सारे रोगों की औषधि – आधा चम्मच तुलसी के पत्तों का रस या सौ पत्ते तुलसी के पीसकर तीन चम्मच शहद, दो चम्मच पानी में मिलाकर एक महीना पियें।
फेफड़ों के रोग जैसे – ब्रोन्काइटिस, निमोनिया, टी.बी., दमा आदि में शहद लाभदायक है। रूस में फेफड़ों के रोगों में शहद अधिक प्रयोग किया जाता है।
दमा – श्लेष्मीय, दुर्बल व्यक्ति जिनके फेफड़े श्लेष्मा से भरे रहते हैं और साँस लेना कठिन होता है उनको दो चम्मच प्याज़ का रस या एक प्याज को कूट-कूट कर गूदा बनाकर, इसे दो चम्मच शहद में मिलाकर देना एक पुराना नुस्खा है। दमा और फेफड़े के रोग शहद का सेवन करने से दूर होते हैं। शहद फेफड़ों को बल देता है, खाँसी, गले की खुश्की तथा स्नायु कष्ट दूर करता है। छाती की घर्र-घर्र दूर होती है। केवल शहद भी ले सकते हैं।
सर्दी, खाँसी, ज्वर होने पर एक चम्मच शहद में चौथाई चम्मच पिसी हुई पीपल मिलाकर नित्य तीन बार खायें।
जुकाम, खाँसी – एक चम्मच शहद और चौथाई चम्मच नमक मिलाकर, नित्य तीन बार चाटें।
खाँसी (Cough) – (1) एक नीबू पानी में उबालें फिर निकालकर काँच के गिलास में निचोड़ें। इसमें एक औंस ग्लिसरीन और तीन औंस शहद मिलाकर हिलायें। इसकी एक-एक चम्मच चार बार लेने से खाँसी चलना बन्द हो जाती है। (2) शहद खाँसी में आराम देता है। 12 ग्राम शहद दिन में तीन बार चाटने से कफ़ निकल जाता है, खाँसी ठीक हो जाती है।
मलेरिया – पिसी हुई कलौंजी 1 चम्मच, 1 चम्मच शहद में मिलाकर नित्य एक बार खाने से चौथे दिन आने वाला मलेरिया ठीक हो जाता है।
प्यास अधिक लगती हो तो 2 चम्मच शहद मुँह में भरकर 10 मिनट रखें, फिर थूक कर कुल्ला कर लें। बार-बार अधिक प्यास लगना ठीक हो जायेगा।
पित्ती – जब बड़ी-बड़ी दवाओं और इंजेक्शनों से भी पित्ती में लाभ न हो तो नागकेसर 6 ग्राम, शहद 25 ग्राम मिलाकर रोगी को सुबह-शाम खिलायें। अनुभूत योग है।
चर्म पर काले धब्बे, दाग – एक चम्मच शहद में चौथाई चम्मच नीबू का रस मिलाकर काले धब्बों पर लेप करें। एक घंटे बाद धोयें। कुछ सप्ताह में काले दाग मिट जायेंगे |
नमी – शहद में नमी को सोखने का गुण है। इससे कीटाणु मर जाते हैं।
एड़ी फटने, तलवों में खारवे (वर्षा के पानी से पैरों में खुजली, फुसियाँ) होने, अंगुलियों की त्वचा गलने, नाखून उतर जाने पर तीन बार शहद लगाना चाहिए।
चर्म रोग – शहद में पानी मिलाकर पीने से अनेक चर्म रोग, जैसे-खुजली, शरीर पर हल्के दाग, फोड़े, फुंसी, मुँहासे ठीक हो जाते हैं।
विसर्प (Erysipelas) – पुराने लोगों का कहना है कि बार-बार शुद्ध शहद लगाने या कपड़े पर शहद लगाकर लगाने से विसर्प ठीक हो जाते हैं। शहद रक्त साफ करता है। नया रक्त बनाता है।
आँतों के रोग, भूख, नेत्र तथा चर्म रोगों को दूर करने के लिए तीन चम्मच पिसा हुआ आँवला रात को एक गिलास पानी में भिगो दें। प्रात: उसे छानकर चार चम्मच शहद मिलाकर पियें।
विषैले दंश – सियार, कुत्ता, बिच्छू आदि के काटने पर काटे हुए स्थान पर शहद लगाने और आन्तरिक सेवन से लाभ होता है।
शीत दंश (Frost Bite) – यदि शीत क्षत अंग में लगातार दर्द होता रहे तो उस पर शहद रगड़ें।
कै, हिचकी – दो चम्मच प्याज के रस में इतना ही शहद मिलाकर चाटने से कै और हिचकी बन्द होती है। केवल शहद चाटने से भी हिचकी बन्द होती है।
घावों पर – (1) शहद की पट्टी बाँधने से आराम होता है। (2) एक भाग पीला मोम, चार भाग शहद को मरहम से पट्टी बाँधें। मोम को गर्म करके शहद मिलायें। मरहम बन जायेगा। जो घाव ठीक नहीं होते वे इससे ठीक हो जाते हैं।
आग से जले हुए अंगों पर शहद का लेप करने से जलन कम होती है, घाव होने पर भी जब तक ठीक न हो, शहद लगाते रहें। घाव ठीक होने पर जले हुए के सफेद दाग बने रहते हैं। इन पर शहद लगाकर पट्टी बाँधते रहें। दाग मिट जायेंगे।
गठिया या संधिवात (Rheumatism) – संधिवात ग्रस्त लोगों को लम्बे समय तक शहद बहुतायत में खाना चाहिए। इससे बहुत लाभ होता है। जोड़ों का दर्द कम होता है।
दीर्घ आयु – शहद शरीर को ताकतवर और लम्बी आयु प्राप्त करने के लिए लाभदायक है। बूढ़े लोगों के लिए शहद उत्तम भोजन है। यह बुढ़ापे के कष्टों से बचाता है।
कब्ज – यह प्राकृतिक हल्का दस्तावर है। प्रात: व रात को सोने से पहले 50 ग्राम शहद ताजा पानी या दूध में मिलाकर पियें। शहद का पेट पर शामक प्रभाव पड़ता है।
थकावट – शहद के प्रयोग से शक्ति, स्फूर्ति और स्नायु को शक्ति मिलती है। समुद्र में काम करने वाले जिनको बहुत समय तक पानी में रहना पड़ता है, वे शहद से यह शक्ति प्राप्त कर सकते हैं। शहद का सबसे बड़ा गुण थकावट दूर करना है। शक्कर से पाचन अंग खराब होते हैं, पेट में वायु पैदा होती है लेकिन शहद वायु बनने से रोकता है। यह मानसिक और शारीरिक शक्ति को बढ़ाता है। आप सारे कामकाज करने के बाद रात को या जब भी थकावट हो तो दो चम्मच शहद आधे गिलास गर्म पानी में नीबू का रस निचोड़कर पी लें, सारी थकावट दूर हो जायेगी और पुनः ताजगी प्रतीत करने लगेंगे।
मधुमेह (Diabetes) में मीठा खाने की तीव्र इच्छा होने पर शक्कर के स्थान पर अति अल्प मात्रा में शहद लेकर मूत्र में शक्कर आने, गुर्द (वृक्क) के पुराने रोगों से बच सकते हैं।
काले मोतियाबिन्द से बचाव – जयपुर 25 जून, 1977 आँखों के काले मोतियाबिन्द एवं शेयों जैसे भयानक रोग से बचने के लिए शहद का उपयोग बड़ा लाभकारी साबित हुआ है।
रतौंधी – आँखों में काजल की तरह सोते समय शहद लगाने से रतौंधी दूर होती है। इससे दृष्टिक्षीणता भी दूर हो जाती है।
आधे सिर में दर्द (Migraine) – (1) यदि सिरदर्द सूर्योदय से शुरू हो, जैसे-जैसे सूर्य ढलने लगे, सिरदर्द बन्द हो जाए, ऐसे आधे सिर के दर्द में जिस ओर सिर में दर्द हो रहा हो उसके दूसरे नथुने में एक बूंद शहद डाल दें, दर्द में आराम हो जाएगा। (2) कभी-कभी अचानक आधे सिर में तेज दर्द हो जाता है, रोगी दर्द में उल्टी तक करता है। उल्टी होने पर दर्द बन्द हो जाता है। यह दर्द बार-बार होता रहता है। नित्य भोजन के समय दो चम्मच शहद लेते रहने से दर्द नहीं होता। कभी दर्द हो भी जाए तो उसी समय दो चम्मच शहद ले लेने से ठीक हो जाता है।
सौंदर्यवर्धक – नीबू, शहद, बेसन और तिल के तेल का उबटन करने से त्वचा में प्राकृतिक निखार आकर सौन्दर्य बढ़ता है।
गले में सूजन हो तो एक चम्मच शहद दिन में तीन बार चाटने से लाभ होता है।
गले को आवाज बैठ गई हो तो एक कप गर्म पानी में एक चम्मच शहद डालकर गरारे करने से आवाज खुल जाती है।
नींद में रोना – यदि बच्चा नींद में रो उठे तो समझे कि वह बदहजमी से स्वप्न देख रहा है। उसे कुछ दिन शहद चटाएँ, बदहजमी दूर होगी और नींद में रोना बन्द हो जाएगा।
यक्ष्मा (T.B.) – एक कप अनार का रस, एक कप दूध दोनों मिलाकर तीन चम्मच शहद मिलाकर नित्य प्रात: पियें।
क्षय – 25 ग्राम शहद, 100 ग्राम मक्खन में मिलाकर देना चाहिए। एक चम्मच शहद, दो चम्मच देशी घी मिलाकर सेवन करने से शरीर का क्षय होना रुक जाता है, बल बढ़ता है।
हृदय शक्तिवर्धक (Heart Tonic) – शहद हृदय को शक्ति देने के लिए विश्व की समस्त औषधियों से सर्वोतम है। इससे हृदय इतना शक्तिशाली हो जाता है जैसे घोड़ा हरे जौ खाकर शक्ति प्राप्त कर लेता है। शहद के प्रयोग से हृदय की पट्टी की शोथ दूर हो जाती है। जहाँ यह रोगग्रस्त हृदय को शक्ति देता है वहाँ स्वस्थ हृदय को पुष्ट और शक्तिशाली बनाता है। हृदय फेल होने से बच जाता है। जब रक्त में ग्लाइकोजेन के अभाव से रोगी को बेहोश होने का डर हो तो शहद खिलाकर रोगी को बेहोश होने से बचाया जा सकता है। शहद मिनटों में रोगी में शक्ति व उत्तेजना पैदा कर देता है और कमजोर तथा फेल होने वाला हृदय शक्तिशाली हो जाता है। सर्दी या कमजोरी के कारण जब हृदय की धड़कन अधिक हो जाए, दिल बैठना आदि कोई कष्ट हो तो शहद की एक चम्मच गर्म पानी में डालकर पियें। एक चम्मच शहद प्रतिदिन लेने से हृदय सबल बनता है। एक चम्मच शहद में 100 कैलोरी शक्ति होती है।
पीलिया (Jaundice) – नित्य तीन बार एक-एक चम्मच शहद को पानी के गिलास में मिलाकर पीने से लाभ होता है।
पित्ती – एक चम्मच शहद और एक चम्मच त्रिफला मिलाकर सुबह-शाम खायें। इससे पित्ती ठीक हो जायेगी।
बच्चों के पेट में दर्द हो तो एक गिलास पानी में दो चम्मच सौंफ उबालें। आधा पानी रहने पर स्वादानुसार शहद मिलाकर पिलायें। यदि दर्द रह-रह कर उठता हो तो पोदीने का रस चार चम्मच और एक चम्मच शहद मिलाकर पिलायें।
कृमि (Worms) – सुबह-शाम शहद लेने से कृमि में लाभ होता है। दो भाग दही, एक भाग शहद मिलाकर चटाने से कृमि मरकर मल के साथ बाहर आ जाते हैं।
फुसियाँ – आटा और शहद को मिलाकर लेई बना लें। इसको कपड़े के टुकड़े पर लगाकर फुसियों पर लगायें। कोई भी चर्म रोग हो तो शहद की पट्टी बाँधने से आराम होता है। दाद, खाज, फोड़े आदि चर्म रोगों में 40 ग्राम शहद 300 ग्राम पानी में मिलाकर प्रात: कुछ महीने पीने से रक्त साफ होकर लाभ होता है। शहद त्वचा को कोमल बनाता है।
गर्भावस्था – शहद में प्रोटीन होता है। प्रोटीन का सेवन गर्भावस्था में करने से पैतृक गुण सन्तान में चले जाते हैं। शहद में कुछ हारमोन होते हैं जो गर्भस्थ महिला के यौवन और रंग-रूप को बनाए रखते हैं। गर्भावस्था में रक्त की कमी आ जाती है। इस काल में रक्त बढ़ाने वाली चीजों का सेवन अधिक किया जाना चाहिए। महिलाओं को दो चम्मच शहद नित्य पिलाते रहने से रक्त की कमी नहीं आती, शक्ति आती है और बच्चा सुन्दर मोटा-ताजा एवं तेज मानसिक शक्ति से सम्पन्न होता है। गर्भवती को आरम्भ से ही या अन्तिम तीन माह में दूध और शहद पिलाने से बच्चा स्वस्थ और आकर्षक होता है।
शहद का विकल्प – 500 ग्राम गुड़, 150 मिलीलीटर पानी (30 चाय के चम्मच)।
विधि – गुड़ व पानी को मिलाकर एक उबाल देकर (गुड़ पूरा घुल जाने पर) कपड़े से छान लें। एक काँच की बोतल में भरकर रखें। यह एक महीने तक बिना रंग व स्वाद के बदले रह सकेगा। यह शहद का प्राकृतिक विकल्प है। जो शहद का सेवन नहीं करना चाहते, गुड़ का इस विधि से प्रयोग करके शहद जैसे लाभ ले सकते हैं।
मात्रा – बड़ों के लिए 1-2 चम्मच, बच्चों के लिए आधी चम्मच ।
सेवन विधि – शहद से कोई हानि प्रतीत हो तो नीबू का सेवन विकारों को दूर कर लाभ पहुँचाता है। शहद को दूध, पानी, दही, मलाई, चाय, टोस्ट, रोटी, सब्जी, फलों का रस, नीबू किसी भी वस्तु में मिलाकर ले सकते हैं। सर्दियों में गर्म पेय के साथ, गर्मियों में ठण्डे पेय के साथ और वर्षा ऋतु में प्राकृतिक रूप में ही सेवन करना चाहिए। शहद को आग पर कभी गर्म नहीं करना चाहिए। अधिक गर्म चीज में मिलाने से शहद के गुण नष्ट हो जाते हैं। अत: इसे हल्के गर्म दूध, पानी में ही मिलाना चाहिए। घी, तेल, चिकने पदार्थ के साथ शहद समान मात्रा में लेने से विष (Poison) बन जाता है।