गठिया तथा आमवात – दोनों वात विकार हैं। गठिया रोग में वात-व्याधि के कारण घुटने में सूजन और पीड़ा होती है। आमवात होने पर रोगी द्वारा खाया गया अन्न भली प्रकार नहीं पचता तथा शरीर के अंगों में शोथ और दर्द होता है। इन दोनों रोगों में शरीर के जोड़ों में पीड़ा, शारीरिक दुर्बलता, अरुचि, सिर दर्द, घबराहट आदि के लक्षण पैदा होते हैं।
गठिया का घरेलू उपचार ( Gathiya Ka Gharelu ilaj )
प्याज – स्नायविक दुर्बलता एवं वात रोग में प्याज बहुत लाभदायक है। सरसों का तेल और प्याज का रस – दोनों को मिलाकर मालिश करने से गठिया के रोगी को लाभ पहुँचता है।
लहसुन – लहसुन के तेल की मालिश प्रतिदिन करें। इसके अलावा लहसुन की एक बड़ी गांठ के टुकड़े करके दूध में उबालकर नित्य रात को सेवन करें। 6 सप्ताह में ही गठिया दूर हो जाएगी। थोड़े से लहसुन को पीसकर तिल के तेल में मिलाकर खाने से वात रोग में शीघ्र लाभ होता है।
मेथी – मेथीदाने को घी में भून-पीसकर छोटे-छोटे लड्डू बनाकर 10 दिन सुबह-शाम खाने से वात-पीड़ा में लाभ होता है। गुड़ में मेथी का पाक बनाकर खाने से गठिया मिट जाती है। चार चम्मच दानेदार मेथी रात को एक गिलास पानी में भिगो दें। सुबह पानी छानकर हल्का गरम करके पीने से गठिया में लाभ होता है। भीगी मेथी को अंकुरित करके खाएं। आमवात दूर हो जाएगा।
अदरक – घुटने, कमर, जांघ एवं गृध्रसी आदि के दर्द में अदरक के रस में घी मिलाकर पीना चाहिए।
सोंठ – 10 ग्राम सोंठ को 100 ग्राम पानी में उबालें। ठंडा होने पर उसमें शक्कर या शहद मिलाकर पिलाएं। गठिया ठीक हो जाएगी।
गाजर – गाजर, ककड़ी एवं चुकन्दर – तीनों का रस समान मात्रा में मिलाकर पीने से गठिया में शीघ्र लाभ होता है।
आलू – पाजामे या पतलून की दोनों जेबों में सदैव एक छोटा-सा आलू रखे रहें। आमवात से रक्षा होगी। आलू खिलाने से भी बहुत लाभ होता है। कच्चा आलू पीसकर अंगूठे पर लगाने से आमवात का दर्द कम होता है। इसे दर्द वाले स्थान पर लेप भी करें।
शहद – संधिवात होने पर लम्बे समय तक शहद बहुतायत में खाना चाहिए। इससे जोड़ों का दर्द कम हो जाता है।
तुलसी – तुलसी के उबलते हुए पत्तों की भाप वातग्रस्त अंगों पर दें तथा इसके गरम पानी से धोएं। वात रोग में लाभ होगा।
कालीमिर्च – तुलसी के पत्ते, कालीमिर्च तथा गाय का घी-तीनों को मिलाकर सेवन करें। इससे वात-व्याधि में लाभ होता है।
अंगूर – प्रतिदिन अंगूर खाने से गठिया में बहुत लाभ होता है।
सरसों – सरसों के तेल में कपूर मिलाकर मालिश करने से मांसपेशियों की गठिया मिट जाती है।
राई – राई को पानी में पीसकर गठिया की सूजन पर लगाने से सूजन समाप्त होकर दर्द में काफी आराम मिलता है।
सोंठ – जरा सी सोंठ को दस गुने पानी में उबाल लें। इसके ठंडा होने पर शहद या चीनी मिलाकर पिलाने से गठिया में लाभ होता है।
हल्दी – हल्दी के लड्डू बनाकर खाने से गठिया का दर्द दूर हो जाता है।
गुड़ – गुड़ पिघलाकर उसमें सोंठ का चूर्ण भुने। फिर उसे सुबह शाम खाएं। गठिया ठीक हो जाएगी।
गरम पानी – गठिया रोग होने पर शरीर के जोड़ों में दर्द होने लगता है। तब गरम जल को थैली में डालकर सेंक करने से लाभ होता है।
नीम – गठिया के सूजन पर नीम के तेल की मालिश करें। साथ ही नीम के पत्ते जल में उबालें। फिर निकलने वाली भाप से सूजन को सेकें। सेंक करने के बाद नीम के पत्ते गरम करके सूजन पर बांधें। गठिया रोग में लाभ हो जायेगा।
गठिया रोग की चिकित्सा निम्नवत् करनी चाहिए
प्रात:काल 5 बजे | एक नीबू का रस, दो चम्मच शहद तथा चार कली लहसुन (कुचली हुई) – इन सबको एक गिलास गरम पानी में मिलाकर पिएं। |
प्रात:काल 6.30 बजे | पिछली रात भिगोई हुई 25 ग्राम मेथी का पानी गरम करके पी लें। |
प्रात:काल 9 बजे | मौसमी सब्जियों का रस-विशेष तौर से गाजर का रस आधा गिलास लें। |
प्रात:काल 11 बजे | गेहूं के सम्पूर्ण आटे की दो रोटी, उबली हुई हरी सब्जियां, अंकुरित मेथी तथा सलाद लें। भीगी हुई जिस मेथी का पानी पिया था, उसे अंकुरित किया जा सकता है। स्वाद के लिए इसमें खीरा, टमाटर, गाजर आदि मिला सकते हैं। |
दोपहर 2 बजे | चार मौसमी फल तथा एक गिलास रस लें। |
सायंकाल 4 बजे | नीबू का रस तथा शहद गरम पानी के साथ लें। |
सायंकाल 6.30 बजे | फल तथा अंकुरित अनाज खाएं। |