मनोविज्ञान की दृष्टि से इसे इस प्रकार से परिभाषित किया गया हैकिसी पदार्थ या परिस्थिति के प्रति असामान्य तथा स्थायी भय को असंगत भय कहते हैं । यह एक ऐसा अताकिंक भय है जो किसी वास्तविक भयप्रद परिस्थिति के न होने पर भी अत्यन्त अतिरंजित रूप से व्यक्त होता है। यद्यपि इसमें रोगी यह अच्छी तरह समझता है कि उसका यह भय विशिष्ट पदार्थ अथवा परिस्थितियों के प्रति व्यर्थ तथा निर्मूल है किन्तु वैसी ही परिस्थितियों के उत्पन्न होते ही वह पुनः डर जाता है । उसे दौरे पड़ने लगते हैं और उसकी एक प्रकार की विचित्र मानसिक मनोवृत्ति बन जाती है। इस असंगत भय के कारणों को मालूम कर इसका उपचार भी मनोवैज्ञानिक तरीके से करना चाहिये | बार-बार वैसी ही परिस्थितियाँ रोगी के समक्ष उत्पन्न करें और उसे बतलाते जायें कि उसका यह डर निरर्थक तथा निर्मूल है । धीरेधीरे रोगी स्वयं उस असंगत भय का सामना करने के योग्य होता जाता है । होमियोपैथी में हम दवा द्वारा केवल रोगी की मानसिकता को ही बदलने का प्रयास करते हैं ।
फोबिया अनेक प्रकार का होता है जिनमें प्रमुख हैं- ऊँचे स्थान का भय (Acrophobia), खुले स्थान का भय, बंद स्थान का भय, आग का भय, पानी का भय, विशिष्ट प्रकार के पशु-पक्षी का भय (Zoophobia), अंधकार का भय आदि ।
जरा से में डर जाना- बोरैक्स 30- इसका रोगी जरा से में डर जाता है । बन्दूक, बिजली या ऊँची आवाज या कभी-कभी मामूली से शोर से भी रोगी डर जाता है । बच्चा निद्रावस्था में ही चिल्लाकर उठ जाता है । ऐसे रोगी को इस दवा की मात्रा बार-बार देकर देखना चाहिये । आवश्यकता के अनुसार इस दवा की 200 शक्ति भी दी जा सकती है ।
व्यक्ति या बच्चा डरपोक हो- कॉस्टिकम 200- इसका रोगी डरपोक होता है एवं उसे हर वक्त बुरे ख्याल आते हैं । रोगी मामूली कारणों से भी डर जाता है । उसे हमेशा बुरे विचार व दुर्घटना आदि का डर बना रहता है जिनके कारण वह व्यर्थ ही परेशान रहता है ।
जल-फोबिया- एनागेलिस 3x- यह एक वानस्पतिक दवा है । कुत्तासियार द्वारा काटने के कुछ दिनों बाद जब रोगी पानी या किसी तरह की चमकीली वस्तु को देखकर डर जाता है तो यह हाइड्रोफोबिया का लक्षण है । ऐसे रोगी को इस दवा का सेवन कराने से अच्छे परिणाम मिलते हैं। इस दवा का मदरटिंक्चर भी प्रयोग में लिया जाता है ।
तेज रोशनी व बहता पानी देखने से प्रकट होने वाला आक्षेप- लाइसिन – यह पागल कुत्ते की लार से बनाई जाती है । यह हाइड्रोफोबिया जैसे रोग की एक महान औषधि है । डॉ० बोरिक लिखते हैं कि तेज रोशनी अथवा बहता पानी देखने के कारण प्रकट होने वाले आक्षेप के लक्षणों पर यह काफी कारगर दवा है। जलातंक, पागल हो जाने का भय या मनोदशा, बुरे समाचार सुनने से कष्ट बढ़ना जैसी स्थिति में इसका सफल प्रयोग होता है। रोगी के मुँह से लार टपकती हैं जिसे वह बार-बार निगलने का असफल प्रयास करता है परन्तु निगलने में उसे कष्ट होता है । दवा का प्रयोग निम्न शक्ति या उच्चशक्ति में रोग-स्थिति के अनुसार किया जा सकता है ।प्लेफोविया में हाइड्रेफोविनम, कैन्थरिस, कॉक्सिने इण्डिका आदि दवाओं का भी लक्षणानुसार उपयोग होता है ।
आग का भय-नैट्रम म्यूर 200, 1M- ऐसे व्यक्ति जिनके सामने कोई अप्रिय घटना घटी हो जैसे- आग लगने से परिवार के सदस्य की मृत्यु या अन्य व्यक्तियों की मृत्यु या धन-सम्पत्ति का नाश होना आदि-तो ऐसी घटना का रूप ले लेती है । ऐसी स्थिति में यह दवा लाभकर है ।
अंधकार से भय- स्ट्रामोनियम 200– इस दवा का विचित्र लक्षण यह है कि यद्यपि रोगी प्रकाश व चमकीली वस्तुओं से डरता है परन्तु इसके बाद भी वह अंधेरे में रहने से घबरा जाता है । ऐसे रोगियों को यह दवा प्रति तीन दिनों के अन्तर से देनी चाहिये ।
भीड़ का भय- चायना 200- ऐसे व्यक्ति जो भीड़-मेले आदि में घबरा जाते हों उन्हें यह दवा देनी चाहिए ।
ऊँचे स्थान से गिरने का भय- थूजा 200– ऐसे व्यक्ति जिन्हें ऊँचे स्थान से गिरने का स्वप्न आये और वे डर जाते हों तो उन्हें यह दवा उच्चशक्ति में देनी चाहिये । ऐसी स्थिति में यदि ऊँची मीनार या चलती ट्रेन को देखने से डर के साथ चक्कर आयें तो आर्जेन्टम नाइट्रिकम 200 देनी चाहिये ।
रोग का असामान्य भय- सीपिया 200- रोगी को रोग का असामान्य भय हो तो उसे यह दवा दें । फोटोफोबियम 200 भी लाभप्रद रहती हैं ।
खुले स्थान का भय- आर्निका 1M, 10M- यदि व्यक्ति खुले स्थान में जाने से डरता हो तो यह दवा देना लाभप्रद है ।
बन्द तथा तंग जगह का भय- कैनाबिस इंडिका 200- ऐसे रोगी जिन्हें बन्द या तंग जगह का भय रहता है उन्हें यह दवा लाभप्रद है । नाइट्रिक एसिड 200 भी लाभ करती है ।
अकेले अथवा एकान्त में रहने का भय- एकोनाइट 200- ऐसे रोगी जिन्हें अकेले अथवा एकान्त में रहने से डर लगता हो उन्हें यह दवा देनी चाहिये । कल्केरिया कार्ब 200 भी इन्हीं लक्षणों में लाभप्रद है ।
भूत-प्रेत व मरे हुये आदमियों के स्वप्न व भय- एमोन कार्ब 200, 1M – ऐसे रोगियों को जिन्हें भूत-प्रेत या मरे हुये आदमियों के स्वप्न आते हों एवं वह स्वप्न से डरते हों तो उन्हें यह दवा देनी चाहिये ।
अकेले रहने से डरना- कोनियम 200- यदि रोगी अकेले रहने से डरता हो तो यह दवा देनी चाहिये ।