यह रोग प्रायः कैल्शियम की कमी के कारण होता है । इसमें बालक की हड्डियाँ नरम होकर टेढ़ी-मेढ़ी हो जाती हैं जिससे बच्चे का शरीर विकृत हो जाता है । रोग से पहले या रोग के समय- दस्त आना, पसीना आना, समय पर दाँत न निकलना, रीढ़ की हड्डी का टेढ़ा होने लगना, दुबलापन, दूध नहीं पचा पाना आदि लक्षण प्रकटते हैं ।
कल्केरिया कार्ब 200- बच्चे का पेट बढ़ जाये, हरे-पीले-सफेद दस्त हों, केवल खोपड़ी पर पसीना आये लेकिन गर्दन तथा चेहरे पर न आये तो लाभकारी है । मोटे और थुलथुल शरीर के बच्चों के रोग में विशेष रूप से लाभप्रद सिद्ध होती हैं ।
साइलीशिया 30- शरीर के अनुपात में सिर बढ़ जाये, पेट भी बढ़कर गोल हो जाये, बच्चा दूध भी न पचा पाये तो यह दवा उपयोगी हैं ।
सल्फर 30– बच्चे का सिर बड़ा हो जाये, त्वचा झूल जाये तथा वृद्धों जैसी लगने लगे, बच्चे को खूब भूख लगे और वह पर्याप्त खाने पर भी कमजोर होता जाये तो लाभ करती है ।
कल्केरिया फॉस 6x- बच्चे का शरीर दुबला और माँसहीन हो जाये, पेट अंदर की ओर धंस जाये तव लाभप्रद है ।