हकलाना या तुतलाना एक तरह की बीमारी है जो अक्सर बच्चों को हुआ करती है, अगर बच्चा 5 साल से बड़ा है और फिर भी तुतलाता है तो इसे स्पीच डिसऑर्डर कहते हैं। ये कभी-कभी बड़ों को भी हो जाती है पर ज्यादातर ये बच्चों में देखा जाता है।
- अगर बच्चा कोई शब्द अच्छे से नहीं बोल पता तो इसे भी तुतलाना या हकलाना के श्रेणी में ही रखा जाता है। वैसा शब्द जिसमे तालु को मोड़ना पड़े वैसे शब्दों में ही ज्यादा प्रॉब्लम होती है।
- अगर बच्चा बार-बार किसी शब्द को दोहराता है तो ये भी हकलाना या तुतलाना के श्रेणी में आता है।
- कोई-कोई बच्चा बहुत रुक-रुक का बोलता है, शब्दों में बहुत विराम लगता है, शब्द जल्दी दिमाग में नहीं आते तो भी ये हकलाना या तुतलाना के श्रेणी में आता है।
हकलाना या तुतलाना का कारण
- जेनेटिकल इसका मुख्य कारण है, अगर बच्चे के माता या पिता भी तुतलाते हैं तो ये बीमारी बच्चे में आ जाया करती है।
- ब्रेन में अगर किसी तरह का डिसऑर्डर हो तो भी हकलाना या तुतलाना रोग हो सकता है।
- अगर आपके nerves में भी किसी तरह की प्रॉब्लम है, तो तरंगों को अच्छे से पंहुचा नहीं पाते तो भी ऐसी समस्या हो जाती है।
- कभी-कभी तालु बहुत पतली या मुख से चिपकी होती है तब भी हकलाना या तुतलाने की समस्या हो जाती है।
हकलाना या तुतलाना का होम्योपैथिक इलाज
स्ट्रैमोनियम 30 – यह हकलाने की मुख्य औषध है। इसे काफी लम्बे समय तक सेवन करना चाहिए । औषध सेवन-कर्ता को क्रोध करना तथा मीठा खाना एक दम छोड़ देना चाहिए । इसमें बच्चा अकेला रहना पसंद नहीं करता। अंधेरा से डरता है, हमेशा रोशनी में रहना चाहता है। स्ट्रैमोनियम 30 की एक बून्द दिन में तीन बार दें। इसे 6 महीने तक जरूर दें बच्चा पूरी तरह ठीक हो जायेगा। देर तक बोलने का प्रयास करने के बाद ही बोल पाने के लक्षण में यह लाभकारी है ।
काली फॉस 6x – अगर बच्चे की मेमोरी थोड़ी कम है, वो देर से सीखता है, पढाई में धीमा है और साथ में हकलाता या तुतलाता है तो काली फॉस बहुत उत्तम मेडिसिन है। काली फॉस एक तरह की ब्रेन टॉनिक है वो ब्रेन को अच्छा कर देता है जिससे हकलाता या तुतलाता ठीक हो जाता है। काली फॉस 6x की 4-4 गोली दिन में तीन बार दें।
हायोसायमस 30 – अगर तालु में कोई प्रॉब्लम है तो हायोसायमस 30 बहुत ही अच्छी मेडिसिन है, इसे दो बून्द दिन में दो बार दें।
साइक्यूटा 6, 30, 200 – यदि शब्द मुँह में आते-आते मुँह में ही रह जाये तो इसका प्रयोग हितकर रहेगा ।
कैनाबिस सैटाइवा 30 – हकलाने में इस औषध को देना भी लाभकर है।
लाइकोपोडियम 30 – यदि रोगी गलत शब्दों का प्रयोग करता हो तो।
कैमोमिला 30 – यदि रोगी बीच-बीच में शब्द छोड़ जाता हो तो इसे दें ।
नक्स-वोमिका 30 – यदि शब्द अथवा शब्द के टुकड़ों को बीच में ही छोड़ देता हो, जैसे- लगभग’ को ‘लग’ कहे तो इसका प्रयोग करना चाहिए।
कालि-ब्रोम 3 – यदि रुक-रुक कर बात करता हो तो इस औषध को दें ।