गर्भावस्था में चक्कर आने के लक्षणों में निम्नलिखित औषधियों को दें :-
जेल्सीमियम 3, 30 – यह इस रोग की श्रेष्ठ औषध है। सिर की गुद्दी से चक्कर उठने में विशेष हितकर है ।
लैकेसिस 30 – सोकर उठने के बाद चक्कर आने में ।
नेट्रम-म्यूर 30 – लेटे हुए चक्कर आने में ।
ब्रायोनिया 30 – सिर को किसी ओर घुमाने या हिलाने से चक्कर आने में।
कोनियम 30 – सिर को एक ओर घुमाने अथवा लेटे हुए चक्कर आने में ।
पेट्रोलियम 3, 30 – बैठी हुई स्थिति से उठते समय चक्कर आने में ।
काक्युलस 30 – गाड़ी या जहाज पर चढ़ने अथवा लेटी हुई हालत से उठकर बैठते समय चक्कर आने में ।
बेलाडोना 30 – बिस्तर पर करवट बदलते समय अथवा लेटी हुई हालत से उठकर बैठते समय चक्कर आने में ।
बोंरक्स 3x – नीचे की ओर जाने से चक्कर आने में ।
कैल्केरिया-कार्ब 30 – ऊँचाई पर चढ़ते समय अथवा ऊपर को देखते समय चक्कर आने में ।
पल्सेटिला 30 – ऊपर देखते समय चक्कर आने में ।
साइलीशिया 30 – ऊपर देखते समय चक्कर आने में ।
फॉस, सल्फर, स्पाइजीलिया – नीचे की ओर देखते समय चक्कर आने में – इनमें से किसी एक औषध का लक्षमानुसार प्रयोग करें ।
मानसिक कष्ट में निम्नलिखित होम्योपैथिक दवा का प्रयोग करें :-
सिमिसिफ्यूगा 3, 30 – चित्त में म्लानता, मानसिक दु:ख तथा प्रसव के समय होने वाले कष्ट का भय होने पर ।
पल्सेटिला 3, 30 – जरा-जरा सी बात पर रो पड़ना, कभी-कभी क्रोध करना तथा भावी प्रसव-कष्ट का भय, सहानुभूति की भूख, ईर्ष्यालुता, सन्देहशीलता, रात में बेचैनी तथा परेशान होकर घूमने लगना आदि लक्षणों में प्रयोग करें ।
इग्नेशिया 6 – शोक से अधीर होने पर, कभी रोना, कभी हँसना, बेतुकी बातें करना आदि लक्षणों में दें ।