है, नींद गहरी आती है: अाँखों की रोशनी बढ़ती है: पैरों का फटना बन्द होता है: पैरों का सो जाना, थकावट, स्तम्भ तथा संकोच मिटता है। पैरों में रोग नहीं होते।
जोड़ों का दर्द, मेरूदंड के रोग, लकवा, उच्च रक्तचाप आदि रोगों में तलवों पर सरसों के तेल की मालिश स्वयं 5 मिनट प्रतिदिन या सप्ताह में दो बार करने से लाभ होता है।
पित्ती, छपाकी – पित्तीं होने पर दस्तावर औषधि देकर पेट साफ करें। सरसों के तेल की मालिश करके गर्म पानी से स्नान करें। इससे पित्ती में लाभ होता है।
आटण, घट्टा (Corn) – सरसों के गर्म तेल से सेंक करने से आटण मिट जाता है।
अनुमावक स्नायुशूल (Trigeminal Neuralgia) – नाक, तालुमूल, कान के मध्य भाग के दर्द में सरसों का तेल खूंघने में लाभ होता है।