कभी-कभी एक या दोनों अण्डकोषों में पानी उतर आता है जिससे वे फूल जाते हैं और आकार में भी बड़े हो जाते हैं । उनमें लाली, सूजन, जलन आदि लक्षण भी प्रकटते हैं । इसी स्थिति को हाइड्रॉसिल यानि पानी के कारण अण्डकोष बढ़ जाना कहते हैं । यों तो चोट, बुखार, कीड़े का काटना आदि कारणों से भी अण्डकोष बढ़ सकते हैं परन्तु अधिकांशतः पानी उतरने से ही अण्डकोष बढ़ते हैं अतः इसे हाइड्रोसिल कहते हैं ।
ब्रायोनिया 30– खासकर जब रोग जन्मजात हो, अण्डकोष में चुभने जैसा दर्द महसूस हो तब इस दवा का प्रयोग लाभदायक है ।
आर्निका 30- चोट लगने के कारण रोगोत्पत्ति में इस दवा का प्रयोग करने पर अच्छा लाभ मिलता है ।
कोनायम 30- बूढ़े लोगों की बीमारी में यह दवा अधिक लाभकारी हैं।
रसटॉक्स 6, 30- जिन्हें वात-रोग की शिकायत हो अथवा वर्षा के पानी में भोगने के कारण अण्डकोष में वृद्धि हो गई हो तब यह दवा लाभदायक सिद्ध होती है । नमीपूर्ण वातावरण में रहने से रोग होने पर उपकारी है।
आर्सेनिक 6– गण्डमाला धातु वाले बच्चों को रोग होने पर इस दवा का प्रयोग लाभकारी सिठ्द्र होता है ।
एपिस मेल 30- अण्डकोषों में लाली, सूजन, जलन और डंक मारने जैसा दर्द होने की अवस्था में इस दवा का प्रयोग करना चाहिये ।
साइलीशिया 30, 200- जब रोगी ठण्ड महसूस करता हो, रोग एकादशी से लेकर पूर्णिमा या अमावस्या तक बढ़े- इन लक्षणों में दें ।
ग्रेफाइटिस 30– किसी भी प्रकार के चर्म-रोग के दब जाने के कारण अण्डकोष-वृद्धि हो जाने पर लाभप्रद है ।
पल्सेटिला 30- सूजाक के बाद अण्डकोषों में पानी भर जाये, हाथ-पैरों से दहक निकले, प्यास न लगे- इन लक्षणों में दें ।
फॉस्फोरस 30- पहले अण्डकोषों में सूजन आई हो, फिर उनकी वृद्रि हो गयी हो तो यह दवा देनी चाहिये ।
ऑरम मेट 200- दाँये अण्डकोष का बढ़ जाना, सूजन, दर्द होना- इन लक्षणों में दें । मानसिक अवसाद और जीवन से ऊब- यह लक्षण भी हों तो यह दवा अति लाभकारी है ।
स्पांजिया 30, 200- बाँये अण्डकोष का बढ़ जाना, सूजन, दर्द होनाಳ್ಗೆ । इसमें दर्द चुभने की तरह होता है और अण्डकोष लटक जाता है |
रोडोडेण्ड्रॉन 200, 1M- दोनों अण्डकोषों के फूल जाने पर उपयोगी है। इसमें अण्डकोष कड़े हो जाते हैं, उनमें खिंचाव होता है, दर्द भी रहता है जो जाँघों तक फैल जाता है ।