कारण – अधिक दिनों तक अजीर्ण की शिकायत रहने पर उसके साथ ही पाकाशय में घाव भी हो जाता है। यह रोग पुरुषों की अपेक्षा कठिन परिश्रम करने वाली गरीब स्त्रियों को अधिक होता है । अधिक गर्म चाय का सेवन, रताल्पता, यक्ष्मा, अर्श, रजोरोध तथा गर्भावस्था आदि कारणों से भी यह बीमारी होती है।
लक्षण – खाना खाने के थोड़ी देर बाद ही पेट में जलन अथवा चबाने जैसा दर्द, गरम वस्तुओं को खाने-पीने अथवा पेट को दबाने के बाद कष्ट में वृद्धि तथा खाये हुए पदार्थ की साधारण, कभी रक्त-मिश्रित और कभी श्लेष्मा-मिश्रित वमन-इस रोग के मुख्य लक्षण हैं ।
चिकित्सा – इस रोग में निम्नलिखित औषधियों का लक्षणानुसार प्रयोग करना चाहिए । ये सभी इस रोग की श्रेष्ठ दवाएँ हैं :-
बैप्टीशिया 3x, एसिड-सल्फ 3x, फास्फोरस 6, मर्क-कोर 3, हाइड्रेस्टिस 3x, 3 तथा आर्सेनिक 3x । इनके अतिरिक्त अजीर्ण-रोग में प्रयुक्त होने वाली अन्य औषधियों का भी लक्षणानुसार उपयोग किया जा सकता है।
पाकाशय में अर्बुद (कैंसर) का सन्देह होते ही निम्नलिखित औषधियों का प्रयोग करना चाहिए :- हाइड्रैस्टिस 3x, आर्सेनिक 3x अथवा काण्डुरेंगो Q, 3 ।