युवा पीढ़ी में यह एक बहुत आम रोग होता जा रहा है और वे इसके लिए वंशानुक्रमिक प्रभावों को दोषी ठहराते हैं। मेरा अनुभव है कि दोष बालों के लिए आवश्यक पोषण न मिलने का है, जो निम्नलिखित सामान्य कारणों से होता है :
1) ब्रॉड स्पेक्ट्रम एंटीबायोटिक।
2) सुगन्धित तेल
3) बालों को सूखा रखना – आजकल यह फैशन है।
4) शैम्पू या शरीर के लिए उग्र साबुन का उपयोग।
5) हेयर क्रीम्स।
नारियल, जैबोरण्डी या अर्निका तेल सबसे अच्छा है।
ऐलोपैथी से सफेद बाल रोकने के उपाय : ऐलोपैथी चिकित्सा कोई लाभ नहीं देती। अधिकांश हेयर डाइज़ नाक की एलर्जी और आंखों में खुजली उत्पन्न करने के लिए कुख्यात हैं। मुख्यतः यह डाई और काली मेहंदी, जिसमे अनेक प्रकार के सिंथेटिक रसायन मिले होते हैं, के इस्तेमाल के कारण होता है।
उपर्युक्त एहतियात और निम्नलिखित चिकित्सा से असमय बालों के सफेद होने को रोका जा सकता है :
1) मानसिक बेचैनी, तनाव और संघर्ष रोग की उत्पत्ति के कारणों में हैं।
सफेद बाल को काला करने की दवा होम्योपैथी में – एसिड फॉस + कैलीफॉस 30
2) दुर्बलता, शक्तिहीनता, सुस्ती, अल्परक्तता और कब्ज के कारण हो तो :
सफेद बालों से छुटकारा का होमोपेथिक दवा : कैल्केरियाफास, नेट्रमम्यूर, कार्बोवेज और पिक्रिक एसिड 30 एवं 200 पोटेंसी में।
3) यदि यह अत्यधिक निस्सारण ( पुरुषों में वीर्य क्षति और स्त्रियों में प्रदर ) के कारण हो तो :
सफेद बालो का उपचार होमोपेथिक से : चायना, कुछ केसेज में लाइकोपोडियम बहुत अच्छा कार्य करती है और कुछ में एसिड फॉस और सेलेनियम से चमत्कारिक सुधार होता है।
4) यदि बालों का असमय सफेद होना आंखों में तनाव के कारण हो तो :
सफेद बाल को काला करना होमोपेथिक से : जेबोरण्डी खाने और लगाने के लिए। यह एक तीर से दो शिकार करती है – आंखों की ज्योति बढ़ाती है और असमय बालों का सफेद होना रोकती है।
इस रोग से मुक्ति पाने के लिए लंबे समय तक चिकित्सा की आवश्यकता पड़ती है – कम से कम छः महीने।