विटामिन ‘सी’ से भरपूर चौलाई की दो जातियाँ होती हैं – लाल और हरी। लाल चौलाई अधिक गुणों वाली होती है।
चौलाई का रस गठिया, रक्तचाप और हृदय के रोगियों के लिए लाभदायक है। इसकी सब्जी भी खाई जा सकती है। पेट के रोग, कब्ज़ और बाल गिरने पर चौलाई की सब्जी खाना लाभदायक है। चौलाई उबालकर इसका पानी छानकर नमक मिलाकर पीने से कब्ज़ दूर होती है, पेट दर्द ठीक हो जाता है।
चौलाई – चौलाई का ताजा रस एक-एक कप सुबह-शाम पीने से बाल गिरना रुकते हैं और नये बाल उगने लगते हैं।
पथरी – चौलाई के पत्तों का साग नित्य खाते रहने से पथरी गल जाती है।
रक्तचाप, बलगम, बवासीर, गर्मी के दुष्प्रभाव चौलाई की सब्जी नित्य खाने से ठीक हो जाते हैं।
दस्त – चौलाई के पत्तों का साग दस्त साफ लाने वाला, रक्तविकारों को दूर करने वाला व पथ्यकारक होता है। यह संग्रहणी दस्त में लाभदायक है।
भूख – चौलाई का साग भूख बढ़ाता है। इसमें सोना (Gold) पाया जाता है।
पागल कुत्ते के काटने के बाद व्यक्ति जब पागल हो जाए, स्वयं ही दूसरों को काटने लगे, ऐसी अवस्था में काँटे वाली जंगली चौलाई की जड़ 50 ग्राम से 125 ग्राम तक पीसकर पानी में घोलकर बार-बार पिलाने से मरता हुआ रोगी बच जाता है। यह विष-नाशक है। हरेक दंश पर लेप करें।
चौलाई का शाक रूखा होता है। चौलाई का शाक नशा और विष के प्रभाव को नष्ट करता है। रक्तपित्त में लाभदायक है।
कब्ज़ – स्तनपान करने वाले बच्चों को यदि चौलाई का रस एक-दो चम्मच दिया जाए, तो उनकी कब्ज़ दूर हो जाती है।